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बौराणी मेले में 27 फीट लंबी मशाल लेकर मंदिर पहुंचे ग्रामीण, कुप्रथा को दी तिलांजलि

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Published : Nov 13, 2019, 11:24 PM IST

Updated : Nov 13, 2019, 11:35 PM IST

बौराणी मेले में रात के समय स्थानीय लोग चीड़ के छाल से निर्मित 27 फीट लंबी मशाल को कंधों पर रखकर सैम मंदिर पहुंचे. जो इस मेले में मुख्य आकर्षण का केंद्र रहा.

बौराणी मेला

बेरीनागः ऐतिहासिक बौराणी मेले का समापन हो गया है. इस दौरान पुलई-चापड़ गांव में रात के समय स्थानीय लोग चीड़ की छाल से निर्मित 27 फीट लंबी मशाल को कंधों पर रखकर सैम मंदिर पहुंचे. जहां पर मंदिर की सात परिक्रमा के बाद मशाल को परिसर में गाड़ दिया. वहीं, ग्रामीणों ने सैम देवता की विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर सुख समृद्धि की कामना की.

ऐतिहासिक बौराणी मेला.

बता दें कि, सैम मंदिर में कार्तिक पूर्णिमा को मशाल लाने की परंपरा सदियों पुरानी है. लोग इसे सुख, शांति और समृद्धि का प्रतीक मानते हैं. सैम मंदिर पहुंचे भक्तों ने विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर भगवान का आशीर्वाद लिया. जबकि, इस मशाल को देखने के लिए हजारों की संख्या में लोग जुटे रहे.

ये भी पढ़ेंः ब्रह्मांड के छुपे रहस्यों से उठेगा पर्दा, ब्रिक्स देश तैयार कर रहे हैं 72 ऑप्टिकल दूरबीन

वहीं, इस मेले में सांस्कृतिक संध्या कार्यक्रमों का उद्घाटन एसआई विजय सिंह नेगी और एसआई मोहन बिष्ट ने किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि क्षेत्र के लोगों ने मेले में चलने वाली जुए की कुप्रथा को खत्म किया है. जो एक अनुकरणीय मिसाल है.

इस मामले में जिला पंचायत सदस्य चंदन वाणी ने कहा ये मेला अपनी अनोखी पहचान बना रहा है. साथ ही उन्होंने भविष्य में मेले को और वृहद रूप देने के लिए हरसंभव मदद का भरोसा दिलाया. वहीं, सांस्कृतिक संध्या में लोक गायक कल्याण बोरा समेत स्थानीय कलाकारों ने शानदार प्रस्तुतियां दी.

बेरीनागः ऐतिहासिक बौराणी मेले का समापन हो गया है. इस दौरान पुलई-चापड़ गांव में रात के समय स्थानीय लोग चीड़ की छाल से निर्मित 27 फीट लंबी मशाल को कंधों पर रखकर सैम मंदिर पहुंचे. जहां पर मंदिर की सात परिक्रमा के बाद मशाल को परिसर में गाड़ दिया. वहीं, ग्रामीणों ने सैम देवता की विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर सुख समृद्धि की कामना की.

ऐतिहासिक बौराणी मेला.

बता दें कि, सैम मंदिर में कार्तिक पूर्णिमा को मशाल लाने की परंपरा सदियों पुरानी है. लोग इसे सुख, शांति और समृद्धि का प्रतीक मानते हैं. सैम मंदिर पहुंचे भक्तों ने विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर भगवान का आशीर्वाद लिया. जबकि, इस मशाल को देखने के लिए हजारों की संख्या में लोग जुटे रहे.

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वहीं, इस मेले में सांस्कृतिक संध्या कार्यक्रमों का उद्घाटन एसआई विजय सिंह नेगी और एसआई मोहन बिष्ट ने किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि क्षेत्र के लोगों ने मेले में चलने वाली जुए की कुप्रथा को खत्म किया है. जो एक अनुकरणीय मिसाल है.

इस मामले में जिला पंचायत सदस्य चंदन वाणी ने कहा ये मेला अपनी अनोखी पहचान बना रहा है. साथ ही उन्होंने भविष्य में मेले को और वृहद रूप देने के लिए हरसंभव मदद का भरोसा दिलाया. वहीं, सांस्कृतिक संध्या में लोक गायक कल्याण बोरा समेत स्थानीय कलाकारों ने शानदार प्रस्तुतियां दी.

Intro:महोत्सव का समापन Body:बेरीनाग ।
बेरीनाग बौराणी मेले का देर रात रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ समापन ।

बेरीनाग। बौराणी मेले का देर रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ समापन हो गया। लोगों ने विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर सैम देवता से क्षेत्र के कल्याण की कामना की।
रात्री को पुलई चापड़ गांव में चीड़ के छिलके से निर्मित 27 फीट लंबी मशाल को क्षेत्रवासी कंधों पर रखकर सैम मंदिर पहुंचे। मशाल करीब रात 12 बजे मंदिर परिसर में पहुंची। जहां कई भक्तों ने हाथ जोड़कर मशाल का स्वागत किया। मंदिर की सात परिक्रमा के बाद मशाल को परिसर में गाड़ दिया गया। स्थानीय लोगों की सैम मंदिर में कार्तिक पूर्णिमा को मशाल लाने की परंपरा सदियों पुरानी है। लोग इसे सुख, शांति और समृद्धि का प्रतीक मानते हैं। सैम मंदिर पहुंचे भक्तों ने विधि विधान से पूजा अर्चना कर भगवान का आशीर्वाद लिया। इस मशाल को देखने हजारों की संख्या में लोग मौजूद रहे।

जुए की कुप्रथा को खत्म करना सराहनीय पहल

बेरीनाग। मेले में सांस्कृतिक संध्या कार्यक्रमों का उद्घाटन एसआई बिजय सिह नेगी थाना बेरीनाग तथा एसआई मोहन बिष्ट थाना थल ने किया ।इस मौके पर उन्होंने कहा कि क्षेत्र के लोगों ने मेले में चलने वाली जुए की कुप्रथा को खत्म कर अनुकरणीय मिसाल कायम की है। जिला पंचायत सदस्य चंन्दन वाणी ने कहा यह मेला अपनी अनोखी पहचान बना रहा है, उन्होंने कहा भविष्य में मेले को और वृहद रूप देने के लिए हरसंभव मदद का भरोसा दिलाया। लोक गायक कल्याण बोरा ने सांस्कृतिक संध्या की शुरुआत की। उनकी टीम ने उत्तराखंड की लोक संस्कृति पर एक से बढ़कर एक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। इसके बाद खटीमा से आए माँ नैना गुप के पुष्कर महर एंड पार्टी जितेन्द्र तुमक्याल,बिन्नी महर, ने अपनी प्रस्तुतियां दी। डीडीहाट के लोक गायक चन्द्र प्रकाश ,रोबो विक्रम सिह बोरा के गीतों से लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया। सांस्कृतिक संयोजक कल्याण सिह बोरा ने रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किए।इस मौके पर बौराणी महोत्सव समिति के अध्यक्ष दिवान सिह बोरा,चंन्दन बोरा, बिट्टू वाणी,देवेन्द्र बोरा,पूरन सिह,पूजा देवी,पंकज सिह बोरा,जैक बोरा आदि कई लोग मौजूद रहे। संचालन नानू बिष्ट ने किया।Conclusion:पहल
Last Updated : Nov 13, 2019, 11:35 PM IST
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