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शिक्षकों ने बच्चों को सिखाई पत्र लेखन की बारीकी, संगे संबंधियों से आ रहे जवाब

राजकीय आदर्श विद्यालय पौड़ी के शिक्षकों की यह पहल लोगों को भी बहुत भा रही है. जहां आज के समय में बच्चे मोबाइल फोन ओर इंटरनेट की दुनिया में इतना खो गए हैं कि जिसके कारण लगातार बच्चे अलग-अलग प्रकार की बीमारियों से भी ग्रस्त हो रहे हैं.

शिक्षकों ने बच्चों को सिखाई पत्र लेखन की बारीकी.
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Published : Sep 7, 2019, 2:39 PM IST

पौड़ी: आधुनिक युग में बढ़ते संसाधनों से हम पत्र लेखन को भूलते जा रहे हैं. आज जमाना काफी हाईटेक हो गया है, जिसके चलते हम आज मोबाइल ई-मेल के जरिए अपने रिश्तेदारों और मित्रों को आसानी से संपर्क कर सकते हैं. वहीं, पौड़ी के प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों की पहल से यहां पढ़ने वाले नौनिहालों को पत्र लेखन और उसके महत्व की जानकारी दी जा रही है.

शिक्षकों ने बच्चों को सिखाई पत्र लेखन की बारीकी.

गौर हो कि राजकीय आदर्श विद्यालय पौड़ी के शिक्षकों की यह पहल लोगों को भी बहुत भा रही है. जहां आज के समय में बच्चे मोबाइल फोन ओर इंटरनेट की दुनिया में इतना खो गए हैं कि जिसके कारण लगातार बच्चे अलग-अलग प्रकार की बीमारियों से भी ग्रस्त हो रहे हैं. वहीं शिक्षकों के इस प्रयास से बच्चों ने पत्र लेखन को सीखा. शिक्षकों की पहल से यहां पढ़ने वाले नौनिहालों को पत्र लेखन और उसके महत्व की जानकारी दी जा रही है. आदर्श विद्यालय के शिक्षकों की यह पहल रंग लाती भी दिखाई पड़ रही है.

पढ़ें-शर्मनाक! टपकती छत के नीचे छाता लगाकर पढ़ाई कर रहे हैं छात्र

बच्चों द्वारा अपने मित्रों और संबंधियों को भेजे गए पत्रों का जवाब भी उन्हें मिल रहे हैं, जिससे वे काफी उत्साहित हैं. शिक्षकों का कहना है कि पत्राचार से जो भावना मन के अंदर उत्पन्न होती थी, आज के समय में वह भावना मोबाइल और मैसेज से नहीं हो सकती. पत्रों को संग्रहित करके भी रखा जा सकता है और ये पत्र हर समय हमारे गुजरे हुए समय की झलक हमें याद दिलाती रहती है. आधुनिक युग में शिक्षकों की यह पहल बहुत ही सराहनीय है. जो विलुप्त हो रही हमारी परंपरा में जान फूंकने की कोशिश कर ही रही है.

पौड़ी: आधुनिक युग में बढ़ते संसाधनों से हम पत्र लेखन को भूलते जा रहे हैं. आज जमाना काफी हाईटेक हो गया है, जिसके चलते हम आज मोबाइल ई-मेल के जरिए अपने रिश्तेदारों और मित्रों को आसानी से संपर्क कर सकते हैं. वहीं, पौड़ी के प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों की पहल से यहां पढ़ने वाले नौनिहालों को पत्र लेखन और उसके महत्व की जानकारी दी जा रही है.

शिक्षकों ने बच्चों को सिखाई पत्र लेखन की बारीकी.

गौर हो कि राजकीय आदर्श विद्यालय पौड़ी के शिक्षकों की यह पहल लोगों को भी बहुत भा रही है. जहां आज के समय में बच्चे मोबाइल फोन ओर इंटरनेट की दुनिया में इतना खो गए हैं कि जिसके कारण लगातार बच्चे अलग-अलग प्रकार की बीमारियों से भी ग्रस्त हो रहे हैं. वहीं शिक्षकों के इस प्रयास से बच्चों ने पत्र लेखन को सीखा. शिक्षकों की पहल से यहां पढ़ने वाले नौनिहालों को पत्र लेखन और उसके महत्व की जानकारी दी जा रही है. आदर्श विद्यालय के शिक्षकों की यह पहल रंग लाती भी दिखाई पड़ रही है.

