कोटद्वार: उत्तराखंड में जहां सरकार टूरिस्ट के लिए नई डेस्टिनेशन तलाश रही है. प्रदेश में अन्य जगहों की तरह ऐता गांव भी टूरिस्ट प्लेस के रूप में तेजी से विकसित हो रहा है. गांव की सबसे खास बात ये है कि इस गांव में कभी पलायन नहीं हुआ. मूलभूत सुविधाएं भरपूर हैं. खेत हरे-भरे नजर आते हैं. लेकिन, खोह नदी के किनारे पर बसे ऐता गांव पर बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है.
सरकार से सुरक्षा की आस लगाए लोग विधायक से लेकर स्थानीय प्रशासन तक से गुहार लगा चुके हैं. वर्तमान स्थिति ये है कि अगर सुरक्षा के लिए जल्द ही कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो ग्रामीणों की जान खतरे में आ सकती है. बीते 25 से 30 सालों में खोह नदी ने गांव की करीब 100 मीटर खेती को अपने तेज बहाव में लील लिया है. नदी के तेज बहाव से गांव पर भी खतरा मंडरा रहा है.
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मामले में सिंचाई विभाग के अधिकारियों का कहना है कि गांव से हो रहे भूमि कटान का मामला संज्ञान में है. विभाग के अधिशासी अभियंता सुबोध मैठाणी का कहना है कि गांव की सुरक्षा के लिए तीन बार प्रस्ताव भेजा जा चुका है. धनराशि मिलने के बाद काम शुरू किया जाएगा.