कोटद्वार: गर्मी का सीजन आते ही क्षेत्र में पानी की किल्लत शुरू हो जाती है. दिनों-दिन बढ़ रही गर्मी के कारण प्राकृतिक जल स्रोत भी सूखने लगे है. जिस कारण पानी की तलाश में जंगली जानवर आबादी का रुख कर रहे हैं. ऐसे में इंसानों और वन्यजीव संघर्ष को रोकने के लिए वन विभाग ने भी अपनी कमर कस ली है. वन्यजीवों की प्यास बुझाने के लिए वन महकमे ने जंगलों में वाटर होल्स बनाने शुरू कर दिए हैं.
बता दें कि लैंसडौन वन प्रभाग 43, 327 हेक्टेयर भूमि पर फैला है. जो लालढांग,कोटद्वार, कोटड़ी, दुगड्डा और लैंसडौन रेंजों से मिलकर बना है. इनमें से ज्यादातर वन रेंजों में नदियां हैं, जिनसे जानवर अपनी प्यास बुझा लेते है. लेकिन वन प्रभाग की लालढांग और कोटद्वार रेंज में रहने वाले वन्यजीव केवल प्राकृतिक जल स्रोतों पर ही निर्भर हैं. लेकिन भीषण गर्मी के चलते ये स्रोत भी सूख गए है. जिसके चलते अब जंगली जानवर पानी की तलाश में आबादी का रुख कर रहे है.
वहीं. इस मामले में लैंसडौन वन प्रभाग के डीएफओ वैभव कुमार ने बताया कि लैंसडौन वन प्रभाग के दुगड्डा, कोटड़ीऔर लैंसडौन रेंजों में पानी के लिए प्राकृतिक जल स्रोत और नदियां हैं. लेकिन लालढांग और कोटद्वार रेंज पानी की दृष्टि से संवदेनशील क्षेत्र है. पानी की तलाश में जंगली जानवर आबादी का रुख ना करे इसके लिए वन विभाग ने तैयारियां शुरू कर दी है.
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जिसके चलते वन विभाग टाइगर प्रोजेक्ट एलीफेंट केंद्र पोषित योजनाओं के अंतर्गत जंगलों में वाटर होल बनाये जा रहे हैं. साथ ही प्राकृतिक स्रोतों को पुनर्जीवित भी किया जा रहा हैऔर जरुरत पड़ने पर टैंकरों से भी वाटर होल्स में पानी डाला जाएगा. ताकि जानवरों की पानी की जरुरत को पूरा किया जा सके.