ETV Bharat / state

ऑस्कर के लिए नामित हुई 'मोती बाग', पहाड़ और पलायन की पीड़ा पर आधारित है फिल्म

84 वर्षीय विद्या दत्त शर्मा के जीवन पर आधारित लघु फिल्म 'मोती बाग' ऑस्कर के लिए नामित हुई है. ये लघु फिल्म पहाड़ की पीड़ा और पलायन पर आधारित है.

ऑस्कर के लिए नामित हुई 'मोती बाग'.
author img

By

Published : Sep 16, 2019, 5:35 PM IST

Updated : Sep 16, 2019, 8:23 PM IST

पौड़ी: जिले के कल्जीखाल ब्लॉक के संगुडा गांव में रहने वाले 84 वर्षीय विद्या दत्त शर्मा पर आधारित लघु फिल्म 'मोती बाग' का चयन अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार ऑस्कर के लिए नामित हुआ है. पहाड़ की पीड़ा और पलायन पर आधारित ये लघु फिल्म केरल में हुए अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में पहले स्थान से सम्मानित हो चुकी है. अब मोती बाग लघु फिल्म अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी छटा बिखेरने जा रही है, जो पौड़ी के साथ पूरे प्रदेश के लिए गौरव की बात है.

ऑस्कर के लिए नामित हुई 'मोती बाग'.

इस लघु फिल्म मोती बाग में दिखाया गया है कि एक तरफ लोग लगातार पहाड़ों से पलायन कर रहे हैं और गांव खाली होते जा रहे हैं. वहीं, दूसरी ओर 84 वर्षीय बुजुर्ग विद्या दत्त शर्मा ने पहाड़ की विषम परिस्थितियों में भी खेतों के प्रति प्रेम और अपनी मेहनत से अपने मोती बाग को हरा भरा रखा है.

विद्या दत्त शर्मा का पहाड़ों से प्रेम ऐसे ही दिख रहा है कि उन्होंने सरकारी नौकरी से त्यागपत्र देकर खेत खलिहान के प्रति अपना प्यार समर्पित कर दिया. उनके द्वारा उगाया हुआ मूला जिसका वजन 24 किलो था, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड के लिए भी नामित किया गया था. इस फिल्म के माध्यम से विद्या दत्त शर्मा की जीवन शैली पर प्रकाश डाला गया है कि उन्होंने किस प्रकार से संघर्ष करके पलायन को मात दी है.

ये भी पढ़ें: इस बार पंचायत चुनावों में बहुत कुछ होगा नया, एक क्लिक में जानें सारी डिटेल

विद्या दत्त शर्मा के पुत्र त्रिभुवन ने बताया कि उनके पिता ने अपनी सरकारी नौकरी छोड़कर खेत खलिहान में अपने पसीने से फसल उगाने का काम किया है. उन्हें गौरव होता है कि उनके पिता जिस उम्र में मेहनत और लगन से खेतों में काम कर रहे हैं. उसे देखकर आज के युवा भी प्रेरित हो रहे हैं. आज जिस तरह पलायन पहाड़ों के लिए नासूर की तरह बढ़ता जा रहा है, वहीं दूसरी ओर उनके पिता अपनी मेहनत से खेतों में सब्जियां उगा कर अपनी एक अलग छाप छोड़ रहे हैं.

पौड़ी: जिले के कल्जीखाल ब्लॉक के संगुडा गांव में रहने वाले 84 वर्षीय विद्या दत्त शर्मा पर आधारित लघु फिल्म 'मोती बाग' का चयन अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार ऑस्कर के लिए नामित हुआ है. पहाड़ की पीड़ा और पलायन पर आधारित ये लघु फिल्म केरल में हुए अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में पहले स्थान से सम्मानित हो चुकी है. अब मोती बाग लघु फिल्म अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी छटा बिखेरने जा रही है, जो पौड़ी के साथ पूरे प्रदेश के लिए गौरव की बात है.

ऑस्कर के लिए नामित हुई 'मोती बाग'.

इस लघु फिल्म मोती बाग में दिखाया गया है कि एक तरफ लोग लगातार पहाड़ों से पलायन कर रहे हैं और गांव खाली होते जा रहे हैं. वहीं, दूसरी ओर 84 वर्षीय बुजुर्ग विद्या दत्त शर्मा ने पहाड़ की विषम परिस्थितियों में भी खेतों के प्रति प्रेम और अपनी मेहनत से अपने मोती बाग को हरा भरा रखा है.

