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हर धर्म में पूजनीय है कैलाश मानसरोवर, भगवान विष्णु और लक्ष्मी का 'क्षीरसागर' भी यहीं मौजूद

हिन्दू धर्म में मान्यता है कि पवित्र कैलाश के दर्शन करने और मानसरोवर झील में स्नान करने से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है. धार्मिक किताबों में उल्लेख के अनुसार यहां देवी सती का दायां हाथ गिरा था, इसलिए यहां एक पाषाण शिला को उनका रूप मानकर पूजा जाता है.

कैलाश मानसरोवर
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Published : Jun 12, 2019, 7:30 PM IST

पिथौरागढ़: विश्व प्रसिद्ध कैलाश मानसरोवर यात्रा आज से शुरू हो गयी है. इस यात्रा का पहला दल 59 भक्तों के साथ यात्रा कर रहा है. हिंदुओं के लिए कैलाश मानसरोवर का बेहद खास महत्व है. साथ ही यह यात्रा हिंदुओं की प्रमुख यात्रा भी मानी जाती है. इस यात्रा का दूसरे धर्मों में भी उल्लेख मिलता है. कैलाश मानसरोवर बौद्ध धर्म, जैन धर्म और सिखों के लिए भी आस्था का मुख्य केंद्र है.

डीएस पांगती, इतिहासकार

मानसरोवर झील कहलाता है 'क्षीर सागर'
भगवान शिव के निवास स्थान कैलाश पर्वत के पास स्थित है मानसरोवर झील. मान्यता है कि भगवान विष्णु के कर कमलों से निकलकर गंगा कैलाश पर्वत की चोटी पर गिरती है. जहां भगवान शिव उन्हें अपनी जटाओं में भर कर धरती में निर्मल धारा के रूप में प्रवाहित करते हैं. शिवपुराण, स्कंदपुराण, मत्स्य पुराण इत्यादि में कैलाश खण्ड नाम के अध्याय में इस क्षेत्र की महिमा का गुणगान किया गया है. मानसरोवर पहाड़ों से घिरी झील है, जो पुराणों में 'क्षीर सागर' के नाम से जानी जाती है.

पढ़ें-पुलिस को देख भागने लगे बाइक सवार, पकड़े गए तो हुआ चोरी का खुलासा, एक फरार

क्षीर सागर कैलाश पर्वत से 40 किलोमीटर दूरी पर है. मान्यता है कि इसी में विराजित होकर विष्णु और लक्ष्मी पूरे संसार का संचालन करते हैं. कैलाश पर्वत के पूर्व भाग को क्रिस्टल, पश्चिम भाग को रूबी, उत्तर को स्वर्ण और दक्षिण भाग को नीलम माना जाता है.

हिन्दू धर्म में मान्यता है कि पवित्र कैलाश के दर्शन करने और मानसरोवर झील में स्नान करने से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है. धार्मिक किताबों में उल्लेख के अनुसार यहां देवी सती का दायां हाथ गिरा था, इसलिए यहां एक पाषाण शिला को उनका रूप मानकर पूजा जाता है.

बौद्ध धर्म में भी पूजनीय कैलाश मानसरोवर
हिंदू मान्यता के अनुसार कैलाश पर्वत की तलहटी में कल्पवृक्ष लगा हुआ है. बौद्ध धर्मावलंबियों की मान्यता है कि इसके केंद्र में एक वृक्ष है, जिसके फलों के गुण सभी प्रकार के शारीरिक और मानसिक रोगों का उपचार करने में सक्षम हैं. तिब्बतियों की मान्यता है कि कैलाश पर्वत पर एक संत कवि ने वर्षों गुफा में रहकर तपस्या की थी. तिब्बती बोनपाओं के अनुसार कैलाश में जो नौमंजिला स्वास्तिक देखा जाता है, वो डेमचौक और दोरजे फांगमो का निवास स्थल है.

इसे बौद्ध लोग भगवान बुद्ध और मणिपद्मा का निवास स्थान मानते हैं. कैलाश पर स्थित भगवान बुद्ध का अलौकिक रूप 'डेमचौक' बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए पूजनीय है. बौद्ध धर्मावलंबियों का मानना है कि इस स्थान पर आकर उन्हें निर्वाण की प्राप्ति होती है. कहा जाता है कि भगवान बुद्ध की माता ने भी यहां की यात्रा की थी.

