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धूमधाम से मनाया गया मकर संक्रांति पर्व, वनमंत्री हरक सिंह रावत ने किया गेंद मेले का शुभारंभ - मवाकोट में आयोजित गेंद मेले

कोटद्वार और आसपास के इलाकों में मकर संक्रांति का त्योहार धूमधाम से मनाया गया. वहीं, मवाकोट में आयोजित गेंद मेले का वन मंत्री हरक सिंह रावत ने विधिवत शुभारंभ किया.

makar sankranti festival
मकर संक्रांति पर्व धूमधाम से मनाया गया.
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Published : Jan 15, 2020, 10:25 PM IST

कोटद्वार: पौड़ी के कोटद्वार और आसपास के इलाकों में मकर संक्रांति का त्योहार धूमधाम से मनाया गया. मवाकोट में आयोजित गेंद मेले का शुभारंभ वन मंत्री हरक सिंह रावत ने दीप प्रज्वलित कर किया. इस मौके पर लोकगीतों पर वन मंत्री हरक सिंह रावत ने मंच पर जमकर ठुमके भी लगाए. इसके साथ ही मेले में विभिन्न सांस्कृतिक प्रोग्रामों का आयोजन भी किया गया.

मकर संक्रांति पर्व धूमधाम से मनाया गया.

बता दें कि कोटद्वार में मकर संक्रांति के मौके पर बुधवार को मावाकोट, थलनदी, डाडामंडी में गेंद खेली गई. वहीं, इस गेंद का वजन करीब 14 किलो किलो था. कटघर में ढांगू उदयपुर के बीच, थलनदी में उदयपुर अजमेर, डाडामंडी में लंगूर और भटपुड़ी और मवाकोट में सुखरो व मोटाढांक पट्टी के बाशिंदें गेंद खेलने के लिए मैदान में उतरते थे. इस मौके पर मवाकोट, थलनदी, डाडामंडी, कटघर ने गेंद खेलने से पूर्व सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुतियां भी दी.

यह भी पढ़ें: गदरपुर: ट्रंचिंग ग्राउंड का विरोध में उतरे ग्रामीण, उग्र आंदोलन की दी चेतावनी

इस मौके पर पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ अलग-अलग स्थानों पर गिंदी को लेकर अलग-अलग टीमें खुले मैदान में पहुंची थी. जिसके बाद विधि विधान से गिंदी की पूजा की गई. इस साल सूर्य के मकर राशि में आगमन 14 जनवरी मंगलवार की रात 2 बजे हुआ. ऐसे में भविष्य पुराण और निर्णयामृत के अनुसार मध्यरात्रि के बाद मकर संक्रांति काल शुरू होने की वजह से उसके पुण्य काल का विचार अगले दिन सूर्योदय से माना गया. कालगणना के अनुसार साल में 12 संक्रांति होती है, जिसमें मकर सक्रांति का विशेष महत्व माना जाता है.

कोटद्वार: पौड़ी के कोटद्वार और आसपास के इलाकों में मकर संक्रांति का त्योहार धूमधाम से मनाया गया. मवाकोट में आयोजित गेंद मेले का शुभारंभ वन मंत्री हरक सिंह रावत ने दीप प्रज्वलित कर किया. इस मौके पर लोकगीतों पर वन मंत्री हरक सिंह रावत ने मंच पर जमकर ठुमके भी लगाए. इसके साथ ही मेले में विभिन्न सांस्कृतिक प्रोग्रामों का आयोजन भी किया गया.

मकर संक्रांति पर्व धूमधाम से मनाया गया.

बता दें कि कोटद्वार में मकर संक्रांति के मौके पर बुधवार को मावाकोट, थलनदी, डाडामंडी में गेंद खेली गई. वहीं, इस गेंद का वजन करीब 14 किलो किलो था. कटघर में ढांगू उदयपुर के बीच, थलनदी में उदयपुर अजमेर, डाडामंडी में लंगूर और भटपुड़ी और मवाकोट में सुखरो व मोटाढांक पट्टी के बाशिंदें गेंद खेलने के लिए मैदान में उतरते थे. इस मौके पर मवाकोट, थलनदी, डाडामंडी, कटघर ने गेंद खेलने से पूर्व सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुतियां भी दी.

