ETV Bharat / state

उत्तराखंड के मिनी कश्मीर को देखना चाहते हैं तो चले आइए पिथौरागढ़, दिलकश हैं यहां के नजारे

हिमालय की गोद मे बसा उत्तराखंड का सीमांत जनपद पिथौरागढ़ अपनी संस्कृति, सभ्यता, प्राकृतिक सौंदर्य और सामरिक महत्व के लिए जाना जाता है. पिथौरागढ़ को सोर घाटी के नाम से भी जाना जाता है. सोर का अर्थ है सरोवर, कहा जाता है कि पहले इस घाटी में सात सरोवर थे. धीरे-धीरे सरोवर का पानी सूखता गया और इसे सोर घाटी के नाम से जाना जाने लगा.

पिथौरागढ़ स्टोरी.
author img

By

Published : Mar 27, 2019, 6:23 AM IST

Updated : Mar 27, 2019, 8:03 PM IST

पिथौरागढ़: जिले को मिनी कश्मीर नाम से भी जाना जाता है. प्राकृतिक सौंदर्य से लबरेज इस जिले में सालभर सैलानियों का तांता लगा रहता है. यहां की नैसर्गिक छटा लोगों बरबस ही अपनी ओर आकर्षित करती है. साथ ही ये जनपद अपने सामरिक महत्व के लिये भी जाना जाता है.

पिथौरागढ़ स्टोरी.


सीमान्त जिला मुख्यालय पिथौरागढ़ में कई टूरिस्ट स्पॉट हैं. जहां हमेशा पर्यटकों का तांता लगा रहता है. यही वजह है कि यहां हर साल हजारों की तादाद में देश-विदेश से सैलानी खिचे चले आते हैं. वहीं चीन और नेपाल की सीमा पर बसा पिथौरागढ़ जिला 59वें वर्ष में प्रवेश करने जा रहा है. चीन की विस्तारवादी नीति को देखते हुए 24 फरवरी 1960 में उत्तराखंड में चमोली, उत्तरकाशी और पिथौरागढ़ 3 नए जिलों का गठन कर उन्हें कमिश्नरी का दर्जा दिया गया था.

हिमालय की गोद मे बसा उत्तराखंड का सीमांत जनपद पिथौरागढ़ अपनी संस्कृति, सभ्यता, प्राकृतिक सौंदर्य और सामरिक महत्व के लिए जाना जाता है. पिथौरागढ़ को सोर घाटी के नाम से भी जाना जाता है. सोर का अर्थ है सरोवर, कहा जाता है कि पहले इस घाटी में सात सरोवर थे. धीरे-धीरे सरोवर का पानी सूखता गया और इसे सोर घाटी के नाम से जाना जाने लगा. कुछ इतिहासकार मानते हैं कि कत्यूरी राजवंश के राजा पिथौराशाही के नाम पर इस नगर का नाम पिथौरागढ़ पड़ा. जबकि कुछ लिखित साक्ष्य न होने का हवाला देकर इन तथ्यों को नकारते है.

7वीं सदी से 12वीं सदी तक पिथौरागढ़ में कत्यूरी शासकों का राज रहा. 12वीं सदी से लेकर 14वीं सदी के मध्य तक यहां बम शासकों ने राज किया. 14वीं सदी के मध्य से 1790 ईसवी तक चंद शासकों का युग रहा. 1790 से 1815 तक पिथौरागढ़ में गोरखा शासन भी रहा. 1815 ई. से स्वतंत्रता प्राप्ति तक पिथौरागढ़ ब्रिटिश शासन के अधीन रहा. जिसके बाद 24 फरवरी 1960 में पिथौरागढ़ की 30 पट्टियों और अल्मोड़ा जनपद की दो पट्टियों को मिलाकर पिथौरागढ़ जिला बनाया गया . 13 मई 1972 को चम्पावत तहसील को भी इस में सम्मिलित कर लिया गया. वहीं आज भी ऐतिहासिक धरोहर गोरखा किले को देखने लोग दूर-दूर से आते हैं. जिसे अंग्रेजों ने लंदनफोर्ट नाम दिया था.




पिथौरागढ़: जिले को मिनी कश्मीर नाम से भी जाना जाता है. प्राकृतिक सौंदर्य से लबरेज इस जिले में सालभर सैलानियों का तांता लगा रहता है. यहां की नैसर्गिक छटा लोगों बरबस ही अपनी ओर आकर्षित करती है. साथ ही ये जनपद अपने सामरिक महत्व के लिये भी जाना जाता है.

पिथौरागढ़ स्टोरी.


सीमान्त जिला मुख्यालय पिथौरागढ़ में कई टूरिस्ट स्पॉट हैं. जहां हमेशा पर्यटकों का तांता लगा रहता है. यही वजह है कि यहां हर साल हजारों की तादाद में देश-विदेश से सैलानी खिचे चले आते हैं. वहीं चीन और नेपाल की सीमा पर बसा पिथौरागढ़ जिला 59वें वर्ष में प्रवेश करने जा रहा है. चीन की विस्तारवादी नीति को देखते हुए 24 फरवरी 1960 में उत्तराखंड में चमोली, उत्तरकाशी और पिथौरागढ़ 3 नए जिलों का गठन कर उन्हें कमिश्नरी का दर्जा दिया गया था.

