बेरीनागः बुडेरा गांव के मानीखेत तोक में एक लाइनमैन ट्रांसफार्मर बदलते समय करंट की चपेट में आ गया. जिससे लाइनमैन बुरी तरह से झुलस गया. मौके पर मौजूद लोगों ने आनन-फानन में उसे सीएचसी बेरीनाग पहुंचाया, लेकिन अस्पताल में डॉक्टर नहीं मिले. जिससे लाइनमैन दो घंटे तक तड़पता रहा और इलाज नहीं मिलने से उसकी मौत हो गई. जिसके बाद गुस्साए परिजनों और ग्रामीणों ने स्वास्थ्य केंद्र में तालाबंदी कर नारेबाजी की.
जानकारी के मुताबिक, रविवार को बेरीनाग के गणेश चौक निवासी बिजली विभाग में संविदा पर तैनात नवल किशोर बिष्ट (37) बुडेरा गांव के मानीखेत तोक में बिजली का ट्रांसफार्मर बदलने पहुंचा था. जहां पर नवल ने राईआगर सब स्टेशन के प्रभारी को फोनकर स्टडाउन मांगा और ट्रासफार्मर लगाने के लिए पोल पर चढ़ गया. जैस ही नवल पोल पर चढ़ा 11 हजार किलोवाट की लाइन की चपेट में आने से नीचे गिर गया.
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मौके पर मौजूद मजदूरों और ग्रामीणों के होश उड़ गए. ग्रामीणों ने आनन-फानन में घटना की सूचना बिजली विभाग के अधिकारियों को दी. जिसके बाद उसे एंबुलेंस से बेरीनाग सीएचसी पहुंचाया गया, लेकिन अस्पताल में कोई भी डॉक्टर मौजूद नहीं मिला. जिससे परिजनों और ग्रामीणों में आक्रोश फैल गया. आनन-फानन में एक डेंटल डॉक्टर मौके पर पहुंचा. जिसने लाइनमैन का प्राथमिक उपचार किया, लेकिन जानकारी नहीं होने के कारण डेंटल डॉक्टर ने हाथ खड़े कर दिए.
उधर, डेंटल डॉक्टर ने गंगोलीहाट प्रभारी चिकित्साधिकारी को इसकी सूचना दी. जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी मौके पर पहुंचे. जिन्हें ग्रामीणों ने जमकर खरी-खोटी सुनाई. समय पर इलाज नहीं मिलने पर नवल ने दम तोड़ दिया. जिसके बाद लोगों ने लाइनमैन की मौत पर विभागीय लापरवाही का आरोप लगाया. वहीं, उन्होंने मृतक के परिजनों को 10 लाख का मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को बिजली विभाग में नौकरी देने की मांग की.
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इलाज नहीं मिलने पर एक हफ्ते में दो लोगों की मौत
सीएचसी बेरीनाग में डॉक्टर नहीं होने से मरीजों को समय पर इलाज नहीं मिल पा रहा है. एक हफ्ते के भीतर दो लोगों की मौत हो चुकी है. बीते सोमवार को नगर के एक व्यापारी की मां की मौत इलाज नहीं मिलने से हुई थी. जिसके बाद लोगों ने विरोध स्वरूप मंगलवार को बाजार बंद किया था, लेकिन उसके बाद भी हालत जस के तस बने हुए हैं. स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली को लेकर लोगों में आक्रोश का माहौल है.
तीन घंटे बाद लाइन मैन को किया गया मृत घोषित
सीएचसी में डॉक्टर नहीं होने के कारण कंरट से झुलसा नवल तीन घंटे तक बेड पर ही पड़ा रहा. तीन घंटे के बाद जब गंगोलीहाट से प्रभारी चिकित्साधिकारी मौके पर पहुंचे. तब जाकर उन्होंने उसे देखा. जहां पर डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित किया.
वहीं, आक्रोशित लोगों ने स्वास्थ्य केंद्र में स्थायी डॉक्टर की नियुक्ति के बाद ही शव उठाने की बात कही. सभासद बलवंत धानिक और डीएल शाह ने बताया कि बीते 6 महीने से यहां पर एक भी स्थायी डॉक्टर तैनात नहीं हैं. जिससे जनता को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. यह महज रेफर सेंटर बन कर रह गया है.