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श्रीनगर के डॉक्टर धीरज ने फिर जीता गोल्ड, अब एमेच्योर ओलम्पिया की कर रहे तैयारी, जीत का बताया मंत्र - एमेच्योर ओलम्पिया

मन में अगर कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो फिर चाहे कितनी ही बाधाएं रास्ते में आएं, इंसान को सफल होने से नहीं रोक सकतीं. ऐसी ही कुछ कहानी है डॉ. धीरज कुमार की है जो पेशे से तो डॉक्टर हैं, लेकिन साथ में बॉडी बिल्डिंग का भी शौक रखते हैं. आइये जानते हैं उनके बारे में .

श्रीनगर के धीरज ने जीता गोल्ड, अमेचर ओलम्पिया की कर रहे तैयारी
श्रीनगर के धीरज ने जीता गोल्ड
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Published : Mar 17, 2023, 3:04 PM IST

श्रीनगर के डॉक्टर धीरज ने फिर जीता गोल्ड

श्रीनगर: डॉक्टरी के पेशे से जुड़े हुए डॉक्टर धीरज कुमार बॉडी बिल्डिंग में रोज नए कीर्तिमान गढ़ रहे हैं. हाल ही में आयोजित हुई नेशनल फिजिक कमेटी की प्रतियोगिता में धीरज ने गोल्ड मेडल हासिल किया है. इस प्रतियोगिता को जीतने के बाद इनका चयन शेरू क्लासिक के लिए किया गया है. ये प्रतियोगिता 16 से 18 जून के बीच दिल्ली में आयोजित की जा रही है. धीरज के कोच इस प्रतियोगिता में भी धीरज के गोल्ड जीतने की पूरी संभावना जता रहे हैं. इस प्रतियोगिता के बाद सितंबर में आयोजित होने जा रही एमेच्योर ओलम्पिया में भी धीरज को भाग लेना है. ये प्रतियोगिता देश भर में बॉडी बिल्डिंग की सबसे बड़ी प्रतियोगिता में मानी जाती है.

जानिये डॉ. धीरज का बैकग्राउंड: मूल रूप से उत्तरप्रदेश मुजफ्फरनगर के डॉक्टर धीरज की बचपन से ही एजुकेशन रुड़की से ही हुई है. उन्होंने रुड़की के राजकीय इंटर कॉलेज से हाईस्कूल ओर इंटर की पढ़ाई की है. रुड़की डीएवी कॉलेज से उन्होंने बीएससी की पढ़ाई पूरी की. मेडिकल में निकलने के बाद धीरज ने राजकीय मेडिकल कॉलेज श्रीकोट से एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की. हैदराबाद से उन्होंने टीबी एंड चेस्ट में फैलोशिप पूरी की. वर्तमान में डॉक्टर धीरज उपजिला अस्पताल श्रीनगर में कार्यरत थे, जिसके बाद उनका स्थानांतरण सीएचसी जोशीमठ कर दिया गया.

पैरों में डली थी रॉड, डॉक्टर्स ने दी थी बॉडी बिल्डिंग छोड़ने की सलाह: धीरज के पिता स्वर्गीय पवन कुमार नैनीताल हाइकोर्ट में वकालत किया करते थे. जबकि उनकी मां साधारण गृहणी हैं. 2015 में एक दुर्घटना में धीरज के दोनों पैर टूटने के बाद उनके पैरों में दो रॉड लगने के बाद उन्हें डॉक्टरों ने बॉडी बिल्डिंग से दूर रहने की सलाह दी थी. लेकिन अपनी मेहनत और लगन के साथ उन्होंने कभी हार नहीं मानी.

जीती हुई राशि गरीब बच्चों को डोनेट: डॉक्टर धीरज ने नेशनल फिजिक कमेटी द्वारा आयोजित की गई प्रतियोगिता में जीती हुई 50 हजार रुपये की इनामी राशि को गरीब बच्चों में डोनेट भी कर दिया. उन्होंने कहा कि वे जब कभी भी कोई प्रतियोगिता जीतते हैं तो उसमें मिलने वाली नकद राशि को वे गरीब बच्चों ओर जानवरों का ख्याल रखने वाली संस्था को डोनेट कर देते हैं.
ये भी पढ़ें: THDCIL का खुर्जा सुपर पावर प्लांट यूनिट-1 बायलर हाइड्रो टेस्ट हुआ सफल, इतनी है क्षमता

शाकाहार को करते हैं प्रमोट: ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए डॉक्टर धीरज ने बताया कि वे बॉडी बिल्डिंग के दौरान प्रोटीन के लिए मांस का सेवन नहीं करते. वे नौजवानों को भी यही सलाह दे रहे हैं कि शाकाहार के जरिये भी अच्छी बॉडी बनाई जा सकती है. प्रतियोगिताओ को जीता जा सकता है. धीरज के कोच नवनीत भाटिया ने बताया कि नेशनल फिजिक कमेटी में गोल्ड मेडल मिलने के बाद धीरज को एमेच्योर ओलम्पिया ओर शेरू क्लासिक में डायरेक्ट एंटी मिली है, जो धीरज के लिए बड़ी जीत है. डॉक्टर होने के बाद भी धीरज बॉडी बिल्डिंग में भी अपना पूरा समय दे पाते हैं. उन्होंने कहा आने वाली प्रतियोगिताओं में भी वे अपना सर्वश्रेष्ठ देंगे.

