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उफनती नदी, खड़ी चढ़ाई के रास्ते सफर करने को मजबूर, देखिए दारमा घाटी की हकीकत

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Published : Jul 9, 2021, 10:02 PM IST

Updated : Jul 9, 2021, 10:55 PM IST

चीन सीमा से लगी दारमा घाटी में 15 जून से 21 जून तक आसमानी आफत ने इस कदर तांडव मचाया कि हालात अभी भी पटरी पर नहीं आये हैं. जिसके चलते दारमा घाटी के कई गांवों का संपर्क लंबे समय से देश-दुनिया से कटा हुआ है.

मजबूर दारमा घाटी के लोग
मजबूर दारमा घाटी के लोग

पिथौरागढ़: जिले की दारमा घाटी (Darma Valley) में आसमानी आफत ने ग्रामीणों की जिंदगी खतरे में (Villagers' lives in danger) डाल दी है. बीते दिनों हुई भारी बारिश के कारण दारमा घाटी की रोड और पैदल मार्ग पूरी तरह जमीदोंज हो गए हैं. जिस कारण स्थानीयों को तहसील मुख्यालय धारचूला (Tehsil Headquarter Dharchula) आने के लिए अपनी जिंदगी को खतरे में डालना पड़ रहा है.

बुजुर्ग, महिलाएं और बच्चे सभी को खतरनाक हालात में आवाजाही करना पड़ रहा है. जहां, कुछ लोग जहां खड़ी पहाड़ियों के बीच से सफर करने को मजबूर हैं तो कुछ को उफनते नालों को डंडों की मदद से पार करना पड़ रहा है.

चीन सीमा से लगी दारमा घाटी में 15 जून से 21 जून तक आसमानी आफत ने इस कदर तांडव मचाया कि हालात अभी भी पटरी पर नहीं आये हैं. आलम ये है कि तवाघाट से लेकर ढाकर तक सड़क मार्ग जगह-जगह क्षतिग्रस्त हैं. जबकि ढाकर से लेकर सीपू तक पैदल रास्ते और पुल जमींदोज हो चुके हैं.

ये भी पढ़ें: चीन-नेपाल सीमा को जोड़ने वाला कूलागाड़ पुल बहा, 100 से ज्यादा गांवों का संपर्क टूटा

जिसके चलते दारमा घाटी के कई गांवों का संपर्क लंबे समय से देश-दुनिया से कटा हुआ है. इन इलाकों में बीमार और बुजुर्गों को हेलीकॉप्टर के जरिये रेस्क्यू किया जा रहा है. वहीं, अन्य लोग जान हथेली पर रखकर सफर करने को मजबूर हैं. दारमा घाटी के लोगों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही मार्गों को दुरुस्त नहीं किया गया तो क्षेत्र की जनता उग्र आंदोलन करने को बाध्य होगी.

मजबूर दारमा घाटी के लोग

आपको बता दें कि दो रोज पूर्व हुई हुई भारी बारिश के चलते कूलागाड़ (kulagad bridge demolished)का पुल ध्वस्त होने से दारमा घाटी, व्यास और चौदास घाटी समेत सैकड़ों गावों का संपर्क कटा हुआ है. जिसके चलते 25,000 से अधिक आबादी कैद होकर रह गयी है. बीआरओ द्वारा कूलीगाड़ में बैली ब्रिज (Bailey Bridge) लगाने का प्रयास किया जा रहा है.

पिथौरागढ़: जिले की दारमा घाटी (Darma Valley) में आसमानी आफत ने ग्रामीणों की जिंदगी खतरे में (Villagers' lives in danger) डाल दी है. बीते दिनों हुई भारी बारिश के कारण दारमा घाटी की रोड और पैदल मार्ग पूरी तरह जमीदोंज हो गए हैं. जिस कारण स्थानीयों को तहसील मुख्यालय धारचूला (Tehsil Headquarter Dharchula) आने के लिए अपनी जिंदगी को खतरे में डालना पड़ रहा है.

बुजुर्ग, महिलाएं और बच्चे सभी को खतरनाक हालात में आवाजाही करना पड़ रहा है. जहां, कुछ लोग जहां खड़ी पहाड़ियों के बीच से सफर करने को मजबूर हैं तो कुछ को उफनते नालों को डंडों की मदद से पार करना पड़ रहा है.

चीन सीमा से लगी दारमा घाटी में 15 जून से 21 जून तक आसमानी आफत ने इस कदर तांडव मचाया कि हालात अभी भी पटरी पर नहीं आये हैं. आलम ये है कि तवाघाट से लेकर ढाकर तक सड़क मार्ग जगह-जगह क्षतिग्रस्त हैं. जबकि ढाकर से लेकर सीपू तक पैदल रास्ते और पुल जमींदोज हो चुके हैं.

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जिसके चलते दारमा घाटी के कई गांवों का संपर्क लंबे समय से देश-दुनिया से कटा हुआ है. इन इलाकों में बीमार और बुजुर्गों को हेलीकॉप्टर के जरिये रेस्क्यू किया जा रहा है. वहीं, अन्य लोग जान हथेली पर रखकर सफर करने को मजबूर हैं. दारमा घाटी के लोगों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही मार्गों को दुरुस्त नहीं किया गया तो क्षेत्र की जनता उग्र आंदोलन करने को बाध्य होगी.

मजबूर दारमा घाटी के लोग

आपको बता दें कि दो रोज पूर्व हुई हुई भारी बारिश के चलते कूलागाड़ (kulagad bridge demolished)का पुल ध्वस्त होने से दारमा घाटी, व्यास और चौदास घाटी समेत सैकड़ों गावों का संपर्क कटा हुआ है. जिसके चलते 25,000 से अधिक आबादी कैद होकर रह गयी है. बीआरओ द्वारा कूलीगाड़ में बैली ब्रिज (Bailey Bridge) लगाने का प्रयास किया जा रहा है.

Last Updated : Jul 9, 2021, 10:55 PM IST
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