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पिथौरागढ़ में मेडिकल वेस्ट को खुले में फेंकने का मामला, HC ने डीजी हेल्थ से मांगा जवाब

सीमांत जिले पिथौरागढ़ में खुले में फेंके जा रहे मेडिकल वेस्ट के मामले के उत्तराखंड हाईकोर्ट ने गंभीरता से लिया. इस मामले पर उत्तराखंड हाईकोर्ट ने जनहित याचिका दायर की गई थी, जिस पर गुरुवार 6 अप्रैल को कोर्ट ने सुनवाई करते हुए स्टेट पॉल्युशन कंट्रोल, बोर्ड सैकेट्री हेल्थ व डीजी हेल्थ से शपथ पत्र के साथ जवाब मांगा है.

उत्तराखंड हाईकोर्ट
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Published : Apr 6, 2023, 6:56 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने पिथौरागढ़ जिले में हॉस्पिटलों का मेडिकल वेस्ट खुले में, नदी, नालों, गड्डों व नगर पालिका के कूड़े के डिब्बों में डाले जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले को गंभीरता से लेते हुए मुख्य न्यायधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने स्टेट पॉल्युशन कंट्रोल, बोर्ड सैकेट्री हेल्थ व डीजी हेल्थ से पूछा है कि क्यों नहीं नियमों का पालन किया गया और मेडिकल वेस्ट निस्तारण के लिए क्या कार्रवाही की गई, इसको लेकर 9 मई तक शपथपत्र दायर कर कोर्ट को अवगत कराएं.

मामले पर अगली सुनवाई 9 मई को होगी. मामले के अनुसार पिथौरागढ़ निवासी डॉक्टर राजेश पांडे ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि पिथौरागढ़ जिले में मेडिकल वेस्ट के निस्तारण के लिए कोई सुविधा नहीं है, जिसकी वजह से सरकारी, प्राइवेट हॉस्पिटल व पैथ लैब का मेडिकल वेस्ट खुले में, नदी, नालों, गड्डों व नगर पालिका के कूड़े के डिब्बों में डाला जा रहा है. इस वजह से शहर में बीमारियां फैलने की संभावना है.
पढ़ें- देहरादून में घर में लगी भीषण आग, तीन बच्चों के फंसे होने की आशंका, फायर ब्रिगेड का पानी हुआ खत्म

वहीं याचिका में कहा गया है कि इस मेडिकल वेस्ट को जानवर खा रहे है, उनके स्वास्थ्य पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ रहा है. जिले में करीब 20 पैथ लैब संचालित है, लेकिन इनका स्टेट पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड में रजिस्ट्रेशन तक नहीं है. सीएमओ पिथौरागढ़ ने भी स्वीकार किया है कि जिले में मेडिकल वेस्ट के निस्तारण के लिए कोई साधन उपलब्ध नहीं है, जिसकी वजह उन्हें वेस्ट निस्तारण की समस्या का सामना कर रहे है और अन्य हॉस्पिटल भी वेस्ट को इधर उधर डाल रहे है. जनहीत याचिका में कोर्ट से प्राथर्ना की है कि पिथौरागढ़ राज्य का सीमांत जिला होने के कारण जिले में एक कॉमन मेडिकल वेस्ट सेंटर बनाने के आदेश राज्य सरकार को दिए जाएं.

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने पिथौरागढ़ जिले में हॉस्पिटलों का मेडिकल वेस्ट खुले में, नदी, नालों, गड्डों व नगर पालिका के कूड़े के डिब्बों में डाले जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले को गंभीरता से लेते हुए मुख्य न्यायधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने स्टेट पॉल्युशन कंट्रोल, बोर्ड सैकेट्री हेल्थ व डीजी हेल्थ से पूछा है कि क्यों नहीं नियमों का पालन किया गया और मेडिकल वेस्ट निस्तारण के लिए क्या कार्रवाही की गई, इसको लेकर 9 मई तक शपथपत्र दायर कर कोर्ट को अवगत कराएं.

मामले पर अगली सुनवाई 9 मई को होगी. मामले के अनुसार पिथौरागढ़ निवासी डॉक्टर राजेश पांडे ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि पिथौरागढ़ जिले में मेडिकल वेस्ट के निस्तारण के लिए कोई सुविधा नहीं है, जिसकी वजह से सरकारी, प्राइवेट हॉस्पिटल व पैथ लैब का मेडिकल वेस्ट खुले में, नदी, नालों, गड्डों व नगर पालिका के कूड़े के डिब्बों में डाला जा रहा है. इस वजह से शहर में बीमारियां फैलने की संभावना है.
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वहीं याचिका में कहा गया है कि इस मेडिकल वेस्ट को जानवर खा रहे है, उनके स्वास्थ्य पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ रहा है. जिले में करीब 20 पैथ लैब संचालित है, लेकिन इनका स्टेट पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड में रजिस्ट्रेशन तक नहीं है. सीएमओ पिथौरागढ़ ने भी स्वीकार किया है कि जिले में मेडिकल वेस्ट के निस्तारण के लिए कोई साधन उपलब्ध नहीं है, जिसकी वजह उन्हें वेस्ट निस्तारण की समस्या का सामना कर रहे है और अन्य हॉस्पिटल भी वेस्ट को इधर उधर डाल रहे है. जनहीत याचिका में कोर्ट से प्राथर्ना की है कि पिथौरागढ़ राज्य का सीमांत जिला होने के कारण जिले में एक कॉमन मेडिकल वेस्ट सेंटर बनाने के आदेश राज्य सरकार को दिए जाएं.

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