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पिथौरागढ़ में महसूस किए गए भूकंप के झटके, रिक्टर पैमाने पर 3.6 रही तीव्रता

भूकंप के लिहाज के संवेदनशील प्रदेश उत्तराखंड में एक बार फिर शुक्रवार 19 अगस्त को धरती डोली. इस बार भूकंप के झटके सीमांत जिले पिथौरागढ़ जिला मुख्यायल से 43 किमी दूर महसूस किए गए. रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 3.6 थी.

Earthquake tremors in Pithoragarh district
पिथौरागढ़ में महसूस किए गए भूकंप के झटके
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Published : Aug 19, 2022, 3:38 PM IST

Updated : Aug 19, 2022, 3:47 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में भूकंप के झटकों से फिर धरती डोली है. पिथौरागढ़ जिले में भूकंप के झटके महसूस किये गये. भूकंप के झटके दोपहर 12.55 पर महसूस किये गये. भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 3.6 मापी गई. भूकंप के झटके महसूस होते ही लोग घरों से बाहर निकले. पिथौरागढ़ से पहले जम्मू-कश्मीर में 3.1 तीव्रता के भूकंप के झटके महसूस किए गए थे.

भूकंप के लिहाज से अति संवेदनशील है पिथौरागढ़: उत्तराखंड भूकंप के लिहाज से अति संवेदनशील जोन पांच और संवेदनशील जोन चार में आता है.अति संवेदनशील जोन पांच की बात करें तो इसमें रुद्रप्रयाग जिले के अधिकांश भाग के अलावा बागेश्वर, पिथौरागढ़, चमोली और उत्तरकाशी जिले आते है. वहीं जो क्षेत्र संवेदनशील जोन चार में हैं उनमें ऊधमसिंहनगर, नैनीताल, चंपावत, हरिद्वार, पौड़ी गढ़वाल और अल्मोड़ा जिला शामिल है. देहरादून और टिहरी का क्षेत्र दोनों जोन में आता है.

pithoragarh
पिथौरागढ़ में महसूस किए गए भूकंप के झटके

क्या होता है भूकंप: पृथ्वी की बाह्य परत में अचानक हलचल से उत्पन्न ऊर्जा के परिणाम स्वरूप भूकंप आता है. यह ऊर्जा पृथ्वी की सतह पर भूकंपी तरंगें उत्पन्न करती है, जो भूमि को हिलाकर या विस्थापित करके प्रकट होती है. भूकंप आने पर अचानक पृथ्वी की सतह हिलने लगती है और तेजी से कंपन होता है.
पढ़ें- सावधान! सिंगापुर से उत्तराखंड को चेतावनी, आ सकता है 8+ का भूकंप

क्यों आता है भूकंप
धरती मुख्य तौर पर चार परतों से बनी हुई है. इनर कोर, आउटर कोर, मैनटल और क्रस्ट. क्रस्ट और ऊपरी मैन्टल कोर को लिथोस्फेयर कहते हैं. ये 50 किलोमीटर की मोटी परत कई वर्गों में बंटी हुई है, जिसे टैकटोनिक प्लेट्स कहा जाता है. ये टैकटोनिक प्लेट्स अपनी जगह पर हिलती रहती हैं. जब ये प्लेट बहुत ज्यादा हिल जाती हैं, तो भूकंप महसूस होता है. इस दौरान एक प्लेट दूसरी प्लेट के नीचे आ जाती है.

भूकंप की तीव्रता का अंदाजा केंद्र (एपीसेंटर) से निकलने वाली ऊर्जा की तरंगों से लगाया जाता है. इन तरंगों से सैंकड़ो किलोमीटर तक कंपन होता है और धरती में दरारें तक पड़ जाती है. अगर भूकंप की गहराई उथली हो तो इससे बाहर निकलने वाली ऊर्जा सतह के काफी करीब होती है, जिससे भयानक तबाही होती है, लेकिन जो भूकंप धरती की गहराई में आते हैं, उनसे सतह पर ज्यादा नुकसान नहीं होता. समुद्र में भूकंप आने पर ऊंची और तेज लहरें उठती हैं, जिसे सुनामी भी कहते हैं.
पढ़ें- सुरंगों का जाल कहीं पहाड़ों के लिए ना बन जाए खतरा! वैज्ञानिकों ने किया आगाह

कैसे मापी जाती है भूकंप की तीव्रता
भूकंप की तीव्रता को मापने के लिए रिक्टर स्केल का पैमाना इस्तेमाल किया जाता है. इसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल कहा जाता है. रिक्टर स्केल पर भूकंप को 1 से 9 तक के आधार पर मापा जाता है. भूकंप को इसके केंद्र यानी एपीसेंटर से मापा जाता है.

