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पटवारियों ने छोड़ा राजस्व क्षेत्रों की सुरक्षा का जिम्मा, अवैध खनन और शराब तस्करों का बढ़ रहा वर्चस्व

पहाड़ी के राजस्व क्षेत्रों की सुरक्षा व्यवस्था संभाल रहे पटवारियों ने पुलिस कार्य त्याग दिया है. अपनी विभिन्न मांगों को पूरा करने के लिए पटवारियों ने ये कदम उठाया है. पटवारियों ने पुलिस कार्य का बस्ता तहसीलों में जमा कर दिया है.

berinag patwari
बेरीनाग पटवारी
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Published : Mar 6, 2022, 3:25 PM IST

Updated : Mar 6, 2022, 5:01 PM IST

बेरीनागः अंग्रेजों के शासनकाल से पहाड़ी इलाकों के राजस्व क्षेत्रों की सुरक्षा व्यवस्था को देख रहे राजस्व उप निरीक्षक (पटवारी) ने पुलिस कार्य को त्याग दिया है. पहाड़ों की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि सभी क्षेत्रों में रेगुलर पुलिस नहीं पहुंच पाती है. 75 प्रतिशत से अधिक पहाड़ की सुरक्षा का जिम्मा आज राजस्व पुलिस के पास है.

उत्तराखंड की तहसीलों में तैनात सभी पटवारी पुलिस कार्य से संबंधित कार्यों पर सुरक्षा और संसाधन की मांग सरकार से कर रहे थे. पहले कई बार मांगों को लेकर राजस्व उप निरीक्षकों ने हड़ताल और कार्य बहिष्कार तक किया. लेकिन उसके बाद भी मांगों पर कोई कार्रवाई नहीं होने पर 8 जनवरी 2022 से पटवारियों ने पुलिस कार्य छोड़ दिया है. पटवारियों ने पुलिस कार्य का बस्ता तहसीलों में जमा कर दिया है. इस कार गांवों में अवैध खनन, अवैध शराब रोकने और पकड़ने के लिए कोई नहीं है.

भगवान भरोसे सुरक्षा व्यवस्थाः पटवारियों द्वारा राजस्व क्षेत्रों की सुरक्षा व्यवस्था त्यागने के बाद पिथौरागढ़ के बेरीनाग तहसील के 15 पट्टियों के 218 गांव और थल तहसील के 8 पट्टियों के 103 गांव के सुरक्षा का जिम्मा अब थल के नायब तहसीलदार के पास है. लेकिन उनका भी स्वास्थ्य खराब होने के कारण मेडिकल अवकाश में चल रहे हैं.

जिस कारण कुल 341 गांव की सुरक्षा भगवान भरोसे है. बेरीनाग और थल तहसील 100 किलोमीटर से अधिक परिधि में फैला हुआ है. भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में पहुंचने पर घंटों लग जाते हैं. यदि गांव में कोई घटना या कोई वाहन दुर्घटना या अन्य घटना हो जाती है तो वहां जिम्मेदार अब कोई नहीं है.

ये भी पढ़ेंः पहाड़ की नहीं बदली तस्वीर, बीमार को डंडी-कंडी में बिठाकर पहुंचाया अस्पताल

एक तहसीलदार के हवाले दो तहसीलः गंगोलीहाट के तहसीलदार दिनेश कुटौला के पास बेरीनाग तहसील का भी अतिरिक्त कार्य भार है. लंबे समय से बेरीनाग, थल, गणाई गंगोली तहसील भी बिना तहसीलदार के चल रही है. बेरीनाग और थल के नायब तहसीलदार भी मेडिकल अवकाश में है. बिना नायब तहसीलदार के दोनों तहसीलें चल रही हैं.

चरित्र प्रमाण पत्र बनने में हो रही परेशानीः भर्ती सहित अन्य स्थानों पर चरित्र प्रमाण की आवश्यकता होती है. लेकिन राजस्व उप निरीक्षकों के द्वारा पुलिस कार्य त्यागने के बाद प्रमाण पत्रों में भी समय पर रिपोर्ट नहीं लग पा रही है. वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में संदिग्ध लोगों का सत्यापन भी नहीं हो रहा है. सामाजिक कार्यकर्ता प्रमोद धारियाल ने कहा कि वर्तमान में नायब तहसीलदार अवकाश में होने के कारण चरित्र प्रमाण पत्रों में समय पर रिपोर्ट नहीं लग रही है. जिस कारण देरी से प्रमाण पत्र जारी हो रहे हैं.

ये भी पढ़ेंः नमामि गंगे परियोजना पर 6 सालों में खर्च हुए 482.59 करोड़, हालात जस के तस

अवैध कार्य करने वालों के हौसले बुलंदः राजस्व उप निरीक्षकों के द्वारा पुलिस कार्य छोड़ने के बाद से कई क्षेत्रों में अवैध धंधों में लिप्त माफियाओं के हौसले बुलंद हो गए हैं. कई ग्रामीण क्षेत्रों में अवैध शराब, खनन, नशे का कारोबार करने वालों को मानों जैसे की छूट मिल रही है. उन्हें पुलिस का भय नहीं है. यदि समय रहते ये सब नहीं रोका गया तो कभी बड़ी दुर्घटना भी हो सकती है.

