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मां तारा से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने यहां दिए थे दर्शन, सावन में लगता है श्रद्धालुओं का तांता - ताराकुंड मंदिर

पौड़ी से 70 किलोमीटर दूर स्थित ताराकुंड मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है. इसके साथ ही इस मंदिर से श्रद्धालुओं की कई जनमान्यताएं भी जुड़ी हुई हैं.

ताराकुंड मंदिर.
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Published : Jul 29, 2019, 1:07 PM IST

पौड़ी: सावन महीने के दूसरे सोमवार को प्रदेश के विभिन्न मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ रही है. ऐसा ही प्रकृति की गोद में बसा एक मंदिर ताराकुंड मंदिर है, जो लोगों की अटूट आस्था का केन्द्र बना हुआ है. जहां सावन के महीने में दूर-दूर से श्रद्धालु भगवान शिव का जलाभिषेक करने आते हैं. इस मंदिर की प्राकृतिक खूबसूरती लोगों को बरबस ही अपनी ओर खींच लाती है.

भगवान शिव ने यहां दिए थे दर्शन.

मान्यता के अनुसार, इस स्थान पर तारा ने भगवान शिव को प्रसन्न किया, जिसके बाद भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए. यहां पर प्राकृतिक रूप से बनी एक खूबसूरत ताल है जो लोगों के आकर्षण का केंद्र है. स्थानीय ग्रामीणों की मांग है कि इसे धार्मिक पर्यटन के रूप में विकसित किया जाए, जिससे चार धाम की तरह उनके क्षेत्र का नाम भी रोशन हो सके.

जंगलों के बीच बसे इस मंदिर में प्राकृतिक रूप से बना ताल पर्यटकों के लिए मुख्य आकर्षण का केंद्र है. इसके साथ ही मंदिर के समीप गहरा कुआं भी है, जिसके जल से भगवान शिव को जलाभिषेक किया जाता है. स्थानीय लोगों के अनुसार, यहां पर मां तारा ने भगवान शिव की तपस्या कर उन्हें प्रसन्न किया था. साथ ही भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए थे. तब से ये कुंड तारा कुंड के नाम से जाना जाता है.

ये भी पढ़ें: बीजेपी का नया टारगेट, 50 सदस्य बनाओ और पार्टी में जिम्मेदारी पाओ

ग्रामीणों ने बताया कि मंदिर की धार्मिक मान्यता होने के बाद भी इसकी ओर सरकार ध्यान नहीं दे रही है. इसकी गुहार पर्यटन मंत्री तक लगाई गई है, लेकिन अभी तक कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकलकर सामने आए हैं. ग्रामीणों की मांग है कि इस खूबसूरत स्थान को धार्मिक पर्यटन के रूप में विकसित किया जाए, जिस तरह उत्तराखंड के चारों धाम और शिव के विवाह का स्थल त्रियुगीनारायण पूरे प्रदेश के साथ पूरे देश भर में प्रसिद्ध हैं, उसी तरह भगवान शिव के इस धाम को भी धार्मिक पर्यटन के मानचित्र पर लाने के लिए प्रयास किए जाएं.

पौड़ी: सावन महीने के दूसरे सोमवार को प्रदेश के विभिन्न मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ रही है. ऐसा ही प्रकृति की गोद में बसा एक मंदिर ताराकुंड मंदिर है, जो लोगों की अटूट आस्था का केन्द्र बना हुआ है. जहां सावन के महीने में दूर-दूर से श्रद्धालु भगवान शिव का जलाभिषेक करने आते हैं. इस मंदिर की प्राकृतिक खूबसूरती लोगों को बरबस ही अपनी ओर खींच लाती है.

भगवान शिव ने यहां दिए थे दर्शन.

मान्यता के अनुसार, इस स्थान पर तारा ने भगवान शिव को प्रसन्न किया, जिसके बाद भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए. यहां पर प्राकृतिक रूप से बनी एक खूबसूरत ताल है जो लोगों के आकर्षण का केंद्र है. स्थानीय ग्रामीणों की मांग है कि इसे धार्मिक पर्यटन के रूप में विकसित किया जाए, जिससे चार धाम की तरह उनके क्षेत्र का नाम भी रोशन हो सके.

