श्रीनगर: इंसान अगर किसी भी काम को करने के लिए मन में दृढ़ निश्चय कर ले, तो रास्ते में आई कोई भी परेशानी उसे रोक नहीं सकती. कुछ ऐसा ही कर दिखाया है श्रीनगर के भीम सिंह नेगी ने. भीम सिंह नेगी कोरोना काल में बेरोजगार हो गए थे. घर की सारी जिम्मेदारी उनके कंधों पर थी. ऐसे में भीम ने अपना ढाबा खोला और उसका नाम रखा 'बेरोजगार ढाबा'. आज भीम सिंह नेगी का ढाबा खूब चल रहा है और वो अपने परिवार का भरण-पोषण अच्छे से कर रहे हैं. भीम सिंह नेगी ने अन्य युवाओं के लिए भी मिसाल पेश की है.
दुबई के होटल में काम करते थे भीम सिंह
भीम सिंह नेगी की उम्र 25 साल है. वो अपना ढाबा खोल कर खुद तो पैसे कमा ही रहे हैं साथ ही उन्होंने 2 अन्य लोगों को भी ढाबे में रोजगार दिया है. भीम कोरेनाकाल से पहले दुबई में एक होटल में नौकरी करते थे. लेकिन दुबई में लगे लॉकडाउन की वजह से उनकी नौकरी चली गई और वो अपने गांव वापस आ गए. उन्होंने यहां पर अपना ढाबा खोल दिया. आज भीम के इस व्यवसाय से 2 अन्य लोगों को भी रोजगार मिला है. भीम सिंह नेगी के मुताबिक वो टिहरी जिले के पौखाल के खाल पाली के रहने वाले हैं.
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सरकार से निराश हैं भीम
भीम सिंह का कहना है कि वो अपने काम से तो बहुत खुश हैं लेकिन उन्हें सरकार से काफी निराशा है. भीम कहते हैं कि गांवों में सरकार ने मूलभूत सुविधाओं की उचित व्यवस्था नहीं की है. साथ ही यातायात के साधन भी यहां पर नहीं हैं. ऐसे में वो 3 किलोमीटर चल कर कंधे पर पानी ढोकर ढाबे तक पहुंचाते हैं. जिसके कारण भीम को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. इससे समय की भी बर्बादी होती है.
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नौजवानों को घर पर रोजगार की प्रेरणा दे रहे हैं भीम सिंह
भीम का कहना है कि सरकार रोजगार देने की तो बात करती है, लेकिन धरातल की सच्चाई कुछ और ही है. गांव लौटे प्रवासी मनरेगा में काम कर रहे हैं, लेकिन काम खत्म होने के बाद वो फिर से बेरोजगार हो जाते हैं. जिसके कारण उन्होंने अपने ढाबे का नाम भी बेरोजगार ढाबा रखा है, जिससे लोगों को घर में ही रोजगार की प्रेरणा मिल सके.