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पिथौरागढ़: पुलिस व ITBP के कंधों पर शांतिपूर्ण मतदान कराने की जिम्मेदारी, संवेदनशील बूथों पर पैनी नजर

पिथौरागढ़ में 127 संवेदनशील और अति संवेदनशील बूथ हैं. मतदान के दिन इन बूथों में सुरक्षा व्यवस्था का जिम्मा आईटीबीपी और पुलिस के जवानों के पास है. प्रशासन का दावा है कि चुनाव को धनबल, बाहुबल और किसी भी प्रकार के लालच से मुक्त मतदान संपन्न कराने के पूरे प्रयास किए गए हैं.

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Published : Feb 13, 2022, 8:55 PM IST

पिथौरागढ़: पुलिस और अर्द्धसैनिक बलों ने विधानसभा चुनाव के लिए चिन्हित संवेदनशील बूथों पर सुरक्षा व्यवस्था को लेकर कमर कस ली है. पिथौरागढ़ जिले में 127 संवेदनशील और अति संवेदनशील बूथ हैं. मतदान के दिन इन बूथों में सुरक्षा व्यवस्था का जिम्मा आईटीबीपी और पुलिस के जवानों के पास है. प्रशासन का दावा है कि चुनाव को धनबल, बाहुबल और किसी भी प्रकार के लालच से मुक्त मतदान संपन्न कराने के पूरे प्रयास किए गए हैं.

आगामी विधान सभा चुनाव को निष्पक्ष, सकुशल और शांतिपूर्वक संपन्न कराने का जिम्मा पुलिस और अर्द्धसैनिक बलों के पास है. सभी पोलिंग पार्टियों के साथ पुलिस और आईटीबीपी के जवानों के साथ ही फार्मासिस्ट भी मौजूद रहेंगे. पुलिस द्वारा मतदान केंद्रों के आस पास होने वाली गतिविधियों पर कड़ी नजर रखी जा रही है. साथ ही मतदान में अराजकता का माहौल उत्पन्न करने वाले लोगों को चिन्हित कर उनके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जा रही है.

जिले के संवेदनशील और अति संवेदनशील बूथः राप्रावि भेटासेरा, राकपूमावि नैनीपातल, राप्रावि टोटानौला, रापूमावि भूलगांव, राइका मढ़मानले और राउमावि बिनकोट, जीआईसी खुम्ती, रामहावि बलुवाकोट, जीआईसी बलुवाकोट, प्राइमरी स्कूल घटीबगड़ और जूनियर हाईस्कूल ढुंगातोली.

ये भी पढ़ेंः भरत चौधरी ने निर्वाचन आयोग की नियमों को दिखाया ठेंगा, आज भी कई गांवों में की जनसभा!

मतदाता जागरूकता अभियानः उत्तराखंड की सबसे पिछड़ी और कम जनसंख्या वाली वनराजी जनजाति की मतदान में भागेदारी सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन द्वारा विभिन्न जागरूकता कार्यक्रम चलाए गए हैं. उप जिला निर्वाचन अधिकारी फिंचा राम चौहान का कहना है कि मतदान दिवस के दिन भी स्वीप की टीम वनराजी गांव में जाएगी और आदिवासी समुदाय के लोगों को मतदान के प्रति जागरूक करेगी. ताकि लोकतंत्र के महापर्व में लोगों की 100 फीसदी भागेदारी सुनिश्चित की जा सके.

बता दें कि डिजिटल क्रांति के दौर में वनराजी जनजाति के लोग आज भी मुख्यधारा से कोसों दूर हैं. ये लोग आज भी आदिम युग जैसा जीवन जीने को मजबूर हैं. दूर दराज के जंगलों में निवास करने के कारण सरकारी योजनाओं के लाभ से भी ये वंचित रहते हैं. यही नहीं वनराजी जनजाति शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं से भी वंचित हैं. वनराजी जनजाति के लोग उत्तराखंड के पिथौरागढ़ और चंपावत जिले के दूरस्थ जंगलों में स्थित गांवों में निवास करते हैं. इसके अलावा नेपाल के पश्चिम अंचल में भी इनके कुछ गांव बसे हैं.