श्रीनगर के डॉक्टर धीरज ने फिर जीता गोल्ड

श्रीनगर: डॉक्टरी के पेशे से जुड़े हुए डॉक्टर धीरज कुमार बॉडी बिल्डिंग में रोज नए कीर्तिमान गढ़ रहे हैं. हाल ही में आयोजित हुई नेशनल फिजिक कमेटी की प्रतियोगिता में धीरज ने गोल्ड मेडल हासिल किया है. इस प्रतियोगिता को जीतने के बाद इनका चयन शेरू क्लासिक के लिए किया गया है. ये प्रतियोगिता 16 से 18 जून के बीच दिल्ली में आयोजित की जा रही है. धीरज के कोच इस प्रतियोगिता में भी धीरज के गोल्ड जीतने की पूरी संभावना जता रहे हैं. इस प्रतियोगिता के बाद सितंबर में आयोजित होने जा रही एमेच्योर ओलम्पिया में भी धीरज को भाग लेना है. ये प्रतियोगिता देश भर में बॉडी बिल्डिंग की सबसे बड़ी प्रतियोगिता में मानी जाती है.

जानिये डॉ. धीरज का बैकग्राउंड: मूल रूप से उत्तरप्रदेश मुजफ्फरनगर के डॉक्टर धीरज की बचपन से ही एजुकेशन रुड़की से ही हुई है. उन्होंने रुड़की के राजकीय इंटर कॉलेज से हाईस्कूल ओर इंटर की पढ़ाई की है. रुड़की डीएवी कॉलेज से उन्होंने बीएससी की पढ़ाई पूरी की. मेडिकल में निकलने के बाद धीरज ने राजकीय मेडिकल कॉलेज श्रीकोट से एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की. हैदराबाद से उन्होंने टीबी एंड चेस्ट में फैलोशिप पूरी की. वर्तमान में डॉक्टर धीरज उपजिला अस्पताल श्रीनगर में कार्यरत थे, जिसके बाद उनका स्थानांतरण सीएचसी जोशीमठ कर दिया गया.

पैरों में डली थी रॉड, डॉक्टर्स ने दी थी बॉडी बिल्डिंग छोड़ने की सलाह: धीरज के पिता स्वर्गीय पवन कुमार नैनीताल हाइकोर्ट में वकालत किया करते थे. जबकि उनकी मां साधारण गृहणी हैं. 2015 में एक दुर्घटना में धीरज के दोनों पैर टूटने के बाद उनके पैरों में दो रॉड लगने के बाद उन्हें डॉक्टरों ने बॉडी बिल्डिंग से दूर रहने की सलाह दी थी. लेकिन अपनी मेहनत और लगन के साथ उन्होंने कभी हार नहीं मानी.

जीती हुई राशि गरीब बच्चों को डोनेट: डॉक्टर धीरज ने नेशनल फिजिक कमेटी द्वारा आयोजित की गई प्रतियोगिता में जीती हुई 50 हजार रुपये की इनामी राशि को गरीब बच्चों में डोनेट भी कर दिया. उन्होंने कहा कि वे जब कभी भी कोई प्रतियोगिता जीतते हैं तो उसमें मिलने वाली नकद राशि को वे गरीब बच्चों ओर जानवरों का ख्याल रखने वाली संस्था को डोनेट कर देते हैं.
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शाकाहार को करते हैं प्रमोट: ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए डॉक्टर धीरज ने बताया कि वे बॉडी बिल्डिंग के दौरान प्रोटीन के लिए मांस का सेवन नहीं करते. वे नौजवानों को भी यही सलाह दे रहे हैं कि शाकाहार के जरिये भी अच्छी बॉडी बनाई जा सकती है. प्रतियोगिताओ को जीता जा सकता है. धीरज के कोच नवनीत भाटिया ने बताया कि नेशनल फिजिक कमेटी में गोल्ड मेडल मिलने के बाद धीरज को एमेच्योर ओलम्पिया ओर शेरू क्लासिक में डायरेक्ट एंटी मिली है, जो धीरज के लिए बड़ी जीत है. डॉक्टर होने के बाद भी धीरज बॉडी बिल्डिंग में भी अपना पूरा समय दे पाते हैं. उन्होंने कहा आने वाली प्रतियोगिताओं में भी वे अपना सर्वश्रेष्ठ देंगे.

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