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दयनीय स्थिति में पहुंचा 22 करोड़ की लागत से बना इंजीरियरिंग कॉलेज, डीएम ने दी चेतावनी

22 करोड़ रुपए खर्च करने के बावजूद भी पिथौरागढ़ के मड़ में बना इंजीनियरिंग कॉलेज क्षतिग्रस्त हालत में पहुंच चुका है. वहीं, डीएम ने कार्यदायी संस्था को कॉलेज को जल्द दुरुस्त कराने की सख्त चेतावनी दी है.

pithoragarh
इंजीरियरिंग कॉलेज क्षतिग्रस्त
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Published : Jul 24, 2021, 10:18 PM IST

पिथौरागढ़: मड़ क्षेत्र में तैयार इंजीनियरिंग कॉलेज संचालन से पहले ही जर्जर हालत में पहुंच गया है. कॉलेज परिसर के आस-पास लैंडस्लाइड हो रहा है. बिल्डिंग की दीवारें कई जगह टूट चुकी हैं. इतना ही नहीं परिसर के चारों ओर बड़ी-बड़ी झाड़ियां भी उग आई हैं. इस बिल्डिंग को बनाने में अब तक 22 करोड़ रुपए खर्च किया जा चुका है.

बता दें कि साल 2011 में भाजपा सरकार ने सीमांत इंजीनियरिंग कॉलेज को स्वीकृत किया था. लेकिन परिसर नहीं होने के कारण अन्य सरकारी बिल्डिंग में इसका संचालन किया जाने लगा. वहीं, कांग्रेस सरकार ने साल 2013 से इंजीनियरिंग कॉलेज के स्थाई परिसर का निर्माण कार्य मड़ में शुरू कराया था. बीते 8 सालों में यूपी निर्माण निगम ने मुख्य परिसर सहित कुछ बिल्डिंग तैयार की हैं. लेकिन ये बिल्डिंग उपयोग में आने से पहले ही खंडहर में तब्दील हो चुकी हैं.

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वही, वित्तीय अनियमितताओं की शिकायत पर इंजीनियरिंग कॉलेज के निदेशक प्रो. अंबरीष एस विद्यार्थी की पहले ही छुट्टी हो चुकी है, जिससे ये साबित होता है कि निर्माण कार्यों में जमकर धांधली हुई है. निदेशक को हटाने के बाद कॉलेज का जिम्मा जिलाधिकारी को सौंपा गया है. वहीं, डीएम आनंद स्वरूप का कहना है कि पूर्व निदेशक के चलते कॉलेज का ये हाल हुआ है. इतना ही नहीं डीएम ने कार्यदायी संस्था को भी कॉलेज को जल्द दुरुस्त कराने की सख्त चेतावनी भी है.

ये भी पढ़ें: सावन में कांवड़ियों पर नजर: बॉर्डर, गंगा घाटों पर तैनात हैं 900+ पुलिसकर्मी

वहीं विधायक चंद्रा पंत का कहना है कि इंजीनियरिंग कॉलेज के निर्माण कार्यों की जांच को लेकर मुख्यमंत्री सीएम पुष्कर सिंह धामी को पत्र भेजा गया है. विधायक पंत ने कहा कि निर्माण कार्यों में लापरवाही बरतने वाल अधिकारियों के खिलाफ सख्त से कार्रवाई अमल में लाई जाएगी.

पिथौरागढ़: मड़ क्षेत्र में तैयार इंजीनियरिंग कॉलेज संचालन से पहले ही जर्जर हालत में पहुंच गया है. कॉलेज परिसर के आस-पास लैंडस्लाइड हो रहा है. बिल्डिंग की दीवारें कई जगह टूट चुकी हैं. इतना ही नहीं परिसर के चारों ओर बड़ी-बड़ी झाड़ियां भी उग आई हैं. इस बिल्डिंग को बनाने में अब तक 22 करोड़ रुपए खर्च किया जा चुका है.

बता दें कि साल 2011 में भाजपा सरकार ने सीमांत इंजीनियरिंग कॉलेज को स्वीकृत किया था. लेकिन परिसर नहीं होने के कारण अन्य सरकारी बिल्डिंग में इसका संचालन किया जाने लगा. वहीं, कांग्रेस सरकार ने साल 2013 से इंजीनियरिंग कॉलेज के स्थाई परिसर का निर्माण कार्य मड़ में शुरू कराया था. बीते 8 सालों में यूपी निर्माण निगम ने मुख्य परिसर सहित कुछ बिल्डिंग तैयार की हैं. लेकिन ये बिल्डिंग उपयोग में आने से पहले ही खंडहर में तब्दील हो चुकी हैं.

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वही, वित्तीय अनियमितताओं की शिकायत पर इंजीनियरिंग कॉलेज के निदेशक प्रो. अंबरीष एस विद्यार्थी की पहले ही छुट्टी हो चुकी है, जिससे ये साबित होता है कि निर्माण कार्यों में जमकर धांधली हुई है. निदेशक को हटाने के बाद कॉलेज का जिम्मा जिलाधिकारी को सौंपा गया है. वहीं, डीएम आनंद स्वरूप का कहना है कि पूर्व निदेशक के चलते कॉलेज का ये हाल हुआ है. इतना ही नहीं डीएम ने कार्यदायी संस्था को भी कॉलेज को जल्द दुरुस्त कराने की सख्त चेतावनी भी है.

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वहीं विधायक चंद्रा पंत का कहना है कि इंजीनियरिंग कॉलेज के निर्माण कार्यों की जांच को लेकर मुख्यमंत्री सीएम पुष्कर सिंह धामी को पत्र भेजा गया है. विधायक पंत ने कहा कि निर्माण कार्यों में लापरवाही बरतने वाल अधिकारियों के खिलाफ सख्त से कार्रवाई अमल में लाई जाएगी.

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