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चिंताजनकः पहाड़ों की तरफ बढ़ रहा दिल्ली का जहर, 3 गुना विषैली हुई हवा - जहरीली हुई हवा

दिल्ली की जहरीली हवा अब उत्तराखंड की ओर बढ़ रही है. हालत ये है कि पोस्ट मॉनसून और सर्दियों में प्रदूषण 15 माइक्रो ग्राम प्रति मीटर क्यूब पहुंच रहा है. जबकि मॉनसून के पहले यह 4.5 से 5 माइक्रो ग्राम प्रति मीटर क्यूब था.

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Published : Nov 11, 2022, 11:34 AM IST

Updated : Nov 11, 2022, 4:51 PM IST

श्रीनगरः साफ सुथरी आबो हवा, सुंदर वादियां और प्राकृतिक नजारों के लिए प्रसिद्ध उत्तराखंड में अब दिल्ली का जहर घुलने लगा (air pollution in uttarakhand) है. उत्तराखंड में दिल्ली से बड़ी मात्रा में कार्बन उत्सर्जन पहाड़ी वादियों में पहुंच रहा है. हालत ये है कि पोस्ट मॉनसून और सर्दियों में प्रदूषण 15 माइक्रो ग्राम प्रति मीटर क्यूब पहुंच रहा है. दिल्ली से बड़ी मात्रा में डस्ट पार्टिकल (धूल के कण) प्रदेश के पहाड़ी हिस्से में पहुंच रहे हैं. इसको लेकर वैज्ञानिकों और विषय विशेषज्ञों ने बड़ी चिंता जाहिर की है. विशेषज्ञों की मानें तो इस मामले पर सभी राज्यों को मिलकर काम करना होगा. नहीं तो भविष्य के लिए चिंता और बढ़ सकती है.

दरअसल, हाल ही में हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय में एयर पॉल्यूशन पर अंतरराष्ट्रीय सेमिनार (International Seminar on Air Pollution) का आयोजन किया गया. अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में पहुंचे आईआईटीएम (Indian Institute of Tropical Meteorology) के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अतुल कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि हाल ही में उनके पास जो डाटा आया है उसके मुताबिक, उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में बड़ी मात्रा में कार्बन उत्सर्जन दिल्ली से हवा के जरिए पहाड़ों में पहुंच रहा है.

पहाड़ों की तरफ बढ़ रहा दिल्ली का जहर.

जिसकी मात्रा 15 माइक्रो ग्राम प्रति मीटर क्यूब मापी गयी है. यही प्रदूषण मॉनसून से पहले 4.5 से 5 माइक्रो ग्राम प्रति मीटर क्यूब था. यानी की मॉनसून के बाद 3 गुना ज्यादा बढ़ा है. यह आंकड़ा 2022 अक्टूबर महीने का है. इसके पीछे दिल्ली में पराली का जलना, वाहनों से निकला प्रदूषण बड़ी वजह है. उन्होंने कहा कि इस विषय पर सभी सरकारों को एक साथ मिलकर नीतियां बनानी होंगी, वरना भविष्य के लिए ये अच्छे संकेत नहीं हैं.
ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड में बदला मौसम का मिजाज, चमोली से पिथौरागढ़ तक बर्फ से ढके पहाड़

वहीं, उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के तकनीकी परामर्शदाता प्रशांत पांडेय का कहना है कि कुछ वर्षों में किए गए कार्यों के चलते प्रदेश में प्रदूषण कम हुआ है. इसका अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि 2019 में देहरादून में प्रदूषण 166 माइक्रो ग्राम प्रति मीटर क्यूब पहुंच गया था जो अब 2022 में 17 से 20 प्रतिशत घटा है. इसी तरह हरिद्वार और ऋषिकेश में भी प्रदूषण में कमी देखी गई है. जबकि, काशीपुर में इंडस्ट्रियल एरिया होने के बाद भी प्रदूषण हल्का घटा है.