वनराजियों की सबसे अधिक आबादी पिथौरागढ़ जिले में है. यहां इनकी कुल आबादी 700 के करीब है. जिले के डीडीहाट, धारचूला और कनालीछीना विकासखण्ड में वनराजियों के 9 गांव हैं. जहां वनराजियों के कुल 202 परिवार निवास करते हैं. ये सभी परिवार गरीबी के स्तर से नीचे जीवन यापन कर रहे हैं.

पिथौरागढ़: पुलिस और अर्द्धसैनिक बलों ने विधानसभा चुनाव के लिए चिन्हित संवेदनशील बूथों पर सुरक्षा व्यवस्था को लेकर कमर कस ली है. पिथौरागढ़ जिले में 127 संवेदनशील और अति संवेदनशील बूथ हैं. मतदान के दिन इन बूथों में सुरक्षा व्यवस्था का जिम्मा आईटीबीपी और पुलिस के जवानों के पास है. प्रशासन का दावा है कि चुनाव को धनबल, बाहुबल और किसी भी प्रकार के लालच से मुक्त मतदान संपन्न कराने के पूरे प्रयास किए गए हैं.

आगामी विधान सभा चुनाव को निष्पक्ष, सकुशल और शांतिपूर्वक संपन्न कराने का जिम्मा पुलिस और अर्द्धसैनिक बलों के पास है. सभी पोलिंग पार्टियों के साथ पुलिस और आईटीबीपी के जवानों के साथ ही फार्मासिस्ट भी मौजूद रहेंगे. पुलिस द्वारा मतदान केंद्रों के आस पास होने वाली गतिविधियों पर कड़ी नजर रखी जा रही है. साथ ही मतदान में अराजकता का माहौल उत्पन्न करने वाले लोगों को चिन्हित कर उनके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जा रही है.

जिले के संवेदनशील और अति संवेदनशील बूथः राप्रावि भेटासेरा, राकपूमावि नैनीपातल, राप्रावि टोटानौला, रापूमावि भूलगांव, राइका मढ़मानले और राउमावि बिनकोट, जीआईसी खुम्ती, रामहावि बलुवाकोट, जीआईसी बलुवाकोट, प्राइमरी स्कूल घटीबगड़ और जूनियर हाईस्कूल ढुंगातोली.

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मतदाता जागरूकता अभियानः उत्तराखंड की सबसे पिछड़ी और कम जनसंख्या वाली वनराजी जनजाति की मतदान में भागेदारी सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन द्वारा विभिन्न जागरूकता कार्यक्रम चलाए गए हैं. उप जिला निर्वाचन अधिकारी फिंचा राम चौहान का कहना है कि मतदान दिवस के दिन भी स्वीप की टीम वनराजी गांव में जाएगी और आदिवासी समुदाय के लोगों को मतदान के प्रति जागरूक करेगी. ताकि लोकतंत्र के महापर्व में लोगों की 100 फीसदी भागेदारी सुनिश्चित की जा सके.

बता दें कि डिजिटल क्रांति के दौर में वनराजी जनजाति के लोग आज भी मुख्यधारा से कोसों दूर हैं. ये लोग आज भी आदिम युग जैसा जीवन जीने को मजबूर हैं. दूर दराज के जंगलों में निवास करने के कारण सरकारी योजनाओं के लाभ से भी ये वंचित रहते हैं. यही नहीं वनराजी जनजाति शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं से भी वंचित हैं. वनराजी जनजाति के लोग उत्तराखंड के पिथौरागढ़ और चंपावत जिले के दूरस्थ जंगलों में स्थित गांवों में निवास करते हैं. इसके अलावा नेपाल के पश्चिम अंचल में भी इनके कुछ गांव बसे हैं.

वनराजियों की सबसे अधिक आबादी पिथौरागढ़ जिले में है. यहां इनकी कुल आबादी 700 के करीब है. जिले के डीडीहाट, धारचूला और कनालीछीना विकासखण्ड में वनराजियों के 9 गांव हैं. जहां वनराजियों के कुल 202 परिवार निवास करते हैं. ये सभी परिवार गरीबी के स्तर से नीचे जीवन यापन कर रहे हैं.

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