विद्या दत्त शर्मा का पहाड़ों से प्रेम ऐसे ही दिख रहा है कि उन्होंने सरकारी नौकरी से त्यागपत्र देकर खेत खलिहान के प्रति अपना प्यार समर्पित कर दिया. उनके द्वारा उगाया हुआ मूला जिसका वजन 24 किलो था, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड के लिए भी नामित किया गया था. इस फिल्म के माध्यम से विद्या दत्त शर्मा की जीवन शैली पर प्रकाश डाला गया है कि उन्होंने किस प्रकार से संघर्ष करके पलायन को मात दी है.

ये भी पढ़ें: इस बार पंचायत चुनावों में बहुत कुछ होगा नया, एक क्लिक में जानें सारी डिटेल

विद्या दत्त शर्मा के पुत्र त्रिभुवन ने बताया कि उनके पिता ने अपनी सरकारी नौकरी छोड़कर खेत खलिहान में अपने पसीने से फसल उगाने का काम किया है. उन्हें गौरव होता है कि उनके पिता जिस उम्र में मेहनत और लगन से खेतों में काम कर रहे हैं. उसे देखकर आज के युवा भी प्रेरित हो रहे हैं. आज जिस तरह पलायन पहाड़ों के लिए नासूर की तरह बढ़ता जा रहा है, वहीं दूसरी ओर उनके पिता अपनी मेहनत से खेतों में सब्जियां उगा कर अपनी एक अलग छाप छोड़ रहे हैं.

Intro:पौड़ी के कल्जीखाल ब्लॉक के संगुडा गांव में रहने वाले  84 वर्षीया विद्या दत्त शर्मा पर आधारित लघु फिल्म मोती बाग का चयन अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार ऑस्कर के लिए नामित हुआ है।  पहाड़ की पीड़ा और पलायान पर आधारित यह लघु फिल्म इससे पहले  केरला में हुए अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में मोती बाग पहला स्थान से सम्मानित हो चुकी है लेकिन  अब मोती बाग लघु फिल्म को अंतरराष्ट्रीय मंच में अपनी छटा बिखेरने जा रही है। जो कि पौड़ी के साथ साथ पूरे प्रदेश के लिए गौरव की बात है।


Body:मोती बाग लघु फिल्म में दर्शाया गया है कि जहा एक तरफ लोग लगातार पहाड़ो से पलायन कर रहे और गांव गांव के खाली होते जा रहे है वही दूसरी ओर 84 वर्षीय बुजुर्ग र्विद्या दत्त शर्मा ने पहाड़ की विषम परिस्थितियों में भी खेतों के प्रति प्रेम और अपनी मेहनत से अपने मोती बाग को हरा भरा रखा है। विद्या दत्त शर्मा का पहाड़ से कितना  प्रेम है इसका उदाहरण है कि उन्होंने सरकारी नौकरी में तियागपत्र देकर खेत खलियान के प्रति अपना प्यार समर्पित कर दिया। यह उनकी लगन ही थी कि उनके द्वारा उगाया हुआ मुला जिसका वजन 24 किलो निकला, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड के लिए भी नामित किया गया था। इस फिल्म के माध्यम से विद्या दत्त शर्मा की जीवन शैली में प्रकाश डाला गया है कि उन्होंने किस प्रकार से संघर्ष करके पलायन को मात दी है कहीं ना कहीं उनका यह प्रयास नवयुवकों के लिए प्रेरणा का काम करेगा।


Conclusion:विद्या दत्त शर्मा के पुत्र त्रिभुवन ने बताया कि उनके पिता ने अपनी सरकारी नौकरी छोड़कर खेत खलियान में अपने पसीने से खेतों को में हल चला कर सोना उगाने का काम किया है उन्हें गौरव होता है कि उनके पिता जिस उम्र में है और जिस मेहनत और लगन से खेतों में काम करते हैं उसे देख आज के युवा भी प्रेरित हो रहे हैं। आज जिस तरह पलायन पहाड़ों के लिए नासूर बीमारी की तरह बढ़ता जा रहा है वहीं दूसरी ओर उनके पिता अपनी मेहनत से खेतों में सब्जियां उगा कर अपनी एक अलग छाप छोड़ रहे हैं वहीं उनके पिता पर बनी फिर पहले भी सम्मानित हो चुकी है और अब ऑस्कर के लिए नामित होने के बाद उन्हें काफी खुशी है। पौड़ी के साथ साथ पूरे उत्तराखंड को इस बात पर गर्व होगा।

बाइट-त्रिभुवन(उनके पुत्र)
Last Updated : Sep 16, 2019, 8:23 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.