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न सड़क, न अस्पताल, बुनियादी सुविधाओं से कोसों दूर CM धामी का पैतृक गांव

सूबे में भले ही इन 20 सालों में 11 मुख्यमंत्री बदल गए हों, लेकिन आज भी पहाड़ों में विकास नहीं पहुंच पाई है. जिनमें सीएम पुष्कर सिंह धामी का पैतृक गांव टुंडी भी शामिल है. जहां न तो अस्पताल हैं, न ही सड़क सुविधा. आज भी बीमार और गर्भवती महिलाओं को डोली में लादकर 5 किलोमीटर दूर सड़क तक पहुंचाना पड़ता है.

pushkar singh dhami village tundi
पुष्कर सिंह धामी का गांव टुंडी
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Published : Jul 15, 2021, 8:13 PM IST

Updated : Jul 15, 2021, 9:40 PM IST

पिथौरागढ़: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के पैतृक गांव टुंडी में आज भी लोग अदिम युग सा जीवन जीने को मजबूर हैं. आजादी के 7 दशक बीत जाने के बाद भी ये गांव सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा और संचार जैसी मूलभूत सुविधाओं से पूरी तरह अछूता है. आलम ये है कि ग्रामीणों को जिला मुख्यालय जाने या आस-पास की बाजार से सामान लाने के लिए भी 5 किलोमीटर की दूरी पैदल नापनी पड़ती है. जिसके बाद ही सड़क के दर्शन हो पाते हैं. ग्रामीण अब सीएम से गांव की तस्वीर बदलने की आस लगाए बैठे हैं.

बता दें कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का पैतृक गांव टुंडी, कनालीछीना विकासखंड के ग्राम पंचायत बारमो के अंतर्गत आता है. जो पेयजल मंत्री बिशन सिंह चुफाल का विधानसभा क्षेत्र है. मौजूदा समय में इस गांव में कुल 35 परिवार निवास करते हैं, जो काफी कठिन परिस्थितियों में अपना जीवन गुजारने को मजबूर हैं. गांव में स्वास्थ्य सेवाओं की बात करना तो बेमानी ही है. आलम ये है कि सीएम के गांव में एक एएनएम सेंटर तक नहीं है.

CM धामी के पैतृक गांव में विकास कोसों दूर.

ये भी पढ़ेंः CM पुष्कर सिंह धामी के पैतृक गांव टुंडी में जश्न का माहौल

हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की पढ़ाई करने के लिए छात्रों को 10 किलोमीटर दूर छड़नदेव इंटर कॉलेज जाना पड़ता है. गांव के अधिकांश युवा बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं. गांव में रोजगार का एकमात्र साधन कृषि और पशुपालन है, लेकिन सड़क नहीं होने के कारण लोग गांव का उत्पाद बाजार तक नहीं पहुंचा पाते हैं.

पुष्कर सिंह धामी के सीएम बनने से उनके रिश्तेदार और गांव के लोग काफी उत्साहित हैं. साथ ही ग्रामीणों की कई उम्मीदें भी सीएम पर टिकी हुई हैं. रिश्ते में सीएम की दीदी पौत्री देवी ने उन्हें मुख्यमंत्री बनने की बधाई देते हुए कहा कि पूरे प्रदेश की जनता को उनसे उम्मीदें हैं, जिस पर उन्हें खरा उतरना है. साथ ही उन्होंने गांव को सड़क से जोड़ने की मांग की है.

ये भी पढ़ेंः 20 साल में 11 मुख्यमंत्री, फिर भी नहीं बदली पहाड़ की नियति, आज भी कंधों पर 'जिंदगी'

टुंडी के रहने वाले बहादुर सिंह बताते हैं कि गांव की मुख्य समस्या सड़क का न होना है, जिस कारण बीमार और गर्भवती महिलाओं को डोली में लादकर 5 किलोमीटर दूर सड़क तक पहुंचाना पड़ता है. उन्होंने सीएम से गांव को सड़क से जोड़ने की मांग की है. ललित सिंह भी बताते हैं कि गांव के अधिकांश युवा उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बावजूद घरों में बेरोजगार बैठे हैं. जिनके लिए रोजगार के अवसर मुहैया कराए जाएं.

पुष्कर सिंह धामी के रिश्ते में चाचा बताते हैं कि गांव को जोड़ने वाले सभी रास्ते भी पूरी तरह खस्ताहाल हैं. जिस कारण ग्रामीणों को आए दिन परेशानियों का सामना करना पड़ता है. उन्होंने सीएम से गांव की सुध लेने की गुजारिश की है.