वहीं, जैनियों की मान्यता है कि आदिनाथ ऋषभदेव का ये निर्वाण स्थल अष्टपद है. वे कहते हैं कि ऋषभदेव ने आठ पग में कैलाश यात्रा की थी. वहीं सिखों का मानना है की गुरुनानक ने भी कुछ दिन यहां रुककर ध्यान किया था. जिस कारण कैलाश मानसरोवर सीखों के लिए भी ये एक पवित्र स्थान है.

पिथौरागढ़: विश्व प्रसिद्ध कैलाश मानसरोवर यात्रा आज से शुरू हो गयी है. इस यात्रा का पहला दल 59 भक्तों के साथ यात्रा कर रहा है. हिंदुओं के लिए कैलाश मानसरोवर का बेहद खास महत्व है. साथ ही यह यात्रा हिंदुओं की प्रमुख यात्रा भी मानी जाती है. इस यात्रा का दूसरे धर्मों में भी उल्लेख मिलता है. कैलाश मानसरोवर बौद्ध धर्म, जैन धर्म और सिखों के लिए भी आस्था का मुख्य केंद्र है.

डीएस पांगती, इतिहासकार

मानसरोवर झील कहलाता है 'क्षीर सागर'
भगवान शिव के निवास स्थान कैलाश पर्वत के पास स्थित है मानसरोवर झील. मान्यता है कि भगवान विष्णु के कर कमलों से निकलकर गंगा कैलाश पर्वत की चोटी पर गिरती है. जहां भगवान शिव उन्हें अपनी जटाओं में भर कर धरती में निर्मल धारा के रूप में प्रवाहित करते हैं. शिवपुराण, स्कंदपुराण, मत्स्य पुराण इत्यादि में कैलाश खण्ड नाम के अध्याय में इस क्षेत्र की महिमा का गुणगान किया गया है. मानसरोवर पहाड़ों से घिरी झील है, जो पुराणों में 'क्षीर सागर' के नाम से जानी जाती है.

पढ़ें-पुलिस को देख भागने लगे बाइक सवार, पकड़े गए तो हुआ चोरी का खुलासा, एक फरार

क्षीर सागर कैलाश पर्वत से 40 किलोमीटर दूरी पर है. मान्यता है कि इसी में विराजित होकर विष्णु और लक्ष्मी पूरे संसार का संचालन करते हैं. कैलाश पर्वत के पूर्व भाग को क्रिस्टल, पश्चिम भाग को रूबी, उत्तर को स्वर्ण और दक्षिण भाग को नीलम माना जाता है.

हिन्दू धर्म में मान्यता है कि पवित्र कैलाश के दर्शन करने और मानसरोवर झील में स्नान करने से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है. धार्मिक किताबों में उल्लेख के अनुसार यहां देवी सती का दायां हाथ गिरा था, इसलिए यहां एक पाषाण शिला को उनका रूप मानकर पूजा जाता है.

बौद्ध धर्म में भी पूजनीय कैलाश मानसरोवर
हिंदू मान्यता के अनुसार कैलाश पर्वत की तलहटी में कल्पवृक्ष लगा हुआ है. बौद्ध धर्मावलंबियों की मान्यता है कि इसके केंद्र में एक वृक्ष है, जिसके फलों के गुण सभी प्रकार के शारीरिक और मानसिक रोगों का उपचार करने में सक्षम हैं. तिब्बतियों की मान्यता है कि कैलाश पर्वत पर एक संत कवि ने वर्षों गुफा में रहकर तपस्या की थी. तिब्बती बोनपाओं के अनुसार कैलाश में जो नौमंजिला स्वास्तिक देखा जाता है, वो डेमचौक और दोरजे फांगमो का निवास स्थल है.

इसे बौद्ध लोग भगवान बुद्ध और मणिपद्मा का निवास स्थान मानते हैं. कैलाश पर स्थित भगवान बुद्ध का अलौकिक रूप 'डेमचौक' बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए पूजनीय है. बौद्ध धर्मावलंबियों का मानना है कि इस स्थान पर आकर उन्हें निर्वाण की प्राप्ति होती है. कहा जाता है कि भगवान बुद्ध की माता ने भी यहां की यात्रा की थी.

