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लॉकडाउन में घर आए दंपति ने शुरू की खेती, बंजर खेतों में ला दी रौनक

पौड़ी के रिठाई गांव के यशवंत भंडारी और विजया ने 15 सालों से बंजर पड़ी भूमि को खेती योग्य बनाया है. उनका कहना है कि हर कोई बंजर भूमि को आबाद कर अच्छी आमदनी कमा सकता है. इससे पलायन पर भी लगाम लगाई जा सकती है.

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Published : Nov 14, 2020, 11:31 AM IST

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बंजर भूमि पर खेती

पौड़ीः डूंगरी ग्रामसभा के रिठाई गांव में बीते 15 सालों से बंजर पड़ी भूमि को एक दंपति ने खेती योग्य बना दिया है. ये दंपति लॉकडाउन के चलते शहर से अपने गांव वापस लौट आए थे. बंजर भूमि को आबाद करने की ठानी और ग्रामीणों की मदद से करीब 200 नाली भूमि पर खेती बाड़ी भी शुरू कर दी है. दंपति के इस प्रयास के बाद कृषि और उद्यान विभाग भी सहयोग कर रहे हैं.

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बंजर भूमि पर खेती.

दरअसल, लंबे समय से मुंबई शहर में नौकरी कर रहे यशवंत भंडारी लॉकडाउन के चलते अपने गांव रिठाई वापस लौटे थे. सुबह से शाम तक वर्क फ्रॉम होम करने के बाद जो अतिरिक्त समय बचता था, उसमें उन्होंने अपने खेतों को आबाद करने की सोची. इसके लिए उन्होंने बीते 15 सालों से बंजर पड़ी भूमि पर खेती करने के लिए अपनी पत्नी और दो अन्य ग्रामीणों की मदद ली.

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कृषि यंत्रों के सहारे खेती करते यशवंत भंडारी.

ये भी पढ़ेंः सेब-राजमा के बाद हर्षिल घाटी में केसर दिखाएगा कमाल, किसान होंगे 'मालामाल'

बंजर भूमि को आबाद कर कमा सकते हैं अच्छी आमदनी
करीब 4 महीने तक इन बंजर खेतों पर हल चलाकर उन्होंने इसे खेती योग्य बना दिया है. यशवंत बताते हैं कि लॉकडाउन के चलते उनका सारा काम घर से ही हो रहा था. सुबह और शाम के वक्त उन्होंने खेती की शुरुआत की. उनका कहना है कि उनके गांव के आसपास मौजूद जितनी भी बंजर भूमि और खेत हैं. उन्हें भी कृषि योग्य बनाने की जरूरत है. जिससे जो लोग गांव छोड़कर बाहर जा रहे हैं वो अपने गांव में रहकर कृषि के क्षेत्र में अच्छी आमदनी कमा सकें.

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टिलर मशीन से खेती हुई आसान.

जंगली जानवरों के आंतक से खेती से हो रहा मोहभंग
वहीं, उनकी पत्नी विजया भंडारी बताती हैं कि पहाड़ों में खेती करना आसान नहीं है. यहां पर जंगली जानवरों का आतंक ज्यादा होता है. सूअर जैसे जानवर समय-समय पर खेतों की तरफ आ रहे हैं. जिसके लिए स्थायी समाधान निकालने की जरूरत है. जंगली जानवरों के कारण ही लोग खेती से मोहभंग हो रहा है.

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कृषि और उद्यान विभाग भी कर रहे मदद.

ये भी पढ़ेंः काश्तकारों की आय बढ़ाएगी कीवी, बागवानी को लेकर कवायद तेज

कृषि अधिकारी देवेंद्र सिंह ने बताया कि यशवंत और उनके परिवार ने करीब 15 साल से बंजर पड़ी भूमि पर काफी मेहनत कर इसे खेती योग्य बना दिया है. सभी विभागों के अधिकारियों ने इनकी सराहना की है.

