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बीजेपी विधायक पर कांग्रेस नेता के गंभीर आरोप, बोले- 'पकी हुई रोटियां खा रहे विधायक' - रुद्रप्रयाग विधानसभा

प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव 2022 में होने को है, लेकिन पार्टियां का एक दूसरे के उपर आरोप- प्रत्यारोप का दौर अभी से शुरू हो गया है. भाजपा और कांग्रेस के दावेदार एक-दूसरे पर उंगलियां उठा रहे हैं और अपने-अपने कार्यों की सराहना करते नजर आ रहे हैं.

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बीजेपी विधायक पर कांग्रेस नेता के गंभीर आरोप
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Published : Oct 30, 2020, 4:20 PM IST

रुद्रप्रयाग: आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर सरगर्मियां तेज होने लगी हैं. वैसे 2022 में विधानसभा चुनाव होने हैं, लेकिन आरोप-प्रत्यारोप का दौर अभी से शुरू हो गया है. भाजपा और कांग्रेस के दावेदार एक-दूसरे पर उंगलियां उठा रहे हैं और अपने-अपने कार्यो की सराहना करते नजर आ रहे हैं. जिन कार्यो का इन दिनों भाजपा विधायक शिलान्यास कर रहे हैं, उन कार्यों को कांग्रेसी नेता अपनी उपलब्धि बता रहे हैं और भाजपा नेताओं पर पकी पकाई रोटी खाने का आरोप लगा रहे हैं.

बता दें कि रुद्रप्रयाग विधानसभा से मातबर सिंह कंडारी दो बार विधायक रह चुके हैं और खंडूड़ी सरकार में एक बार कैबिनेट मंत्री भी रहे है. साल 2012 के विधानसभा चुनाव में उनके रिश्तेदार डाॅ. हरक सिंह रावत ने कांग्रेस के टिकट पर रुद्रप्रयाग विधानसभा से चुनाव लड़ा और उन्होंने मातबर कंडारी को पटकनी दी. इसके बाद वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में पूर्व मंत्री मातबर सिंह कंडारी ने भाजपा से टिकट की दावेदारी की, मगर टिकट भरत चौधरी को मिला. ऐसे में टिकट न मिलने से नाराज कंडारी कांग्रेस मेंं शामिल हो गए और अब फिर से मिशन 2022 की तैयारियों में जुट गए हैं.

कंडारी की मानें तो वे कांग्रेस के टिकट पर रुद्रप्रयाग विधानसभा से चुनाव लड़ेंगे. ऐसे में आरोप-प्रत्यारोपों का दौर शुरू होना लाजमी है. जहां 2012 से 2017 तक कांग्रेस से विधायक रहे डाॅ. हरक सिंह रावत की कोई भी उपलब्धि कंडारी के पास नहीं है, वहीं वे वर्तमान में भाजपा से रुद्रप्रयाग विधायक भरत सिंह चौधरी के कार्यों को अपने कार्यकाल की उपलब्धि बता रहे हैं.

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उनका कहना है कि जिन भी मोटरमार्गों का शिलान्यास विधायक चौधरी कर रहे हैं, वे सभी उनके कार्यकाल में स्वीकृत हो चुके हैं, और इन मोटरमार्गो की वन भूमि की पत्रावलियां भी तैयार हो गई थी. इन मोटरमार्गों में कोदिमा-भुनका, पाबौ-ग्वेफड़-भुनका, कलना-कांडा, खेड़ीखाल-ग्वेफड़ मोटरमार्ग की वित्तीय स्वीकृति के साथ ही वन भूमि की पत्रावली तैयार हो गयी थी.

वर्तमान में ये मोटरमार्ग लोक निर्माण विभाग से हटाकर प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के नाम पर परिवर्तन किया गया है. ऐसे में विधायक चौधरी पूर्व में किए गए कामों को अपनी उपलब्धि बताकर खुश हो रहे हैं. उन्हें पकी पकाई रोटी खाने को मिली है और इसका वे फायदा उठा रहे हैं. उन्होंने कहा कि जनता सबकुछ जानती है. रुद्रप्रयाग विधानसभा में विकास कार्य ठप पड़ चुके हैं. जनता में निराशाजनक हालात बने हुए हैं. जनता के कोई काम नहीं हो रहे हैं. आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा को जनता जड़ से उखाड़ फेंकेगी.

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वहीं, दूसरी तरफ भाजपा से रुद्रप्रयाग विधायक भरत सिंह चौधरी ने कहा कि पूर्व मंत्री को उनके रिश्तेदार 2012 के विधानसभा चुनाव में शिकस्त दी, और 2017 में टिकट पाने तक के लायक नहीं रहे. ऐसे में ये सब पूर्व मंत्री की बौखलाहट है. पूर्व मंत्री मातबर सिंह कंडारी फुटबाल बनकर रह गए हैं, वे कभी इस पाले में तो कभी उस पाले में गिर रहे हैं. वे हिंदी सिनेमा के राजपाल यादव हैं, जिन्हें देखकर लोगों को हंसी आ रही है. आज पूर्व मंत्री हंसी के पात्र बनकर रह गए हैं.