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इस मौके पर पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ अलग-अलग स्थानों पर गिंदी को लेकर अलग-अलग टीमें खुले मैदान में पहुंची थी. जिसके बाद विधि विधान से गिंदी की पूजा की गई. इस साल सूर्य के मकर राशि में आगमन 14 जनवरी मंगलवार की रात 2 बजे हुआ. ऐसे में भविष्य पुराण और निर्णयामृत के अनुसार मध्यरात्रि के बाद मकर संक्रांति काल शुरू होने की वजह से उसके पुण्य काल का विचार अगले दिन सूर्योदय से माना गया. कालगणना के अनुसार साल में 12 संक्रांति होती है, जिसमें मकर सक्रांति का विशेष महत्व माना जाता है.

Intro:summary कोटद्वार और आसपास के क्षेत्रों में मकर संक्रांति का त्योहार धूमधाम से मनाया गया, मवाकोट मैं आयोजित गेंद मेले का शुभारंभ वन मंत्री हरक सिंह रावत ने दीप प्रज्वलित कर किया, वही बन मंत्री हरक सिंह रावत ने इस मौके पर मंच पर जमकर ठुमके भी लगाये, इस मौके पर विभिन्न जगहों में सांस्कृतिक प्रोग्राम व गेंद मेले का आयोजन किया गया, कोटद्वार में मकर सक्रांति के मौके पर आज बुधवार को मावाकोट, थलनदी, डाडामंडी में गेंद खेली गई, गेंद का यह खेल दो पट्टियों या कई गांव के समूह की प्रतिष्ठा का प्रश्न होता है, जो इसे खेलते है, खेल के लिए ना कोई कायदा और ना ही कोई नियम, खेल कितनी देर चलेगा व इसमें कितने खिलाड़ी प्रतिभाग करेंगे इसकी जानकारी आयोजकों को भी नहीं होती। कोटद्वार में खेली गई गेंद 14 किलो की बनाई गई थी।

intro kotdwar कोटद्वार में मकर संक्रांति के मौके पर गढ़वाल की लंगूर, ढांगू, उदयपुर, अजमेंर, सुखरो, मोटाढांक पट्टियों में गेंद खेली जाती है, वही कटघर में ढांगू उदयपुर के बीच, थलनदी में उदयपुर अजमेंर, डाडामंडी में लंगूर व भटपुड़ी और मवाकोट में सुखरो व मोटाढांक पट्टी के वासिंदे गेंद खेलने के लिए मैदान में उतरते है, इस मौके पर मवाकोट, थलनदी,डाडामंडी, कटघर मैं गेंद खेलने से पूर्व सांस्कृतिक प्रोग्रामओं की प्रस्तुतियां मंच पर दी गई, उसके बाद वाद्य यंत्रों के साथ अलग-अलग स्थानों पर गिंदी को लेकर आयोजक टीम खुले मैदान में पहुंचे, और विधि विधान से गिंदी की पूजा की, उसके बाद गिन्दी को हवा में उछाल दिया गया, बस फिर शुरू हुआ अलग-अलग पटीयों के बीच गिन्दी की कशमकशा।


Body:वीओ1- भगवान सूर्य को समर्पित मकर सक्रांति का महापर्व इस साल 15 जनवरी को मनाया गया, इस साल सूर्य का मकर राशि में आगमन 14 जनवरी मंगलवार की रात 2:07 बजे को हुआ है ऐसे में भविष्य पुराण और निर्णयामृत के अनुसार मध्यरात्रि के बाद मकर संक्रांति काल शुरू होने की वजह से उसके पुण्य काल का विचार अगले दिन सूर्योदय से माना गया, कालगणना के अनुसार साल में 12 सक्रांति होती है जिसमें मकर सक्रांति का विशेष महत्व माना जाता है।


बाइट जितेन्द्र डोबरियाल आयोजक समिति के सदस्य


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