दंपति ने नौकरी खोने के बाद बंजर खेतों को आबाद किया.

इनकी इस मेहनत से उम्मीद जताई जा रही है कि इसी तरह के प्रयासों से गांव में पड़े बंजर खेतों में फिर से खेती की जा सकती है. बागवानी क्षेत्र में काफी बेहतर किया कार्य किया जा सकता है. विभाग की ओर से जो भी मदद होगी, वो उन्हें मुहैया की जाएगी.

पौड़ीः डूंगरी ग्रामसभा के रिठाई गांव में बीते 15 सालों से बंजर पड़ी भूमि को एक दंपति ने खेती योग्य बना दिया है. ये दंपति लॉकडाउन के चलते शहर से अपने गांव वापस लौट आए थे. बंजर भूमि को आबाद करने की ठानी और ग्रामीणों की मदद से करीब 200 नाली भूमि पर खेती बाड़ी भी शुरू कर दी है. दंपति के इस प्रयास के बाद कृषि और उद्यान विभाग भी सहयोग कर रहे हैं.

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बंजर भूमि पर खेती.

दरअसल, लंबे समय से मुंबई शहर में नौकरी कर रहे यशवंत भंडारी लॉकडाउन के चलते अपने गांव रिठाई वापस लौटे थे. सुबह से शाम तक वर्क फ्रॉम होम करने के बाद जो अतिरिक्त समय बचता था, उसमें उन्होंने अपने खेतों को आबाद करने की सोची. इसके लिए उन्होंने बीते 15 सालों से बंजर पड़ी भूमि पर खेती करने के लिए अपनी पत्नी और दो अन्य ग्रामीणों की मदद ली.

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कृषि यंत्रों के सहारे खेती करते यशवंत भंडारी.

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बंजर भूमि को आबाद कर कमा सकते हैं अच्छी आमदनी
करीब 4 महीने तक इन बंजर खेतों पर हल चलाकर उन्होंने इसे खेती योग्य बना दिया है. यशवंत बताते हैं कि लॉकडाउन के चलते उनका सारा काम घर से ही हो रहा था. सुबह और शाम के वक्त उन्होंने खेती की शुरुआत की. उनका कहना है कि उनके गांव के आसपास मौजूद जितनी भी बंजर भूमि और खेत हैं. उन्हें भी कृषि योग्य बनाने की जरूरत है. जिससे जो लोग गांव छोड़कर बाहर जा रहे हैं वो अपने गांव में रहकर कृषि के क्षेत्र में अच्छी आमदनी कमा सकें.

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टिलर मशीन से खेती हुई आसान.

जंगली जानवरों के आंतक से खेती से हो रहा मोहभंग
वहीं, उनकी पत्नी विजया भंडारी बताती हैं कि पहाड़ों में खेती करना आसान नहीं है. यहां पर जंगली जानवरों का आतंक ज्यादा होता है. सूअर जैसे जानवर समय-समय पर खेतों की तरफ आ रहे हैं. जिसके लिए स्थायी समाधान निकालने की जरूरत है. जंगली जानवरों के कारण ही लोग खेती से मोहभंग हो रहा है.

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कृषि और उद्यान विभाग भी कर रहे मदद.

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कृषि अधिकारी देवेंद्र सिंह ने बताया कि यशवंत और उनके परिवार ने करीब 15 साल से बंजर पड़ी भूमि पर काफी मेहनत कर इसे खेती योग्य बना दिया है. सभी विभागों के अधिकारियों ने इनकी सराहना की है.

दंपति ने नौकरी खोने के बाद बंजर खेतों को आबाद किया.

इनकी इस मेहनत से उम्मीद जताई जा रही है कि इसी तरह के प्रयासों से गांव में पड़े बंजर खेतों में फिर से खेती की जा सकती है. बागवानी क्षेत्र में काफी बेहतर किया कार्य किया जा सकता है. विभाग की ओर से जो भी मदद होगी, वो उन्हें मुहैया की जाएगी.

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