हिमालय की गोद मे बसा उत्तराखंड का सीमांत जनपद पिथौरागढ़ अपनी संस्कृति, सभ्यता, प्राकृतिक सौंदर्य और सामरिक महत्व के लिए जाना जाता है. पिथौरागढ़ को सोर घाटी के नाम से भी जाना जाता है. सोर का अर्थ है सरोवर, कहा जाता है कि पहले इस घाटी में सात सरोवर थे. धीरे-धीरे सरोवर का पानी सूखता गया और इसे सोर घाटी के नाम से जाना जाने लगा. कुछ इतिहासकार मानते हैं कि कत्यूरी राजवंश के राजा पिथौराशाही के नाम पर इस नगर का नाम पिथौरागढ़ पड़ा. जबकि कुछ लिखित साक्ष्य न होने का हवाला देकर इन तथ्यों को नकारते है.

7वीं सदी से 12वीं सदी तक पिथौरागढ़ में कत्यूरी शासकों का राज रहा. 12वीं सदी से लेकर 14वीं सदी के मध्य तक यहां बम शासकों ने राज किया. 14वीं सदी के मध्य से 1790 ईसवी तक चंद शासकों का युग रहा. 1790 से 1815 तक पिथौरागढ़ में गोरखा शासन भी रहा. 1815 ई. से स्वतंत्रता प्राप्ति तक पिथौरागढ़ ब्रिटिश शासन के अधीन रहा. जिसके बाद 24 फरवरी 1960 में पिथौरागढ़ की 30 पट्टियों और अल्मोड़ा जनपद की दो पट्टियों को मिलाकर पिथौरागढ़ जिला बनाया गया . 13 मई 1972 को चम्पावत तहसील को भी इस में सम्मिलित कर लिया गया. वहीं आज भी ऐतिहासिक धरोहर गोरखा किले को देखने लोग दूर-दूर से आते हैं. जिसे अंग्रेजों ने लंदनफोर्ट नाम दिया था.




Intro:Body:

उत्तराखंड के मिनी कश्मीर को देखना चाहते हैं तो चले आइए पिथौरागढ़, दिलकश हैं यहां के नजारें

Pithoragarh Special Story

Uttarakhand News, Pithoragarh News, Pithoragarh Story, Tourism Uttarakhand, Tourists, Gorkha raj, उत्तराखंड न्यूज, पिथौरागढ़ न्यूज, पिथौरागढ़ स्टोरी, पर्यटन उत्तराखंड, पर्यटक, गोरखा शासन 

पिथौरागढ़:  जिले को मिनी कश्मीर  नाम से  भी जाना जाता है. प्राकृतिक सौंदर्य से लबरेज इस जिले में सालभर सैलानियों का तांता लगा रहता है. यहां की नैसर्गिक छटा लोगों बरबस ही अपनी ओर आकर्षित करती है. साथ ही ये जनपद अपने सामरिक महत्व के लिये भी जाना जाता है. 

सीमान्त जिला मुख्यालय पिथौरागढ़ में कई टूरिस्ट स्पॉट हैं. जहां हमेशा पर्यटकों का तांता लगा रहता है. यही वजह है कि यहां हर साल हजारों की तादाद में देश-विदेश से सैलानी खिचे चले आते हैं. वहीं चीन और नेपाल की सीमा पर बसा पिथौरागढ़ जिला 59वें वर्ष में प्रवेश करने जा रहा है. चीन की विस्तारवादी नीति को देखते हुए 24 फरवरी 1960 में उत्तराखंड में चमोली, उत्तरकाशी और पिथौरागढ़ 3 नए जिलों का गठन कर उन्हें कमिश्नरी का दर्जा दिया गया था. 

हिमालय की गोद मे बसा उत्तराखंड का सीमांत जनपद पिथौरागढ़ अपनी संस्कृति, सभ्यता, प्राकृतिक सौंदर्य और सामरिक महत्व के लिए जाना जाता है. पिथौरागढ़ को सोर घाटी के नाम से भी जाना जाता है. सोर का अर्थ है सरोवर, कहा जाता है कि पहले इस घाटी में सात सरोवर थे. धीरे-धीरे सरोवर का पानी सूखता गया और इसे सोर घाटी के नाम से जाना जाने लगा. कुछ इतिहासकार मानते हैं कि कत्यूरी राजवंश के राजा पिथौराशाही के नाम पर इस नगर का नाम पिथौरागढ़ पड़ा. जबकि कुछ लिखित साक्ष्य न होने का हवाला देकर इन तथ्यों को नकारते है. 

7वीं सदी से 12वीं सदी तक पिथौरागढ़ में कत्यूरी शासकों का राज रहा. 12वीं सदी से लेकर 14वीं सदी के मध्य तक यहां बम शासकों ने राज किया. 14वीं सदी के मध्य से 1790 ईसवी तक चंद शासकों का युग रहा. 1790 से 1815 तक पिथौरागढ़ में गोरखा शासन भी रहा. 1815 ई. से स्वतंत्रता प्राप्ति तक पिथौरागढ़ ब्रिटिश शासन के अधीन रहा. जिसके बाद 24 फरवरी 1960 में पिथौरागढ़ की 30 पट्टियों और अल्मोड़ा जनपद की दो पट्टियों को मिलाकर पिथौरागढ़ जिला बनाया गया . 13 मई 1972 को चम्पावत तहसील को भी इस में सम्मिलित कर लिया गया. वहीं आज भी ऐतिहासिक धरोहर गोरखा किले को देखने लोग दूर-दूर से आते हैं. जिसे अंग्रेजों ने लंदनफोर्ट नाम दिया था. 





 


Conclusion:
Last Updated : Mar 27, 2019, 8:03 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.