वहीं, जैनियों की मान्यता है कि आदिनाथ ऋषभदेव का ये निर्वाण स्थल अष्टपद है. वे कहते हैं कि ऋषभदेव ने आठ पग में कैलाश यात्रा की थी. वहीं सिखों का मानना है की गुरुनानक ने भी कुछ दिन यहां रुककर ध्यान किया था. जिस कारण कैलाश मानसरोवर सीखों के लिए भी ये एक पवित्र स्थान है.

Intro:नोट- सर कैलाश मानसरोवर के फ़ाइल विसुअल्स मेल ओर भेजे है।


पिथौरागढ़: विश्व प्रसिद्ध कैलाश मानसरोवर यात्रा आज से शुरू हो गयी है। ये यात्रा हिंदुओं के लिए तो खास मायने रखती ही है साथ ही जैन, बुध्द और सिख धर्म की आस्था का भी प्रमुख केंद्र है। विभिन्न धर्मों के लिए ये यात्रा क्यों मत्वपूर्ण मानी जाती है पेश है एक खास रिपोर्ट।

भगवान शिव के निवास स्थान कैलाश पर्वत के पास स्थित है मानसरोवर झील। मान्यता है कि भगवान विष्णु के कर कमलों से निकलकर गंगा कैलाश पर्वत की चोटी पर गिरती है जहां भगवान शिव उन्हें अपनी जटाओं में भर कर धरती में निर्मल धारा के रूप में प्रवाहित करते है। शिवपुराण, स्कंदपुराण, मत्स्य पुराण इत्यादि में कैलाश खण्ड नाम के अध्याय में इस क्षेत्र की महिमा का गुड़गान किया गया है। मानसरोवर पहाड़ों से घिरी झील है जो पुराणों में 'क्षीर सागर' के नाम से जानी जाती है। क्षीर सागर कैलाश पर्वत से 40 किलोमीटर दूरी पर है जिसमे शेष शैय्या में विष्णु और लक्ष्मी विराजित होकर पूरे संसार का संचालन करते है। कैलाश पर्वत के पूर्व भाग को क्रिस्टल, पश्चिम भाग को रूबी, उत्तर को स्वर्ण और दक्षिण भाग को नीलम माना जाता है। हिन्दू धर्म में मान्यता है कि पवित्र कैलाश के दर्शन करने और मानसरोवर झील में स्नान करने से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है। हिन्दू धर्म में मान्यता है कि कैलाश पर्वत मेरु पर्वत है जो भ्रह्माण्ड कि धुरी है और भगवान शिव का प्रमुख निवास स्थान है। यहां देवी सती का दायां हाथ गिरा था। इसलिए यहां एक पाषाण शिला को उनका रूप मानकर पूजते है और यहां शक्तिपीठ है।

कैलाश पर्वत की तलहटी में कल्पवृक्ष लगा हुआ है। बौद्ध धर्मावलंबियों की मान्यता है कि इसके केंद्र में एक वृक्ष है जिसके फलों के चिकित्सकीय गुण सभी प्रकार के शारीरिक और मानसिक रोगों का उपचार करने में सक्षम है। तिब्बतियों की मान्यता है कि कैलाश पर्वत पर एक संत कवि ने वर्षों गुफा में रहकर तपस्या की थी। तिब्बती बोनपाओं के अनुसार कैलाश में जो नौमंजिला स्वस्तिक देखा जाता है वो डेमचौक और दोरजे फांगमो का निवास स्थल है। इसे बौद्ध लोग भगवान बुद्ध और मणिपद्मा का निवास स्थान मानते है। कैलाश पर स्थित भगवान बुद्ध का अलौकिक रूप 'डेमचौक' बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए पूजनीय है। बौद्ध धर्मावलंबियों का मानना है कि इस स्थान पर आकर उन्हें निर्वाण की प्राप्ति होती है। कहा जाता है कि भगवान बुद्ध की माता ने भी यहां की यात्रा की थी।