बहरहाल, विधानसभा चुनाव के लिए अभी समय काफी है, मगर जिस तरह से कयास बाजियां शुरू हो गई हैं, उससे यही लग रहा है कि टिकट की दावेदारी कर रहे नेता अपनी पकड़ को मजबूत बनाने में लगे हुए हैं और पार्टी तक एक संदेश पहुंचाने का काम कर रहे हैं.

रुद्रप्रयाग: आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर सरगर्मियां तेज होने लगी हैं. वैसे 2022 में विधानसभा चुनाव होने हैं, लेकिन आरोप-प्रत्यारोप का दौर अभी से शुरू हो गया है. भाजपा और कांग्रेस के दावेदार एक-दूसरे पर उंगलियां उठा रहे हैं और अपने-अपने कार्यो की सराहना करते नजर आ रहे हैं. जिन कार्यो का इन दिनों भाजपा विधायक शिलान्यास कर रहे हैं, उन कार्यों को कांग्रेसी नेता अपनी उपलब्धि बता रहे हैं और भाजपा नेताओं पर पकी पकाई रोटी खाने का आरोप लगा रहे हैं.

बता दें कि रुद्रप्रयाग विधानसभा से मातबर सिंह कंडारी दो बार विधायक रह चुके हैं और खंडूड़ी सरकार में एक बार कैबिनेट मंत्री भी रहे है. साल 2012 के विधानसभा चुनाव में उनके रिश्तेदार डाॅ. हरक सिंह रावत ने कांग्रेस के टिकट पर रुद्रप्रयाग विधानसभा से चुनाव लड़ा और उन्होंने मातबर कंडारी को पटकनी दी. इसके बाद वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में पूर्व मंत्री मातबर सिंह कंडारी ने भाजपा से टिकट की दावेदारी की, मगर टिकट भरत चौधरी को मिला. ऐसे में टिकट न मिलने से नाराज कंडारी कांग्रेस मेंं शामिल हो गए और अब फिर से मिशन 2022 की तैयारियों में जुट गए हैं.

कंडारी की मानें तो वे कांग्रेस के टिकट पर रुद्रप्रयाग विधानसभा से चुनाव लड़ेंगे. ऐसे में आरोप-प्रत्यारोपों का दौर शुरू होना लाजमी है. जहां 2012 से 2017 तक कांग्रेस से विधायक रहे डाॅ. हरक सिंह रावत की कोई भी उपलब्धि कंडारी के पास नहीं है, वहीं वे वर्तमान में भाजपा से रुद्रप्रयाग विधायक भरत सिंह चौधरी के कार्यों को अपने कार्यकाल की उपलब्धि बता रहे हैं.

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उनका कहना है कि जिन भी मोटरमार्गों का शिलान्यास विधायक चौधरी कर रहे हैं, वे सभी उनके कार्यकाल में स्वीकृत हो चुके हैं, और इन मोटरमार्गो की वन भूमि की पत्रावलियां भी तैयार हो गई थी. इन मोटरमार्गों में कोदिमा-भुनका, पाबौ-ग्वेफड़-भुनका, कलना-कांडा, खेड़ीखाल-ग्वेफड़ मोटरमार्ग की वित्तीय स्वीकृति के साथ ही वन भूमि की पत्रावली तैयार हो गयी थी.

वर्तमान में ये मोटरमार्ग लोक निर्माण विभाग से हटाकर प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के नाम पर परिवर्तन किया गया है. ऐसे में विधायक चौधरी पूर्व में किए गए कामों को अपनी उपलब्धि बताकर खुश हो रहे हैं. उन्हें पकी पकाई रोटी खाने को मिली है और इसका वे फायदा उठा रहे हैं. उन्होंने कहा कि जनता सबकुछ जानती है. रुद्रप्रयाग विधानसभा में विकास कार्य ठप पड़ चुके हैं. जनता में निराशाजनक हालात बने हुए हैं. जनता के कोई काम नहीं हो रहे हैं. आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा को जनता जड़ से उखाड़ फेंकेगी.

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वहीं, दूसरी तरफ भाजपा से रुद्रप्रयाग विधायक भरत सिंह चौधरी ने कहा कि पूर्व मंत्री को उनके रिश्तेदार 2012 के विधानसभा चुनाव में शिकस्त दी, और 2017 में टिकट पाने तक के लायक नहीं रहे. ऐसे में ये सब पूर्व मंत्री की बौखलाहट है. पूर्व मंत्री मातबर सिंह कंडारी फुटबाल बनकर रह गए हैं, वे कभी इस पाले में तो कभी उस पाले में गिर रहे हैं. वे हिंदी सिनेमा के राजपाल यादव हैं, जिन्हें देखकर लोगों को हंसी आ रही है. आज पूर्व मंत्री हंसी के पात्र बनकर रह गए हैं.

बहरहाल, विधानसभा चुनाव के लिए अभी समय काफी है, मगर जिस तरह से कयास बाजियां शुरू हो गई हैं, उससे यही लग रहा है कि टिकट की दावेदारी कर रहे नेता अपनी पकड़ को मजबूत बनाने में लगे हुए हैं और पार्टी तक एक संदेश पहुंचाने का काम कर रहे हैं.

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