भूकंप आने पर क्या करें और क्या न करें?
भूकंप के झटके महसूस होने पर बिल्कुल भी घबराएं नहीं. सबसे पहले अगर आप किसी बिल्डिंग में मौजूद हैं तो फिर बाहर निकलकर खुले में आ जाएं. बिल्डिंग से नीचे उतरते हुए लिफ्ट से बिल्कुल नहीं जाएं. यह आपके लिए भूकंप के वक्त खतरनाक हो सकता है. वहीं, अगर बिल्डिंग से नीचे उतरना संभव नहीं हो तो फिर पास की किसी मेज, ऊंची चौकी या बेड के नीचे छिप जाएं.

देहरादून: उत्तराखंड में भूकंप के झटकों से फिर धरती डोली है. पिथौरागढ़ जिले में भूकंप के झटके महसूस किये गये. भूकंप के झटके दोपहर 12.55 पर महसूस किये गये. भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 3.6 मापी गई. भूकंप के झटके महसूस होते ही लोग घरों से बाहर निकले. पिथौरागढ़ से पहले जम्मू-कश्मीर में 3.1 तीव्रता के भूकंप के झटके महसूस किए गए थे.

भूकंप के लिहाज से अति संवेदनशील है पिथौरागढ़: उत्तराखंड भूकंप के लिहाज से अति संवेदनशील जोन पांच और संवेदनशील जोन चार में आता है.अति संवेदनशील जोन पांच की बात करें तो इसमें रुद्रप्रयाग जिले के अधिकांश भाग के अलावा बागेश्वर, पिथौरागढ़, चमोली और उत्तरकाशी जिले आते है. वहीं जो क्षेत्र संवेदनशील जोन चार में हैं उनमें ऊधमसिंहनगर, नैनीताल, चंपावत, हरिद्वार, पौड़ी गढ़वाल और अल्मोड़ा जिला शामिल है. देहरादून और टिहरी का क्षेत्र दोनों जोन में आता है.

pithoragarh
पिथौरागढ़ में महसूस किए गए भूकंप के झटके

क्या होता है भूकंप: पृथ्वी की बाह्य परत में अचानक हलचल से उत्पन्न ऊर्जा के परिणाम स्वरूप भूकंप आता है. यह ऊर्जा पृथ्वी की सतह पर भूकंपी तरंगें उत्पन्न करती है, जो भूमि को हिलाकर या विस्थापित करके प्रकट होती है. भूकंप आने पर अचानक पृथ्वी की सतह हिलने लगती है और तेजी से कंपन होता है.
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क्यों आता है भूकंप
धरती मुख्य तौर पर चार परतों से बनी हुई है. इनर कोर, आउटर कोर, मैनटल और क्रस्ट. क्रस्ट और ऊपरी मैन्टल कोर को लिथोस्फेयर कहते हैं. ये 50 किलोमीटर की मोटी परत कई वर्गों में बंटी हुई है, जिसे टैकटोनिक प्लेट्स कहा जाता है. ये टैकटोनिक प्लेट्स अपनी जगह पर हिलती रहती हैं. जब ये प्लेट बहुत ज्यादा हिल जाती हैं, तो भूकंप महसूस होता है. इस दौरान एक प्लेट दूसरी प्लेट के नीचे आ जाती है.

भूकंप की तीव्रता का अंदाजा केंद्र (एपीसेंटर) से निकलने वाली ऊर्जा की तरंगों से लगाया जाता है. इन तरंगों से सैंकड़ो किलोमीटर तक कंपन होता है और धरती में दरारें तक पड़ जाती है. अगर भूकंप की गहराई उथली हो तो इससे बाहर निकलने वाली ऊर्जा सतह के काफी करीब होती है, जिससे भयानक तबाही होती है, लेकिन जो भूकंप धरती की गहराई में आते हैं, उनसे सतह पर ज्यादा नुकसान नहीं होता. समुद्र में भूकंप आने पर ऊंची और तेज लहरें उठती हैं, जिसे सुनामी भी कहते हैं.
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कैसे मापी जाती है भूकंप की तीव्रता
भूकंप की तीव्रता को मापने के लिए रिक्टर स्केल का पैमाना इस्तेमाल किया जाता है. इसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल कहा जाता है. रिक्टर स्केल पर भूकंप को 1 से 9 तक के आधार पर मापा जाता है. भूकंप को इसके केंद्र यानी एपीसेंटर से मापा जाता है.

भूकंप आने पर क्या करें और क्या न करें?
भूकंप के झटके महसूस होने पर बिल्कुल भी घबराएं नहीं. सबसे पहले अगर आप किसी बिल्डिंग में मौजूद हैं तो फिर बाहर निकलकर खुले में आ जाएं. बिल्डिंग से नीचे उतरते हुए लिफ्ट से बिल्कुल नहीं जाएं. यह आपके लिए भूकंप के वक्त खतरनाक हो सकता है. वहीं, अगर बिल्डिंग से नीचे उतरना संभव नहीं हो तो फिर पास की किसी मेज, ऊंची चौकी या बेड के नीचे छिप जाएं.

Last Updated : Aug 19, 2022, 3:47 PM IST
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