उन्होंने कहा कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड विभिन्न संगठनों के साथ मिलकर कार्य करके प्रदूषण को रोकने की कोशिश कर रहा है. कोशिश है कि PM10, PM2.5 के साथ साथ सल्फर डाई ऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइ ऑक्साइड को बढ़ने ना दिया जाए.

श्रीनगरः साफ सुथरी आबो हवा, सुंदर वादियां और प्राकृतिक नजारों के लिए प्रसिद्ध उत्तराखंड में अब दिल्ली का जहर घुलने लगा (air pollution in uttarakhand) है. उत्तराखंड में दिल्ली से बड़ी मात्रा में कार्बन उत्सर्जन पहाड़ी वादियों में पहुंच रहा है. हालत ये है कि पोस्ट मॉनसून और सर्दियों में प्रदूषण 15 माइक्रो ग्राम प्रति मीटर क्यूब पहुंच रहा है. दिल्ली से बड़ी मात्रा में डस्ट पार्टिकल (धूल के कण) प्रदेश के पहाड़ी हिस्से में पहुंच रहे हैं. इसको लेकर वैज्ञानिकों और विषय विशेषज्ञों ने बड़ी चिंता जाहिर की है. विशेषज्ञों की मानें तो इस मामले पर सभी राज्यों को मिलकर काम करना होगा. नहीं तो भविष्य के लिए चिंता और बढ़ सकती है.

दरअसल, हाल ही में हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय में एयर पॉल्यूशन पर अंतरराष्ट्रीय सेमिनार (International Seminar on Air Pollution) का आयोजन किया गया. अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में पहुंचे आईआईटीएम (Indian Institute of Tropical Meteorology) के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अतुल कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि हाल ही में उनके पास जो डाटा आया है उसके मुताबिक, उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में बड़ी मात्रा में कार्बन उत्सर्जन दिल्ली से हवा के जरिए पहाड़ों में पहुंच रहा है.

पहाड़ों की तरफ बढ़ रहा दिल्ली का जहर.

जिसकी मात्रा 15 माइक्रो ग्राम प्रति मीटर क्यूब मापी गयी है. यही प्रदूषण मॉनसून से पहले 4.5 से 5 माइक्रो ग्राम प्रति मीटर क्यूब था. यानी की मॉनसून के बाद 3 गुना ज्यादा बढ़ा है. यह आंकड़ा 2022 अक्टूबर महीने का है. इसके पीछे दिल्ली में पराली का जलना, वाहनों से निकला प्रदूषण बड़ी वजह है. उन्होंने कहा कि इस विषय पर सभी सरकारों को एक साथ मिलकर नीतियां बनानी होंगी, वरना भविष्य के लिए ये अच्छे संकेत नहीं हैं.
ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड में बदला मौसम का मिजाज, चमोली से पिथौरागढ़ तक बर्फ से ढके पहाड़

वहीं, उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के तकनीकी परामर्शदाता प्रशांत पांडेय का कहना है कि कुछ वर्षों में किए गए कार्यों के चलते प्रदेश में प्रदूषण कम हुआ है. इसका अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि 2019 में देहरादून में प्रदूषण 166 माइक्रो ग्राम प्रति मीटर क्यूब पहुंच गया था जो अब 2022 में 17 से 20 प्रतिशत घटा है. इसी तरह हरिद्वार और ऋषिकेश में भी प्रदूषण में कमी देखी गई है. जबकि, काशीपुर में इंडस्ट्रियल एरिया होने के बाद भी प्रदूषण हल्का घटा है.

उन्होंने कहा कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड विभिन्न संगठनों के साथ मिलकर कार्य करके प्रदूषण को रोकने की कोशिश कर रहा है. कोशिश है कि PM10, PM2.5 के साथ साथ सल्फर डाई ऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइ ऑक्साइड को बढ़ने ना दिया जाए.

Last Updated : Nov 11, 2022, 4:51 PM IST
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