कोटद्वार: लैंसडाउन वन प्रभाग के लालढांग रेंज में बनने वाले मोटर मार्ग पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है, जिसके बाद कोटद्वार में राजनीति गरमाने लगी है. कांग्रेस इस मुद्दे को लेकर सरकार को घेरने की कोशिश कर रही है. कांग्रेस ने आरोप लगाते हुए कहा है कि सरकार इस मार्ग के निर्माण को लेकर जनता को लगातार गुमराह कर रही है.
बता दें कि लैंसडाउन वन प्रभाग के लालढांग-चिल्लरखाल के बीच 11 किलोमीटर मोटर मार्ग का निर्माण किया जाना था. लेकिन राज्य सरकार की खामियों के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इसपर रोक लगा दी है.
वहीं, पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी ने कहा कि लालढांग-चिल्लरखाल मोटर मार्ग पूरे उत्तराखंड की लाइफ लाइन है. यह मार्ग दोनों मंडलों को जोड़ने वाला एकमात्र मोटर मार्ग है, जिससे राजधानी और हाई कोर्ट की दूरी बहुत कम हो जाती लेकिन राज्य सरकार के कुछ जनप्रतिनिधियों ने इस मार्ग को ट्विस्ट करने की कोशिश की और आज स्थिति ये है कि इस पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी गई है.
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स्थानीय लोगों का कहना है कि इस मार्ग पर राजनीति नहीं होनी चाहिए. क्षेत्र की जनता की मांग है कि लालढांग-चिल्लरखाल मोटर मार्ग बनना चाहिए. अगर इस मार्ग के निर्माण के लिए क्षेत्र की जनता को आंदोलन भी करना पड़े तो जनता पीछे नहीं हटेगी.
लालढांग-चिल्लरखाल मोटर मार्ग की कहानी
साल 2007-2012 में भुवन चंद्र खंडूड़ी के शासनकाल में लालढांग-चिल्लरखाल मोटर मार्ग को लेकर पूर्व विधायक शैलेंद्र सिंह रावत ने कवायद शुरू की थी, लेकिन मार्ग का निर्माण नहीं हो सका. उसके बाद 2012-2017 में विजय बहुगुणा और हरीश रावत के शासनकाल में पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी ने इस सड़क के निर्माण की डीपीआर तैयार कर निर्माण की कवायद शुरू की, लेकिन मार्ग का नहीं हुआ. वहीं, साल 2017 में त्रिवेंद्र रावत के शासनकाल में वन मंत्री हरक सिंह रावत ने इस मार्ग का निर्माण कार्य शुरू करवाया, लेकिन खामियों के चलते सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी.