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पिथौरागढ़ः पहाड़ नहीं चढ़ रहे डॉक्टर, पटरी से उतरी स्वास्थ्य सेवाएं

पिथौरागढ़ जिले में डॉक्टरों की कमी से स्वास्थ्य सेवाएं पटरी से उतर गई है. यहां 39 नियमित और बांडधारी डॉक्टर बीते लंबे से अस्पतालों से नदारद चल रहे हैं.

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पिथौरागढ़ डॉक्टरों की कमी
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Published : Jan 15, 2020, 1:40 PM IST

Updated : Jan 15, 2020, 3:03 PM IST

पिथौरागढ़: सूबे में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की बदहाल स्थिति किसी से छिपी नहीं है. आलम ये है कि सरकारी अस्पतालों में न तो पर्याप्त डॉक्टर हैं और न ही संसाधन, जिसका खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ता है. लाख कोशिश के बावजूद भी डॉक्टर पहाड चढ़ने को तैयार नहीं है. इसकी बानगी पिथौरागढ़ में देखने को मिल रहा है. जहां 39 डॉक्टर बीते लंबे समय से नदारद चल रहे हैं. वहीं, विभाग ने इन सभी डॉक्टरों को नोटिस भेजा है.

बता दें कि पिथौरागढ़ जिले में स्वास्थ्य सेवाओं को पटरी पर लाने के लिए साल 2018 में 45 बांडधारी डॉक्टरों की तैनाती की गई थी. 5 साल का करार कर पहाड़ पहुंचे 28 बांडधारी डॉक्टर एक साल में ही अस्पतालों से गायब हो गए. तैनाती स्थल पर लौटना तो दूर 2 डॉक्टरों ने विभाग को अपना इस्तीफा तक सौंप दिया है.

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जबकि, 39 नियमित और बांडधारी डॉक्टर बीते लंबे से अस्पतालों से नदारद चल रहे हैं. इनमें 11 नियमित डॉक्टर ऐसे हैं, जो 5 साल से ज्यादा समय से अस्पताल से गायब हैं. वहीं, विभाग ने अस्पताल से नदारद डॉक्टरों पर कार्रवाई करते हुए डीएम और निदेशालय को पत्र भेजा है. उधर, बांडधारी डॉक्टरों के गायब होने से सीमांत क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह पटरी से उतर चुकी है.

पिथौरागढ़: सूबे में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की बदहाल स्थिति किसी से छिपी नहीं है. आलम ये है कि सरकारी अस्पतालों में न तो पर्याप्त डॉक्टर हैं और न ही संसाधन, जिसका खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ता है. लाख कोशिश के बावजूद भी डॉक्टर पहाड चढ़ने को तैयार नहीं है. इसकी बानगी पिथौरागढ़ में देखने को मिल रहा है. जहां 39 डॉक्टर बीते लंबे समय से नदारद चल रहे हैं. वहीं, विभाग ने इन सभी डॉक्टरों को नोटिस भेजा है.

बता दें कि पिथौरागढ़ जिले में स्वास्थ्य सेवाओं को पटरी पर लाने के लिए साल 2018 में 45 बांडधारी डॉक्टरों की तैनाती की गई थी. 5 साल का करार कर पहाड़ पहुंचे 28 बांडधारी डॉक्टर एक साल में ही अस्पतालों से गायब हो गए. तैनाती स्थल पर लौटना तो दूर 2 डॉक्टरों ने विभाग को अपना इस्तीफा तक सौंप दिया है.

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जबकि, 39 नियमित और बांडधारी डॉक्टर बीते लंबे से अस्पतालों से नदारद चल रहे हैं. इनमें 11 नियमित डॉक्टर ऐसे हैं, जो 5 साल से ज्यादा समय से अस्पताल से गायब हैं. वहीं, विभाग ने अस्पताल से नदारद डॉक्टरों पर कार्रवाई करते हुए डीएम और निदेशालय को पत्र भेजा है. उधर, बांडधारी डॉक्टरों के गायब होने से सीमांत क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह पटरी से उतर चुकी है.

Intro:पिथौरागढ़: सरकार के लाख दावों के बावजूद डॉक्टर पहाड चड़ने को तैयार नही है। बात अगर सीमांत जिले पिथौरागढ़ की करें तो यहां 39 नियमित और बांडधारी चिकित्सक अस्पतालों से लम्बे समय से नदारद चल रहे है। इनमें से 11 नियमित चिकित्सक ऐसे है जो 5 साल से भी अधिक समय से अस्पताल से गायब है। जबकि साल 2018 में 5 साल का करार कर पिथौरागढ़ पहुंचे 45 बांडधारी चिकित्सकों में से 28 चिकित्सकों ने भी पलटकर कभी अस्पताल का रुख नही किया। विभाग द्वारा इन सभी चिकित्सकों को नोटिस भेज दिये गये है।


Body:पिथौरागढ़ जिले में स्वास्थ्य सेवाओं को पटरी पर लाने के लिए साल 2018 में 45 बांडधारी चिकित्सकों की तैनाती की गयी थी। 5 साल का करार कर पहाड़ पहुंचे 28 बांडधारी चिकित्सक एक साल में ही अस्पतालों से गायब हो गये। तैनाती स्थल पर लौटना तो दूर 2 चिकित्सकों ने विभाग को अपना इस्तीफा भी सौप दिया है। विभाग ने अस्पताल से नदारद चिकित्सकों पर कार्रवाई करते हुये डीएम व निदेशालय को पत्र भेजा है। वहीं बांडधारी चिकित्सकों के गायब होने से सीमांत क्षेत्रों मे स्वास्थ्य सेवायें पूरी तरह पटरी से उतर चुकी है। वहीं पुर्व में पिथौरागढ़ जनपद भेजे गये 11 नियमित चिकित्सक दशकों से लापता चल रहे है।

Byte: उषा गुंज्याल,सीएमओ,पिथौरागढ़


Conclusion:
Last Updated : Jan 15, 2020, 3:03 PM IST
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