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कोटद्वार में बहने वाली नदियों के बहुरेंगे दिन, नमामि गंगे परियोजना के तहत होगा काम - Assembly Speaker Ritu Khandudi

कोटद्वार की मालन और सुखरो और खोह नदी में नमामि गंगे परियोजना के तहत विकास कार्य किये जाएंगे. विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने अधिकारियों को इसके लिए निर्देश दिये हैं.

Development works will be done under Namami Gange project in the rivers flowing in Kotdwar
कोटद्वार में बहने वाली नदियों के बहुरेंगे दिन
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Published : Jul 2, 2022, 4:15 PM IST

कोटद्वार/देहरादून: राज्य में नमामि गंगे परियोजना से जुड़े कार्यों की समीक्षा के लिए आज विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने राज्य परियोजना प्रबंधन समूह (एसपीएमजी) के उच्च अधिकारियों के सााथ बैठक की. इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष ने अधिकारियों को कोटद्वार विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत सुखरो, मालन एवं खोह नदी में गिरने वाले नालों की टैपिंग किए जाने के लिए कार्य योजना बनाने की बात कही. उन्होंने कहा अब जबकि सहायक नदियों पर भी केंद्र सरकार नमामि गंगे योजना के तहत कार्य कर रही है तो कोटद्वार में भी सहायक नदियों पर रिवरफ्रंट, घाटों का निर्माण, बाढ़ सुरक्षा योजना, नालों की टेपिंग के लिए 15 दिन के अंतर्गत कार्य योजना बनाने के निर्देश दिए.

विधानसभा अध्यक्ष ने उत्तरप्रदेश की सीमा पर बने एसटीपी प्लांट का निरीक्षण करने के निर्देश अधिकारियों को दिए. उन्होंने कहा इस एसटीपी प्लांट का निरीक्षण कर कोटद्वार शहर के नालों को इससे जोड़ने की भी कार्ययोजना तैयार की जाए. जिससे कि शहर में सीवर की समस्या का समाधान हो सके. विधानसभा अध्यक्ष ने कहा नमामि गंगे योजना के अंतर्गत छोटे शहरों एवं कस्बों पर काम करने की आवश्यकता है, क्योंकि कुछ शहरों में एसटीपी प्लांट नहीं है.

कोटद्वार में बहने वाली नदियों के बहुरेंगे दिन

पढ़ें- केदारनाथ जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए खुशखबरी, अब गर्भगृह में कर सकेंगे स्वयंभू शिवलिंग के दर्शन

बता दें विधानसभा भवन देहरादून में आयोजित बैठक के दौरान नमामि गंगे से दिल्ली के अधिकारी एवं एसपीएमजी के राज्य के सभी अधिकारी मौजूद रहे. विधानसभा अध्यक्ष ने बैठक में राज्य में चल रही नमामि गंगे परियोजना की समीक्षा की. बैठक में गोमुख से लेकर हरिद्वार तक गंगा किनारे के 15 शहरों एवं रामनगर की कोसी नदी में सीवरेज शोधन सयंत्र व नालों की टैपिंग से जुड़े कार्यों की विस्तार से जानकारी ली. साथ ही नई योजनाओं के संबंध में भी अधिकारियों के साथ विमर्श किया.

अधिकारियों ने बताया उत्तराखंड राज्य में 16 शहरों में 23 स्वीकृत योजनाओं में से 19 योजनाएं पूर्ण की जा चुकी हैं, जबकि 4 योजनाओं पर कार्य गतिमान हैं. इन योजनाओं के अंतर्गत 57 एमएलडी के 6 एसटीपी प्लांट का उच्चीकरण किया गया है. 170 एमएलडी क्षमता के 43 नए एसटीपी प्लांट में से 137 एमएलडी के 33 एसटीपी प्लांट का निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है. 10 एसटीपी प्लांट पर निर्माण कार्य प्रगति पर हैं. प्रस्तावित 280 नालों में से 204 प्रदूषित नालों की टैपिंग हो चुकी है. इन परियोजनाओं के तहत एसटीपी का कार्य एवं एसटीपी के उच्चीकरण का कार्य, नालों की टैपिंग, स्नान व श्मशान घाट का निर्माण के कार्य शामिल हैं.

पढ़ें- Reality Check: हरिद्वार में प्लास्टिक बैन अभियान फेल, निगम के रिश्वतखोर बने रोड़ा !

अधिकारियों ने बताया अभी तक 20 करोड़ लीटर गंदे पानी में से 16 करोड़ लीटर गंदे पानी को स्वच्छ करने की क्षमता उत्पन्न कर दी गई है. 184 किलोमीटर में से 170 किलोमीटर सीवर लाइन बिछ चुकी है. अधिकारियों ने बताया प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट बताती है कि गोमुख से लेकर ऋषिकेश तक गंगा के पानी की गुणवत्ता उत्तम है. हरिद्वार में भी गंगा के पानी का स्तर सुधरा है. इस सबको देखते हुए प्रदेश सरकार ने गंगा की अन्य सहायक नदियों को भी साफ-सुथरा बनाने के मद्देनजर केंद्र में दस्तक दी. इसी कड़ी में कुमाऊं मंडल के ऊधमसिंह नगर जिले में छह नदियों से लगे क्षेत्रों की कार्ययोजना को राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन स्वीकृति मिलने की पश्चात निर्माण कार्य प्रारंभ हो चुका है.