जैनियों की मान्यता है कि आदिनाथ ऋषभदेव का ये निर्वाण स्थल अष्टपद है। कहते है कि ऋषभदेव ने आठ पग में कैलाश यात्रा की थी। वहीं कुछ लोगों का मानना है की गुरुनानक ने भी कुछ दिन यहां रुककर ध्यान किया था। इसलिए सीखो के लिए भी ये एक पवित्र स्थान है।

Byte: डी एस पांगती, इतिहासकार


Body:पिथौरागढ़: विश्व प्रसिद्ध कैलाश मानसरोवर यात्रा आज से शुरू हो गयी है। ये यात्रा हिंदुओं के लिए तो खास मायने रखती ही है साथ ही जैन, बुध्द और सिख धर्म की आस्था का भी प्रमुख केंद्र है। विभिन्न धर्मों के लिए ये यात्रा क्यों मत्वपूर्ण मानी जाती है पेश है एक खास रिपोर्ट।

भगवान शिव के निवास स्थान कैलाश पर्वत के पास स्थित है मानसरोवर झील। मान्यता है कि भगवान विष्णु के कर कमलों से निकलकर गंगा कैलाश पर्वत की चोटी पर गिरती है जहां भगवान शिव उन्हें अपनी जटाओं में भर कर धरती में निर्मल धारा के रूप में प्रवाहित करते है। शिवपुराण, स्कंदपुराण, मत्स्य पुराण इत्यादि में कैलाश खण्ड नाम के अध्याय में इस क्षेत्र की महिमा का गुड़गान किया गया है। मानसरोवर पहाड़ों से घिरी झील है जो पुराणों में 'क्षीर सागर' के नाम से जानी जाती है। क्षीर सागर कैलाश पर्वत से 40 किलोमीटर दूरी पर है जिसमे शेष शैय्या में विष्णु और लक्ष्मी विराजित होकर पूरे संसार का संचालन करते है। कैलाश पर्वत के पूर्व भाग को क्रिस्टल, पश्चिम भाग को रूबी, उत्तर को स्वर्ण और दक्षिण भाग को नीलम माना जाता है। हिन्दू धर्म में मान्यता है कि पवित्र कैलाश के दर्शन करने और मानसरोवर झील में स्नान करने से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है। हिन्दू धर्म में मान्यता है कि कैलाश पर्वत मेरु पर्वत है जो भ्रह्माण्ड कि धुरी है और भगवान शिव का प्रमुख निवास स्थान है। यहां देवी सती का दायां हाथ गिरा था। इसलिए यहां एक पाषाण शिला को उनका रूप मानकर पूजते है और यहां शक्तिपीठ है।

कैलाश पर्वत की तलहटी में कल्पवृक्ष लगा हुआ है। बौद्ध धर्मावलंबियों की मान्यता है कि इसके केंद्र में एक वृक्ष है जिसके फलों के चिकित्सकीय गुण सभी प्रकार के शारीरिक और मानसिक रोगों का उपचार करने में सक्षम है। तिब्बतियों की मान्यता है कि कैलाश पर्वत पर एक संत कवि ने वर्षों गुफा में रहकर तपस्या की थी। तिब्बती बोनपाओं के अनुसार कैलाश में जो नौमंजिला स्वस्तिक देखा जाता है वो डेमचौक और दोरजे फांगमो का निवास स्थल है। इसे बौद्ध लोग भगवान बुद्ध और मणिपद्मा का निवास स्थान मानते है। कैलाश पर स्थित भगवान बुद्ध का अलौकिक रूप 'डेमचौक' बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए पूजनीय है। बौद्ध धर्मावलंबियों का मानना है कि इस स्थान पर आकर उन्हें निर्वाण की प्राप्ति होती है। कहा जाता है कि भगवान बुद्ध की माता ने भी यहां की यात्रा की थी।

जैनियों की मान्यता है कि आदिनाथ ऋषभदेव का ये निर्वाण स्थल अष्टपद है। कहते है कि ऋषभदेव ने आठ पग में कैलाश यात्रा की थी। वहीं कुछ लोगों का मानना है की गुरुनानक ने भी कुछ दिन यहां रुककर ध्यान किया था। इसलिए सीखो के लिए भी ये एक पवित्र स्थान है।

Byte: डी एस पांगती, इतिहासकार


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