जंगलों के बीच बसे इस मंदिर में प्राकृतिक रूप से बना ताल पर्यटकों के लिए मुख्य आकर्षण का केंद्र है. इसके साथ ही मंदिर के समीप गहरा कुआं भी है, जिसके जल से भगवान शिव को जलाभिषेक किया जाता है. स्थानीय लोगों के अनुसार, यहां पर मां तारा ने भगवान शिव की तपस्या कर उन्हें प्रसन्न किया था. साथ ही भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए थे. तब से ये कुंड तारा कुंड के नाम से जाना जाता है.

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ग्रामीणों ने बताया कि मंदिर की धार्मिक मान्यता होने के बाद भी इसकी ओर सरकार ध्यान नहीं दे रही है. इसकी गुहार पर्यटन मंत्री तक लगाई गई है, लेकिन अभी तक कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकलकर सामने आए हैं. ग्रामीणों की मांग है कि इस खूबसूरत स्थान को धार्मिक पर्यटन के रूप में विकसित किया जाए, जिस तरह उत्तराखंड के चारों धाम और शिव के विवाह का स्थल त्रियुगीनारायण पूरे प्रदेश के साथ पूरे देश भर में प्रसिद्ध हैं, उसी तरह भगवान शिव के इस धाम को भी धार्मिक पर्यटन के मानचित्र पर लाने के लिए प्रयास किए जाएं.

Intro:मंडल मुख्यालय पौड़ी से लगभग 70 किलोमीटर दूर तारा कुंड नामक स्थान जहां पर शावन माह में लोगों दूर दूर से आकर कर भगवान शिव को जलाभिषेक कर उनकी पूजा अर्चना करते है । मान्यता है कि इस स्थान पर तारा ने भगवान शिव को प्रसन्न किया और भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए यहां पर प्राकृतिक रूप से बनी एक खूबसूरत ताल है जो कि लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बन रही है स्थानीय ग्रामीणों की मांग है कि इसे धार्मिक पर्यटन के रूप में विकसित किया जाए ताकि चार धाम की तरह उनके क्षेत्र का नाम भी प्रदेश को देश भर में प्रसिद्ध हो सके।




Body:तारा कुंड समुद्र तल से 2200 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
जंगलों के बीच बसे इस मंदिर की खूबसूरती को चार चांद लगाने के लिए प्राकृतिक रूप से बनी ताल जो कि पर्यटकों के लिए मुख्य आकर्षण का केंद्र है इसके साथ ही मंदिर के समीप गहरा कुआं भी है जिसके जल से भगवान शिव को जलाभिषेक किया जाता है। स्थानीय लोग बताते हैं कि यहां पर माँ तारा ने भगवान शिव की तपस्या कर उन्हें प्रसन्न किया था और भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए थे।। यहां पर स्थित कुंड को तारा कुंड के नाम से जाना जाता है।


Conclusion:ग्रामीणों का कहना है कि मंदिर की धार्मिक रूप से मान्यता होने के बाद भी इसकी ओर सरकार ध्यान नहीं दे रही ग्रामीणों ने इसकी गुहार पर्यटन मंत्री तक लगाई लेकिन अभी तक कोई सकारात्मक परिणाम निकल कर नहीं आए हैं उनकी मांग है कि इस खूबसूरत स्थान को धार्मिक पर्यटन के रूप में विकसित किया जाए जिस तरह उत्तराखंड के चारो धाम और शिव के विवाह का स्थल त्रिजुगीनारायण पूरे प्रदेश के साथ पूरे देश में प्रसिद्ध है उसी तरह भगवान शिव के स्थान को भी धार्मिक पर्यटन के मानचित्र पर रखा जाए ताकि इस तरह भी पर्यटकों की आवाजाही बढ़ सके।
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