पौड़ी: सावन महीने के दूसरे सोमवार को प्रदेश के विभिन्न मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ रही है. ऐसा ही प्रकृति की गोद में बसा एक मंदिर ताराकुंड मंदिर है, जो लोगों की अटूट आस्था का केन्द्र बना हुआ है. जहां सावन के महीने में दूर-दूर से श्रद्धालु भगवान शिव का जलाभिषेक करने आते हैं. इस मंदिर की प्राकृतिक खूबसूरती लोगों को बरबस ही अपनी ओर खींच लाती है.
मान्यता के अनुसार, इस स्थान पर तारा ने भगवान शिव को प्रसन्न किया, जिसके बाद भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए. यहां पर प्राकृतिक रूप से बनी एक खूबसूरत ताल है जो लोगों के आकर्षण का केंद्र है. स्थानीय ग्रामीणों की मांग है कि इसे धार्मिक पर्यटन के रूप में विकसित किया जाए, जिससे चार धाम की तरह उनके क्षेत्र का नाम भी रोशन हो सके.
जंगलों के बीच बसे इस मंदिर में प्राकृतिक रूप से बना ताल पर्यटकों के लिए मुख्य आकर्षण का केंद्र है. इसके साथ ही मंदिर के समीप गहरा कुआं भी है, जिसके जल से भगवान शिव को जलाभिषेक किया जाता है. स्थानीय लोगों के अनुसार, यहां पर मां तारा ने भगवान शिव की तपस्या कर उन्हें प्रसन्न किया था. साथ ही भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए थे. तब से ये कुंड तारा कुंड के नाम से जाना जाता है.
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ग्रामीणों ने बताया कि मंदिर की धार्मिक मान्यता होने के बाद भी इसकी ओर सरकार ध्यान नहीं दे रही है. इसकी गुहार पर्यटन मंत्री तक लगाई गई है, लेकिन अभी तक कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकलकर सामने आए हैं. ग्रामीणों की मांग है कि इस खूबसूरत स्थान को धार्मिक पर्यटन के रूप में विकसित किया जाए, जिस तरह उत्तराखंड के चारों धाम और शिव के विवाह का स्थल त्रियुगीनारायण पूरे प्रदेश के साथ पूरे देश भर में प्रसिद्ध हैं, उसी तरह भगवान शिव के इस धाम को भी धार्मिक पर्यटन के मानचित्र पर लाने के लिए प्रयास किए जाएं.