पिथौरागढ़: कैलाश मानसरोवर यात्रा 8 जून से शुरू होने जा रही है. लिपुलेख दर्रे से होकर जाने वाली यात्रा में इस बार 18 दल शामिल होंगे. साथ ही कैलाश मानसरोवर यात्री नजंग तक गाड़ी से यात्रा करेंगे, इसके बाद लिपुलेख तक उन्हें 70 किलोमीटर की दुर्गम यात्रा पैदल करनी पड़ेगी. यात्रा के सफल संचालन के लिए नोडल एजेंसी पिथौरागढ़ प्रशासन ने कमर कस ली है.
भगवान शिव के धाम कैलाश पर्वत और पवित्र मानसरोवर झील के दर्शन इस बार आसान नहीं होने वाले हैं. धारचूला से 60 किलोमीटर दूर गाड़ी से नजंग पहुंचने के बाद यात्री नजंग से लिपुलेख तक 70 किलोमीटर दुर्गम पैदल यात्रा तय करेंगे. यात्री नजंग, मालपा, बूंदी, गुंजी, गर्ब्यांग, नाभीढांग होते हुए लिपुलेख दर्रे तक पैदल जाएंगे. बूंदी से नाभीढांग तक 36 किलोमीटर मार्ग वाहनों के लिए खुला हुआ है. मगर यातायात का कोई साधन उपलब्ध न होने के कारण ये दूरी भी पैदल ही तय करनी पड़ेगी.
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इस दौरान श्रद्धालुओं को दुर्गम और बर्फीले पैदल रास्तों को पार करना पड़ेगा. इसके साथ ही मानसून सीजन भी यात्रियों के लिए एक बड़ी चुनौती होगा. दुर्गम रास्तों को पार करने के लिए यात्री पोनी-पोर्टर का भी सहारा ले सकते हैं. गुंजी तक यात्रियों की सुरक्षा का जिम्मा पुलिस के पास होगा, जबकि इससे आगे चीन के बॉर्डर लिपुलेख तक आईटीबीपी के जवान बर्फीले रास्तों पर यात्रियों की सुरक्षा का ख्याल रखेंगे. यात्रियों के खाने-रहने की व्यवस्था का जिम्मा केएमवीएन के पास है. गुंजी में यात्रियों का मेडिकल चेकअप कराने के बाद ही यात्रियों को आगे भेजा जाएगा.