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HNB विवि में पारंपरिक चैती गायन की रही धूम, लोक संस्कृति के संरक्षण पर दिया जोर

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Published : Apr 11, 2022, 7:22 AM IST

एचएनबी यूनिवर्सिटी के लोक कला एवं संस्कृति निष्पादन केंद्र में पारंपरिक गायन शैलियों पर आधारित एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. वहीं इस प्रतियोगिता में श्रीनगर समेत आसपास के क्षेत्रों के स्कूलों के छात्र-छात्राओं ने प्रतिभाग किया. छात्रों के पारंपरिक गीतों पर लोग जमकर झूमते नजर आए.

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श्रीनगर

श्रीनगर: हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के लोक कला एवं संस्कृति निष्पादन केंद्र में रविवार को पारंपरिक गायन शैलियों पर आधारित एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में चैत्र माह में होने वाली परपंराओं पर आधारित गीतों की प्रस्तुतियों को खूब सराहा गया. कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि डॉ. वंदना थपलियाल उपस्थित रही.

इस मौके पर डॉ. वंदना थपलियाल ने कहा कि संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए लोक कला विभाग महत्वपूर्ण कार्य कर रहा है. उन्होंने विलुप्त होती परंपराओं को सहेजे जाने पर जोर दिया. प्रसिद्ध रंगकर्मी एवं संस्कृति कर्मी प्रो. डीआर पुरोहित ने चैती परंपरा के बारे में बताया. कार्यक्रम में प्रसिद्ध बेड़ा गायक बचन देई-शिवचरण की नातिन गायिका निधि प्रकाश ने चैती गीतों की प्रस्तुति दी. डॉ. संजय पांडेय व लता तिवारी की जुगलबंदी में चैती गीतों पर लोगों ने खूब लुत्फ उठाया. इस मौके पर डॉ. पांडेय ने कहा कि वह चैती गीतों के संरक्षण व निरंतर इस परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए प्रयासरत हैं.

श्रीनगर में चैती गायन की धूम

आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि अपर निदेशक माध्यमिक शिक्षा महावीर बिष्ट मौजूद रहे. कार्यक्रम में विभिन्न स्कूलों के छात्र-छात्राओं द्वारा चैती गीत गाए गये. प्रतियोगिता का उद्वेश्य नई पीढ़ी को उत्तराखंड की लोक परंपराओं व लोक गीतों की ओर आकर्षित करना है. कार्यक्रम में श्रीनगर गढ़वाल के आस-पास के क्षेत्रों के स्कूलों के छात्र-छात्राओं ने प्रतिभाग किया.
पढ़ें- लखवाड़-व्यासी बांध परियोजना: सिर्फ यादों में रह जाएगा लोहारी गांव, 'विकास' के आगे हारे ग्रामीण

इस मौके पर निदेशक माध्यमिक शिक्षा ने कहा कि चैत के माह में मनाये जाने वाले फूलदेई को बाल महोत्सव घोषित किया जाना चाहिए. जिससे कि आने वाले समय में यह विश्व धरोहर भी बन सके. उन्होंने कहा कि इसके लिए वे एक कमेटी गठित करने का प्रस्ताव भी पेश करेंगे, जो सरकार से फूलदेई पर्व को बाल महोत्सव घोषित करने की मांग कर सके.

श्रीनगर: हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के लोक कला एवं संस्कृति निष्पादन केंद्र में रविवार को पारंपरिक गायन शैलियों पर आधारित एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में चैत्र माह में होने वाली परपंराओं पर आधारित गीतों की प्रस्तुतियों को खूब सराहा गया. कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि डॉ. वंदना थपलियाल उपस्थित रही.

इस मौके पर डॉ. वंदना थपलियाल ने कहा कि संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए लोक कला विभाग महत्वपूर्ण कार्य कर रहा है. उन्होंने विलुप्त होती परंपराओं को सहेजे जाने पर जोर दिया. प्रसिद्ध रंगकर्मी एवं संस्कृति कर्मी प्रो. डीआर पुरोहित ने चैती परंपरा के बारे में बताया. कार्यक्रम में प्रसिद्ध बेड़ा गायक बचन देई-शिवचरण की नातिन गायिका निधि प्रकाश ने चैती गीतों की प्रस्तुति दी. डॉ. संजय पांडेय व लता तिवारी की जुगलबंदी में चैती गीतों पर लोगों ने खूब लुत्फ उठाया. इस मौके पर डॉ. पांडेय ने कहा कि वह चैती गीतों के संरक्षण व निरंतर इस परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए प्रयासरत हैं.

श्रीनगर में चैती गायन की धूम

आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि अपर निदेशक माध्यमिक शिक्षा महावीर बिष्ट मौजूद रहे. कार्यक्रम में विभिन्न स्कूलों के छात्र-छात्राओं द्वारा चैती गीत गाए गये. प्रतियोगिता का उद्वेश्य नई पीढ़ी को उत्तराखंड की लोक परंपराओं व लोक गीतों की ओर आकर्षित करना है. कार्यक्रम में श्रीनगर गढ़वाल के आस-पास के क्षेत्रों के स्कूलों के छात्र-छात्राओं ने प्रतिभाग किया.
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इस मौके पर निदेशक माध्यमिक शिक्षा ने कहा कि चैत के माह में मनाये जाने वाले फूलदेई को बाल महोत्सव घोषित किया जाना चाहिए. जिससे कि आने वाले समय में यह विश्व धरोहर भी बन सके. उन्होंने कहा कि इसके लिए वे एक कमेटी गठित करने का प्रस्ताव भी पेश करेंगे, जो सरकार से फूलदेई पर्व को बाल महोत्सव घोषित करने की मांग कर सके.

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