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DU के ग्रेजुएट दो युवाओं ने गांव लौट कर बदल दी किस्मत, 10 हेक्टेयर बंजर भूमि पर उगा दिया 'सोना'

उत्तराखंड का पौड़ी जिला पलायन की वजह से बदनाम हो चुका है. यहां के युवाओं के कदम लगातार रोजगार की तलाश शहरों की तरफ बढ़ रहे हैं, जिससे पहाड़ खाली होते जा रहे हैं. लेकिन दो युवा ऐसे भी हैं, जो दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन कर पहाड़ लौटे और 10 हेक्टेयर बंजर भूमि को आबाद कर दिया. अब उनकी मेहनत की बदौलत इस बंजर भूमि पर फसलें लहलहा रही हैं. इतना ही नहीं होम स्टे से लेकर मत्स्य पालन आदि भी ये युवा कर रहे हैं.

youth doing Agriculture in barren land
बंजर भूमि पर 'सोना' उगा रहे युवा
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Published : Jun 26, 2023, 10:38 AM IST

Updated : Jun 26, 2023, 2:04 PM IST

युवाओं ने गांव लौट कर बदल दी किस्मत.

श्रीनगरः उत्तराखंड के पहाड़ी राज्यों से पलायन बदस्तूर जारी है. आलम ये है कि कई गांव खाली हो चुके हैं, जिन्हें भुतहा गांव भी कहा जाने लगा है. पलायन के मामले में पौड़ी पहले पायदान पर है. यह जिला पलायन के लिए बदनाम हो चुका है, लेकिन कुछ युवा ऐसे भी जो रिवर्स पलायन कर रहे हैं. जिनमें पौड़ी के घंडियाल के दो युवा भी शामिल हैं. इन युवाओं ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन करने के बाद अपने गांव लौटकर बंजर भूमि को आबाद कर दिखाया है.

पहाड़ी क्षेत्रों में रोजगार समेत अन्य मूलभूत सुविधाओं के अभाव में लोग लगातार पलायन कर रहे हैं. युवा वर्ग रोजगार की तलाश में मैदानी क्षेत्रों की तरफ रुख कर रहे हैं. जिसके चलते पहाड़ लगातार खाली होते जा रहे हैं. खासकर युवा वर्ग अच्छी शिक्षा और रोजगार की तलाश में पहाड़ छोड़ रहे हैं. लेकिन इसके इतर कुछ युवा ऐसे भी हैं, जो शहरों की चकाचौंध की दुनिया को छोड़, फिर से पहाड़ में बस रहे हैं. ऐसे ही दो युवा परमजय रावत और मनंजय रावत हैं, जो युवाओं के लिए नजीर पेश कर रहे हैं.
ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड के बेरोजगार युवा सुखदेव पंत से लें सीख! फूलों और फलों के जरिये कर रहे रोजगार सृजन

परमजय रावत और मनंजय रावत ने बंजर भूमि को बनाया खेती योग्यः दरअसल, ये दोनों युवक बीते 5 सालों से लगातार अपने गांव में कृषि, बागवानी, पशुपालन, मत्स्य पालन के क्षेत्र में काम कर रहे हैं. दोनों युवकों ने करीब 500 नाली बंजर भूमि को खेती योग्य बनाकर इस पर सोना उगाने का काम किया है. परमजय रावत बताते हैं कि आज पहाड़ों में रोजगार न मिलने पर जिस तरह से लोग लगातार पलायन कर रहे हैं, यह चिंताजनक है. लेकिन इच्छा शक्ति हो तो हर कार्य संभव हो सकता है.

होम स्टे के साथ मत्स्य पालन भी कर रहे दोनों युवाः सरकार भी रोजगार के क्षेत्र में कई योजनाएं चला रही है, जिसका लाभ लेकर रोजगार की शुरुआत कर सकते हैं. उन्होंने बताया कि वो गांव में खेतीबाड़ी के साथ पशुपालन और मत्स्य पालन भी कर रहे हैं. अब होम स्टे बनाकर पहाड़ी क्षेत्रों को रोजगार योग्य बनाने का काम कर रहे हैं. परमजय का कहना है कि सरकार को पहाड़ी क्षेत्रों में बन रहे होम स्टे के प्रचार प्रसार पर भी काम करना चाहिए, ताकि पहाड़ों पर बने होम स्टे की तरफ लोग आकर्षित हो सकें.
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वहीं, मनंजय रावत ने बताया कि उनके प्रयासों को देखने पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, मंत्री सुबोध उनियाल समेत अन्य लोग भी पहुंचे हैं. उनका साफ कहना है कि पहाड़ में तमाम तरह की संभावनाएं हैं. बस उसके लिए युवाओं को इच्छा शक्ति के साथ दिलचस्पी भी दिखानी होगी. इसके साथ मेहनत भी करनी होगी, लेकिन आज युवा खेती से मुंह मोड़ रहा है. ऐसे में इस ओर ध्यान देना आय का जरिया भी बन सकता है.