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बच्चों द्वारा अपने मित्रों और संबंधियों को भेजे गए पत्रों का जवाब भी उन्हें मिल रहे हैं, जिससे वे काफी उत्साहित हैं. शिक्षकों का कहना है कि पत्राचार से जो भावना मन के अंदर उत्पन्न होती थी, आज के समय में वह भावना मोबाइल और मैसेज से नहीं हो सकती. पत्रों को संग्रहित करके भी रखा जा सकता है और ये पत्र हर समय हमारे गुजरे हुए समय की झलक हमें याद दिलाती रहती है. आधुनिक युग में शिक्षकों की यह पहल बहुत ही सराहनीय है. जो विलुप्त हो रही हमारी परंपरा में जान फूंकने की कोशिश कर ही रही है.

Intro:आधुनिक युग में बढ़ते आधुनिक संसाधनों से हम अपनी पुरानी सभ्यता पत्र लेखन को धीमी धीमी भूलते ही जा रहे हैं आज जमाना काफी हाईटेक हो गया है जिसके चलते हम आज मोबाइल ईमेल के जरिए अपने रिश्तेदारों और मित्रों के साथ समन्वय बना रहे हैं लेकिन पहले के समय में पत्र लेखन की मदद से ही रिश्तेदार आपस में वार्तालाप किया करते थे और उस समय उस पत्र लेखन का एक अलग ही महत्व होता था लेकिन आज समय के साथ-साथ तेजी से हो रहे आधुनिकरण के चलते हम इसे भूत ही जा रहे हैं वहीं पौड़ी के प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों की पहल से यहां पढ़ने वाले नौनिहालों को पत्र लेखन और उसके महत्व की जानकारी दी जा रही है.Body:पौड़ी के आदर्श विद्यालय नंबर 5 के शिक्षकों के प्रयास से अपने छात्र छात्राओं को हमारी पुरानी सभ्यता पत्र लेखन से जोड़कर बच्चों को हमारी सभ्यता-संस्कृति से रूबरू करा रहे है
इस विद्यालय में शिक्षक मासूम छात्र-छात्राओं को पत्र लिखना सिखा रहे हैं और बच्चे भी अपने दूर संबंधियों (रिश्तेदारों) को पत्र लिखकर बहुत ही अच्छा महसूस भी कर रहे हैं, राजकीय आदर्श विद्यालय पौड़ी के शिक्षकों की यह पहल लोगों को भी बहुत भा रही है जहां आज के समय में बच्चे मोबाइल फोन ओर इंटरनेट की दुनिया में इतना खो गए हैं जिसके कारण लगातार बच्चे अलग-अलग प्रकार की बीमारियों से भी ग्रस्त हो रहे हैं। Conclusion:आदर्श विद्यालय के शिक्षकों की यह पहल रंग लाती भी दिखाई पड़ रही है बच्चों द्वारा अपने मित्रों और संबंधियों को भेजे गए पत्रों का जवाब भी उन्हें मिल रहा है जिससे वह बहुत ही उत्साहित भी है, शिक्षकों का का कहना है कि पत्राचार से जो भावना मन के अंदर उत्पन्न होती थी आज के समय में वह भावना फोनों में मैसेज कर करें उत्पन्न नहीं की जा सकती। पत्रों को संग्रहित करके भी रखा जा सकता है और ये पत्र हर समय हमारे गुजरे हुए समय की झलक हमें याद दिलाती रहती है, आधुनिक युग में शिक्षकों की यह पहल बहुत ही सराहनीय है जो विलुप्त हो रही हमारी परंपरा में जान फूंकने की कोशिश कर ही रही है।
बाइट- छात्रा
बाइट-कमलेश बलूनी(शिक्षक)
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