श्रीनगरः उत्तराखंड के पारंपरिक भोजनों को पहचान दिलाने के लिए श्रीनगर में गढ़ भोज प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. प्रतियोगिता में 14 महिला समूहों ने हिस्सा लिया. जिसमें से तीन महिला समूहों को पुरस्कार भी वितरित किया गया. गढ़ भोज प्रतियोगिता में महिलाओं ने पारंपरिक वेषभूषा में पहाड़ी व्यंजनों को बनाया. साथ ही इन व्यंजनों को प्रतियोगिता में मौजूद लोगों को भी परोसा गया.
गढ़ भोज प्रतियोगिता में खासकर कोदे की रोटी, भड्डू कु साग, कंडाली कु साग (बिच्छू घास) समेत अन्य पहाड़ी व्यंजन आकर्षण का केंद्र रहे. प्रतिभागियों का कहना था कि इस तरह के आयोजन जहां पहाड़ के पारंपरिक भोजन को जीवित रखने का काम कर रही हैं तो वहीं मोटे अनाज के संरक्षण व संवर्धन में भी अहम योगदान निभा रहे हैं. उन्होंने कहा कि सरकारी अस्पतालों समेत चारधाम यात्रा मार्गों पर पहाड़ी व्यंजनों के आउटलेट लगाए जाने चाहिए. जिससे स्थानीय लोगों की आजीविका चलने के साथ-साथ ही पहाड़ी जायका देश-विदेश तक पहुंच सके.
दरअसल, 'सेवा भी सम्मान भी' कार्यक्रम के तहत श्रीनगर में गढ़ भोज प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. जिसमें नगर क्षेत्र की करीब 14 महिला समूह से जुड़ी हुई महिलाओं ने प्रतिभाग कर अपनी पाक कला का प्रदर्शन किया. इस अवसर पर सबसे स्वादिष्ट गढ़ भोज परोसने वाली महिला समूह कुटुंब एजेंसी मोहल्ला को पहला स्थान मिला. नगीना महिला समूह कोठड दूसरा और वृंदावन महिला समूह ने तीसरा स्थान हासिल किया.
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सामाजिक कार्यकर्ता गिरीश पैन्यूली, गढ़वाल विश्वविद्यालय की प्रोफेसर रजनी पैन्थवाल, सब इंस्पेक्टर परवीना सिदोला ने विजेता टीमों को पुरस्कृत किया. सामाजिक कार्यकर्ता गिरीश पैन्यूली ने कहा कि लगातार पाश्चात्य संस्कृति हमारी पहाड़ की संस्कृति पर हावी हो रही है. ऐसे में पहाड़ों के पारंपरिक भोजन को बचाने और इसके संवर्धन के लिए यह प्रतियोगिता आयोजित की जा रही है.
लोगों ने खूब लिए चटकारेः प्रतियोगिता में लोगों ने पारंपरिक गढ़ भोज का खूब लुत्फ लिया. जिसमें कंडाली का साग, भट का फाणा, भंगजीरे की चटनी, मीठा भात, रोट अडसे, तिल की चटनी, कोदे की रोटी के चटकारे लोगों ने जमकर लिए. बता दें कि हंस फाउंडेशन के संस्थापक मंगला माता और भोले जी महाराज के सहयोग से यह प्रतियोगिता आयोजित की जा रही है. आने वाले समय में इस प्रतियोगिता को और भी भव्य रूप दिया जाएगा.
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