कोटद्वार/देहरादून: राज्य में नमामि गंगे परियोजना से जुड़े कार्यों की समीक्षा के लिए आज विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने राज्य परियोजना प्रबंधन समूह (एसपीएमजी) के उच्च अधिकारियों के सााथ बैठक की. इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष ने अधिकारियों को कोटद्वार विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत सुखरो, मालन एवं खोह नदी में गिरने वाले नालों की टैपिंग किए जाने के लिए कार्य योजना बनाने की बात कही. उन्होंने कहा अब जबकि सहायक नदियों पर भी केंद्र सरकार नमामि गंगे योजना के तहत कार्य कर रही है तो कोटद्वार में भी सहायक नदियों पर रिवरफ्रंट, घाटों का निर्माण, बाढ़ सुरक्षा योजना, नालों की टेपिंग के लिए 15 दिन के अंतर्गत कार्य योजना बनाने के निर्देश दिए.

विधानसभा अध्यक्ष ने उत्तरप्रदेश की सीमा पर बने एसटीपी प्लांट का निरीक्षण करने के निर्देश अधिकारियों को दिए. उन्होंने कहा इस एसटीपी प्लांट का निरीक्षण कर कोटद्वार शहर के नालों को इससे जोड़ने की भी कार्ययोजना तैयार की जाए. जिससे कि शहर में सीवर की समस्या का समाधान हो सके. विधानसभा अध्यक्ष ने कहा नमामि गंगे योजना के अंतर्गत छोटे शहरों एवं कस्बों पर काम करने की आवश्यकता है, क्योंकि कुछ शहरों में एसटीपी प्लांट नहीं है.

कोटद्वार में बहने वाली नदियों के बहुरेंगे दिन

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बता दें विधानसभा भवन देहरादून में आयोजित बैठक के दौरान नमामि गंगे से दिल्ली के अधिकारी एवं एसपीएमजी के राज्य के सभी अधिकारी मौजूद रहे. विधानसभा अध्यक्ष ने बैठक में राज्य में चल रही नमामि गंगे परियोजना की समीक्षा की. बैठक में गोमुख से लेकर हरिद्वार तक गंगा किनारे के 15 शहरों एवं रामनगर की कोसी नदी में सीवरेज शोधन सयंत्र व नालों की टैपिंग से जुड़े कार्यों की विस्तार से जानकारी ली. साथ ही नई योजनाओं के संबंध में भी अधिकारियों के साथ विमर्श किया.

अधिकारियों ने बताया उत्तराखंड राज्य में 16 शहरों में 23 स्वीकृत योजनाओं में से 19 योजनाएं पूर्ण की जा चुकी हैं, जबकि 4 योजनाओं पर कार्य गतिमान हैं. इन योजनाओं के अंतर्गत 57 एमएलडी के 6 एसटीपी प्लांट का उच्चीकरण किया गया है. 170 एमएलडी क्षमता के 43 नए एसटीपी प्लांट में से 137 एमएलडी के 33 एसटीपी प्लांट का निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है. 10 एसटीपी प्लांट पर निर्माण कार्य प्रगति पर हैं. प्रस्तावित 280 नालों में से 204 प्रदूषित नालों की टैपिंग हो चुकी है. इन परियोजनाओं के तहत एसटीपी का कार्य एवं एसटीपी के उच्चीकरण का कार्य, नालों की टैपिंग, स्नान व श्मशान घाट का निर्माण के कार्य शामिल हैं.

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अधिकारियों ने बताया अभी तक 20 करोड़ लीटर गंदे पानी में से 16 करोड़ लीटर गंदे पानी को स्वच्छ करने की क्षमता उत्पन्न कर दी गई है. 184 किलोमीटर में से 170 किलोमीटर सीवर लाइन बिछ चुकी है. अधिकारियों ने बताया प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट बताती है कि गोमुख से लेकर ऋषिकेश तक गंगा के पानी की गुणवत्ता उत्तम है. हरिद्वार में भी गंगा के पानी का स्तर सुधरा है. इस सबको देखते हुए प्रदेश सरकार ने गंगा की अन्य सहायक नदियों को भी साफ-सुथरा बनाने के मद्देनजर केंद्र में दस्तक दी. इसी कड़ी में कुमाऊं मंडल के ऊधमसिंह नगर जिले में छह नदियों से लगे क्षेत्रों की कार्ययोजना को राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन स्वीकृति मिलने की पश्चात निर्माण कार्य प्रारंभ हो चुका है.

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