रेगुलर पुलिस के पास जवानों की कमीः पहले से ही राजस्व उप निरीक्षकों के द्वारा पुलिस कार्य छोड़ने के बाद कई जांचे रेगुलर पुलिस को सौंपी है. लेकिन रेगुलर पुलिस के पास भी स्टाफ की भारी कमी है. कुछ गिने चुने ही पुलिस के जवान थानों में तैनात हैं. पिछले दिनों यहां से स्थान्तारण और पदोन्नति में गए सिपाहियों के स्थान पर कोई नया सिपाही तक नहीं है. जिससे कई बार पुलिस को स्टाफ की कमी होने से परेशानी झेलनी पड़ती है.

बेरीनागः अंग्रेजों के शासनकाल से पहाड़ी इलाकों के राजस्व क्षेत्रों की सुरक्षा व्यवस्था को देख रहे राजस्व उप निरीक्षक (पटवारी) ने पुलिस कार्य को त्याग दिया है. पहाड़ों की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि सभी क्षेत्रों में रेगुलर पुलिस नहीं पहुंच पाती है. 75 प्रतिशत से अधिक पहाड़ की सुरक्षा का जिम्मा आज राजस्व पुलिस के पास है.

उत्तराखंड की तहसीलों में तैनात सभी पटवारी पुलिस कार्य से संबंधित कार्यों पर सुरक्षा और संसाधन की मांग सरकार से कर रहे थे. पहले कई बार मांगों को लेकर राजस्व उप निरीक्षकों ने हड़ताल और कार्य बहिष्कार तक किया. लेकिन उसके बाद भी मांगों पर कोई कार्रवाई नहीं होने पर 8 जनवरी 2022 से पटवारियों ने पुलिस कार्य छोड़ दिया है. पटवारियों ने पुलिस कार्य का बस्ता तहसीलों में जमा कर दिया है. इस कार गांवों में अवैध खनन, अवैध शराब रोकने और पकड़ने के लिए कोई नहीं है.

भगवान भरोसे सुरक्षा व्यवस्थाः पटवारियों द्वारा राजस्व क्षेत्रों की सुरक्षा व्यवस्था त्यागने के बाद पिथौरागढ़ के बेरीनाग तहसील के 15 पट्टियों के 218 गांव और थल तहसील के 8 पट्टियों के 103 गांव के सुरक्षा का जिम्मा अब थल के नायब तहसीलदार के पास है. लेकिन उनका भी स्वास्थ्य खराब होने के कारण मेडिकल अवकाश में चल रहे हैं.

जिस कारण कुल 341 गांव की सुरक्षा भगवान भरोसे है. बेरीनाग और थल तहसील 100 किलोमीटर से अधिक परिधि में फैला हुआ है. भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में पहुंचने पर घंटों लग जाते हैं. यदि गांव में कोई घटना या कोई वाहन दुर्घटना या अन्य घटना हो जाती है तो वहां जिम्मेदार अब कोई नहीं है.

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एक तहसीलदार के हवाले दो तहसीलः गंगोलीहाट के तहसीलदार दिनेश कुटौला के पास बेरीनाग तहसील का भी अतिरिक्त कार्य भार है. लंबे समय से बेरीनाग, थल, गणाई गंगोली तहसील भी बिना तहसीलदार के चल रही है. बेरीनाग और थल के नायब तहसीलदार भी मेडिकल अवकाश में है. बिना नायब तहसीलदार के दोनों तहसीलें चल रही हैं.

चरित्र प्रमाण पत्र बनने में हो रही परेशानीः भर्ती सहित अन्य स्थानों पर चरित्र प्रमाण की आवश्यकता होती है. लेकिन राजस्व उप निरीक्षकों के द्वारा पुलिस कार्य त्यागने के बाद प्रमाण पत्रों में भी समय पर रिपोर्ट नहीं लग पा रही है. वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में संदिग्ध लोगों का सत्यापन भी नहीं हो रहा है. सामाजिक कार्यकर्ता प्रमोद धारियाल ने कहा कि वर्तमान में नायब तहसीलदार अवकाश में होने के कारण चरित्र प्रमाण पत्रों में समय पर रिपोर्ट नहीं लग रही है. जिस कारण देरी से प्रमाण पत्र जारी हो रहे हैं.

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अवैध कार्य करने वालों के हौसले बुलंदः राजस्व उप निरीक्षकों के द्वारा पुलिस कार्य छोड़ने के बाद से कई क्षेत्रों में अवैध धंधों में लिप्त माफियाओं के हौसले बुलंद हो गए हैं. कई ग्रामीण क्षेत्रों में अवैध शराब, खनन, नशे का कारोबार करने वालों को मानों जैसे की छूट मिल रही है. उन्हें पुलिस का भय नहीं है. यदि समय रहते ये सब नहीं रोका गया तो कभी बड़ी दुर्घटना भी हो सकती है.

रेगुलर पुलिस के पास जवानों की कमीः पहले से ही राजस्व उप निरीक्षकों के द्वारा पुलिस कार्य छोड़ने के बाद कई जांचे रेगुलर पुलिस को सौंपी है. लेकिन रेगुलर पुलिस के पास भी स्टाफ की भारी कमी है. कुछ गिने चुने ही पुलिस के जवान थानों में तैनात हैं. पिछले दिनों यहां से स्थान्तारण और पदोन्नति में गए सिपाहियों के स्थान पर कोई नया सिपाही तक नहीं है. जिससे कई बार पुलिस को स्टाफ की कमी होने से परेशानी झेलनी पड़ती है.

Last Updated : Mar 6, 2022, 5:01 PM IST
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