कोटद्वार: लैंसडाउन वन प्रभाग के अंतर्गत रिजर्व फॉरेस्ट में बहने वाली मालन और सुखरो नदियों में बाढ़ की रोकथाम के लिए चल रहे चैनलाइज कार्य पर सवाल उठ रहे हैं. लोग चैनलाइज कार्य के बहाने अवैध खनन की शिकायत कर रहे हैं. चैनलाइज का मकसद मॉनसून सीजन में तटीय क्षेत्र में भू-कटाव को रोकना है.
लैंसडाउन वन प्रभाग के अंतर्गत रिजर्व फॉरेस्ट में बहने वाली मालन और सुखरो नदी को चैनलाइज करने का कार्य किया जा रहा है. इसकी आड़ में जमकर अवैध खनन का खेल खेला जा रहा है. जिम्मेदार अधिकारी सुध नहीं ले रहे हैं. बता दें कि वन विभाग के द्वारा मालन और सुखरो नदियों में कार्य करने के लिये कुछ मशीनों को परमिशन दी गई है. लेकिन मशीन संचालक खननकारियों से मिलकर नदी से आरबीएम को ट्रैक्टर-ट्रॉलियों से अपने प्लॉटों में एकत्रित कर रहे हैं.
उसके बाद डंपरों से परिवहन कर जिला बिजनौर क्रशर पहुंचाया जा रहा है. इससे राज्य सरकार को राजस्व का भारी नुकसान हो रहा है. नदी का रुख भी आबादी की ओर होता जा रहा है. वन विभाग ने जेसीबी मशीन संचालकों को नदी के बीच से मलबा आबादी की ओर लगाने की अनुमति दी है. वहीं तहसीलदार विकास अवस्थी ने बताया कि नदियों में जेसीबी मशीन चलने की सूचना मिली है. जांच की गई तो उनके पास कार्य करने का आदेश है. इस दौरान नदी में एक भी ट्रैक्टर-ट्रॉली नहीं मिली. अगर जहां कहीं भी ट्रैक्टर-ट्रॉली से आरबीएम एकत्रित किया जा रहा है तो वहां भूमि स्वामियों के खिलाफ जांच कर कार्रवाई की जाएगी.