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कोटद्वार: बाढ़ सुरक्षा कार्यों में जुटा लैंसडाउन वन प्रभाग

लैंसडाउन वन प्रभाग के अंदर आने वाली सुखरौ और मालन नदी के मार्ग पर जमा मलबा और सिल्ट हटाने का काम चल रहा है.

lansdowne forest division
लैंसडाउन वन प्रभाग
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Published : Jun 28, 2021, 9:48 AM IST

कोटद्वार: पिछले कई सालों से लैंसडाउन वन प्रभाग के रिजर्व फॉरेस्ट के अंतर्गत बहने वाली सुखरौ और मालन नदी के उफान पर होने से आस-पास के क्षेत्रों में बाढ़ जैसी स्थिति पैदा होती आ रही है. जिसे देखते हुए वन विभाग ने ठोस रणनीति बनाते हुए नदी के मार्ग पर जिन जगहों पर मलवा या सिल्ट जमा हुआ है, उसे जेसीबी मशीन लगवाकर हटवा रहा है. जिससे पानी का बहाव बेरोकटोक जारी रहे.

बता दें कि, पिछले 3-4 सालों से मालन और सुखरौ नदी के निकटवर्ती इलाकों में बरसात के मौसम में बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो जा रही है. तेज बारिश के चलते लोगों की कई बीघे की कृषि भूमि नदी में समा गई. जिसे देखते हुए वन विभाग ने इस बार रिजर्व फॉरेस्ट के अंदर जिन जगहों पर नदी के मार्ग पर सिल्ट और मलबा जमा है उसे जेसीबी मशीन से हटवा रहा है.

DFO लैंसडाउन वन प्रभाग.

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दरअसल, साल 2018 में मालन नदी से लगे कोठला में एक व्यक्ति की लगभग 8 बीघा भूमि जिसमें धान की फसल उगी थी नदी में समा गई. लगातार नदियों के किनारे निवास करने वाले स्थानीय निवासियों ने प्रशासन से बाढ़ से होने वाले नुकसान से सुरक्षा के इंतजाम करने की गुहार लगाई थी. जिसे देखते हुए वन विभाग इस बार ग्रामीणों की सुरक्षा के लिए रिजर्व फॉरेस्ट के अंदर जिन जगहों पर नदी के मार्ग पर जमा सिल्ट और मलवा को जेसीबी मशीन से हटाकर नदी का मार्ग खोल रहा है.

ये भी पढ़ें: किराएदारों के सत्यापन को लेकर दून पुलिस सख्त, वसूले 8.70 लाख रुपए

वहीं, लैंसडाउन वन प्रभाग के डीएफओ दीपक कुमार सिंह ने बताया कि लंबे समय से काफी शिकायतें मिल रही है कि नदी का पानी घरों और खेतों में घुस जाता है. उन्होंने बता कि इस बार वन विभाग ने किराए पर जेसीबी हायर की है और जहां पर भी जरूरत पड़ेगी उस जगह पर नदी को चैनलाइज किया जाएगा, जिससे कि पानी आबादी की ओर न जाए.

कोटद्वार: पिछले कई सालों से लैंसडाउन वन प्रभाग के रिजर्व फॉरेस्ट के अंतर्गत बहने वाली सुखरौ और मालन नदी के उफान पर होने से आस-पास के क्षेत्रों में बाढ़ जैसी स्थिति पैदा होती आ रही है. जिसे देखते हुए वन विभाग ने ठोस रणनीति बनाते हुए नदी के मार्ग पर जिन जगहों पर मलवा या सिल्ट जमा हुआ है, उसे जेसीबी मशीन लगवाकर हटवा रहा है. जिससे पानी का बहाव बेरोकटोक जारी रहे.

बता दें कि, पिछले 3-4 सालों से मालन और सुखरौ नदी के निकटवर्ती इलाकों में बरसात के मौसम में बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो जा रही है. तेज बारिश के चलते लोगों की कई बीघे की कृषि भूमि नदी में समा गई. जिसे देखते हुए वन विभाग ने इस बार रिजर्व फॉरेस्ट के अंदर जिन जगहों पर नदी के मार्ग पर सिल्ट और मलबा जमा है उसे जेसीबी मशीन से हटवा रहा है.

DFO लैंसडाउन वन प्रभाग.

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दरअसल, साल 2018 में मालन नदी से लगे कोठला में एक व्यक्ति की लगभग 8 बीघा भूमि जिसमें धान की फसल उगी थी नदी में समा गई. लगातार नदियों के किनारे निवास करने वाले स्थानीय निवासियों ने प्रशासन से बाढ़ से होने वाले नुकसान से सुरक्षा के इंतजाम करने की गुहार लगाई थी. जिसे देखते हुए वन विभाग इस बार ग्रामीणों की सुरक्षा के लिए रिजर्व फॉरेस्ट के अंदर जिन जगहों पर नदी के मार्ग पर जमा सिल्ट और मलवा को जेसीबी मशीन से हटाकर नदी का मार्ग खोल रहा है.

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वहीं, लैंसडाउन वन प्रभाग के डीएफओ दीपक कुमार सिंह ने बताया कि लंबे समय से काफी शिकायतें मिल रही है कि नदी का पानी घरों और खेतों में घुस जाता है. उन्होंने बता कि इस बार वन विभाग ने किराए पर जेसीबी हायर की है और जहां पर भी जरूरत पड़ेगी उस जगह पर नदी को चैनलाइज किया जाएगा, जिससे कि पानी आबादी की ओर न जाए.

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