उत्तराखंड पलायन निवारण आयोग ने युवाओं के प्रयास को सराहाः पलायन निवारण आयोग के सदस्य दिनेश रावत ने इन दोनों युवाओं के प्रयासों को सराहा है. उनका कहना है कि इन युवाओं से लोगों को सीख लेनी चाहिए. इसी तरह खाली हो रहे गांवों को आबाद किया जा सकता है. रोजगार के साधन घरों में ही हैं, सिर्फ लगन से काम करने की जरूरत है.
ये भी पढ़ेंः पौड़ी में बहू सोनी बिष्ट ने ससुराल में शुरू किया स्वरोजगार, हर महीने कमा रहीं 15 से 20 हजार

युवाओं ने गांव लौट कर बदल दी किस्मत.

श्रीनगरः उत्तराखंड के पहाड़ी राज्यों से पलायन बदस्तूर जारी है. आलम ये है कि कई गांव खाली हो चुके हैं, जिन्हें भुतहा गांव भी कहा जाने लगा है. पलायन के मामले में पौड़ी पहले पायदान पर है. यह जिला पलायन के लिए बदनाम हो चुका है, लेकिन कुछ युवा ऐसे भी जो रिवर्स पलायन कर रहे हैं. जिनमें पौड़ी के घंडियाल के दो युवा भी शामिल हैं. इन युवाओं ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन करने के बाद अपने गांव लौटकर बंजर भूमि को आबाद कर दिखाया है.

पहाड़ी क्षेत्रों में रोजगार समेत अन्य मूलभूत सुविधाओं के अभाव में लोग लगातार पलायन कर रहे हैं. युवा वर्ग रोजगार की तलाश में मैदानी क्षेत्रों की तरफ रुख कर रहे हैं. जिसके चलते पहाड़ लगातार खाली होते जा रहे हैं. खासकर युवा वर्ग अच्छी शिक्षा और रोजगार की तलाश में पहाड़ छोड़ रहे हैं. लेकिन इसके इतर कुछ युवा ऐसे भी हैं, जो शहरों की चकाचौंध की दुनिया को छोड़, फिर से पहाड़ में बस रहे हैं. ऐसे ही दो युवा परमजय रावत और मनंजय रावत हैं, जो युवाओं के लिए नजीर पेश कर रहे हैं.
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परमजय रावत और मनंजय रावत ने बंजर भूमि को बनाया खेती योग्यः दरअसल, ये दोनों युवक बीते 5 सालों से लगातार अपने गांव में कृषि, बागवानी, पशुपालन, मत्स्य पालन के क्षेत्र में काम कर रहे हैं. दोनों युवकों ने करीब 500 नाली बंजर भूमि को खेती योग्य बनाकर इस पर सोना उगाने का काम किया है. परमजय रावत बताते हैं कि आज पहाड़ों में रोजगार न मिलने पर जिस तरह से लोग लगातार पलायन कर रहे हैं, यह चिंताजनक है. लेकिन इच्छा शक्ति हो तो हर कार्य संभव हो सकता है.

होम स्टे के साथ मत्स्य पालन भी कर रहे दोनों युवाः सरकार भी रोजगार के क्षेत्र में कई योजनाएं चला रही है, जिसका लाभ लेकर रोजगार की शुरुआत कर सकते हैं. उन्होंने बताया कि वो गांव में खेतीबाड़ी के साथ पशुपालन और मत्स्य पालन भी कर रहे हैं. अब होम स्टे बनाकर पहाड़ी क्षेत्रों को रोजगार योग्य बनाने का काम कर रहे हैं. परमजय का कहना है कि सरकार को पहाड़ी क्षेत्रों में बन रहे होम स्टे के प्रचार प्रसार पर भी काम करना चाहिए, ताकि पहाड़ों पर बने होम स्टे की तरफ लोग आकर्षित हो सकें.
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वहीं, मनंजय रावत ने बताया कि उनके प्रयासों को देखने पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, मंत्री सुबोध उनियाल समेत अन्य लोग भी पहुंचे हैं. उनका साफ कहना है कि पहाड़ में तमाम तरह की संभावनाएं हैं. बस उसके लिए युवाओं को इच्छा शक्ति के साथ दिलचस्पी भी दिखानी होगी. इसके साथ मेहनत भी करनी होगी, लेकिन आज युवा खेती से मुंह मोड़ रहा है. ऐसे में इस ओर ध्यान देना आय का जरिया भी बन सकता है.

उत्तराखंड पलायन निवारण आयोग ने युवाओं के प्रयास को सराहाः पलायन निवारण आयोग के सदस्य दिनेश रावत ने इन दोनों युवाओं के प्रयासों को सराहा है. उनका कहना है कि इन युवाओं से लोगों को सीख लेनी चाहिए. इसी तरह खाली हो रहे गांवों को आबाद किया जा सकता है. रोजगार के साधन घरों में ही हैं, सिर्फ लगन से काम करने की जरूरत है.
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Last Updated : Jun 26, 2023, 2:04 PM IST
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