ये भी पढ़ेंः स्वरोजगार की नजीर पेश कर रहे पिथौरागढ़ के 'Apple Man'

गौर हो कि पुष्कर सिंह धामी के सीएम बनने के बाद नेपाल बॉर्डर से सटा टुंडी गांव लाइमलाइट में आ गया है. आज के डिजिटल दौर में भी सीएम का गांव मुख्यधारा से कोसों दूर है. ऐसे में देखना ये है कि सीएम अपने पैतृक गांव की तस्वीर बदलते हैं या फिर यहां चिराग तले अंधेरा ही रहता है.

पिथौरागढ़: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के पैतृक गांव टुंडी में आज भी लोग अदिम युग सा जीवन जीने को मजबूर हैं. आजादी के 7 दशक बीत जाने के बाद भी ये गांव सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा और संचार जैसी मूलभूत सुविधाओं से पूरी तरह अछूता है. आलम ये है कि ग्रामीणों को जिला मुख्यालय जाने या आस-पास की बाजार से सामान लाने के लिए भी 5 किलोमीटर की दूरी पैदल नापनी पड़ती है. जिसके बाद ही सड़क के दर्शन हो पाते हैं. ग्रामीण अब सीएम से गांव की तस्वीर बदलने की आस लगाए बैठे हैं.

बता दें कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का पैतृक गांव टुंडी, कनालीछीना विकासखंड के ग्राम पंचायत बारमो के अंतर्गत आता है. जो पेयजल मंत्री बिशन सिंह चुफाल का विधानसभा क्षेत्र है. मौजूदा समय में इस गांव में कुल 35 परिवार निवास करते हैं, जो काफी कठिन परिस्थितियों में अपना जीवन गुजारने को मजबूर हैं. गांव में स्वास्थ्य सेवाओं की बात करना तो बेमानी ही है. आलम ये है कि सीएम के गांव में एक एएनएम सेंटर तक नहीं है.

CM धामी के पैतृक गांव में विकास कोसों दूर.

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हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की पढ़ाई करने के लिए छात्रों को 10 किलोमीटर दूर छड़नदेव इंटर कॉलेज जाना पड़ता है. गांव के अधिकांश युवा बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं. गांव में रोजगार का एकमात्र साधन कृषि और पशुपालन है, लेकिन सड़क नहीं होने के कारण लोग गांव का उत्पाद बाजार तक नहीं पहुंचा पाते हैं.

पुष्कर सिंह धामी के सीएम बनने से उनके रिश्तेदार और गांव के लोग काफी उत्साहित हैं. साथ ही ग्रामीणों की कई उम्मीदें भी सीएम पर टिकी हुई हैं. रिश्ते में सीएम की दीदी पौत्री देवी ने उन्हें मुख्यमंत्री बनने की बधाई देते हुए कहा कि पूरे प्रदेश की जनता को उनसे उम्मीदें हैं, जिस पर उन्हें खरा उतरना है. साथ ही उन्होंने गांव को सड़क से जोड़ने की मांग की है.

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टुंडी के रहने वाले बहादुर सिंह बताते हैं कि गांव की मुख्य समस्या सड़क का न होना है, जिस कारण बीमार और गर्भवती महिलाओं को डोली में लादकर 5 किलोमीटर दूर सड़क तक पहुंचाना पड़ता है. उन्होंने सीएम से गांव को सड़क से जोड़ने की मांग की है. ललित सिंह भी बताते हैं कि गांव के अधिकांश युवा उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बावजूद घरों में बेरोजगार बैठे हैं. जिनके लिए रोजगार के अवसर मुहैया कराए जाएं.

पुष्कर सिंह धामी के रिश्ते में चाचा बताते हैं कि गांव को जोड़ने वाले सभी रास्ते भी पूरी तरह खस्ताहाल हैं. जिस कारण ग्रामीणों को आए दिन परेशानियों का सामना करना पड़ता है. उन्होंने सीएम से गांव की सुध लेने की गुजारिश की है.

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गौर हो कि पुष्कर सिंह धामी के सीएम बनने के बाद नेपाल बॉर्डर से सटा टुंडी गांव लाइमलाइट में आ गया है. आज के डिजिटल दौर में भी सीएम का गांव मुख्यधारा से कोसों दूर है. ऐसे में देखना ये है कि सीएम अपने पैतृक गांव की तस्वीर बदलते हैं या फिर यहां चिराग तले अंधेरा ही रहता है.

Last Updated : Jul 15, 2021, 9:40 PM IST
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