रुद्रप्रयाग: लॉकडाउन में अपने गांव लौटे युवा अब स्वरोजगार अपना रहे हैं. इनमें ऐसे युवा भी शामिल हैं, जो इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद होटल का व्यवसाय करने को मजबूर हैं. इसी बीच अगस्त्यमुनि ब्लॉक के एक युवा ने गांव में ही होम स्टे शुरू कर अच्छी शुरुआत की है.
दरअसल, अगस्त्यमुनि ब्लॉक के सिल्ला-ब्राह्मण गांव में रहने वाले योगेश पुरोहित ने इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़कर खुद का रोजगार शुरू किया है. वे गांव में होम स्टे का संचालन कर लोगों को पहाड़ी व्यंजन परोस रहे हैं. साल 2015 में आईटीआई डिप्लोमा व 2018 में सिविल ट्रेड से पॉलीटेक्निक करने के बाद योगेश ने रोजगार के लिए शहरों का रुख किया, जहां कंपनी में नौकरी मिली, लेकिन कोरोनाकाल ने उनकी नौकरी छीन ली.
इसी साल मार्च में हुए लॉकडाउन के कारण उन्हें नौकरी छोड़कर घर आना पड़ा. ऐसे में योगेश के सामने अपने परिवार के भरण-पोषण की चुनौती भी थी. उन्होंने गांव में रहते हुए स्वरोजगार का खाका तैयार किया और बिना किसी सरकारी मदद के गांव के खत्वाड़ तोक स्टे का काम शुरू कर दिया. यहां पहुंच रहे लोगों को वे पहाड़ी भोजन के साथ फास्ट फूड भी परोसे रहे हैं.
बीते एक माह से यहां प्रतिदिन अगस्त्यमुनि, पठालीधार, गुप्तकाशी, ऊखीमठ से लोग पहुंच रहे हैं. खास बात यह है कि होम स्टे के पास ही प्राकृतिक जलस्रोत का पानी एकत्रित कर ग्रामीणों द्वारा स्वीमिंग पुल भी बनाया है. क्षेत्र पंचायत सदस्य सावन नेगी ने बताया कि दोनों युवाओं ने स्वरोजगार की दिशा में अनूठी पहल की है. यह गांव समेत क्षेत्र के युवाओं के लिए सीख है.
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होटल व्यवसाय कर रहे योगेश पुरोहित ने कहा कि मैदानी क्षेत्रों में नौकरी के लिए भटकने से बेहतर है कि अपने गांव व जिले में रहकर स्वयं का कार्य किया जाय. इसी सोच के साथ उन्होंने गांव में ही होम स्टे का संचालन किया है. पहले माह में ही उन्हें दस हजार रुपये की आमदानी हुई है और अब वे आने वाले दिनों में होम स्टे को और बेहतर रूप देने की योजना बना रहे हैं.