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प्रशासन ने बाढ़ से निपटने को तैयार की रणनीति, हटाया जाएगा नदियों में जमा सिल्ट और मलबा

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Published : Jun 1, 2019, 9:35 PM IST

कोटद्वार में हर साल बारिश अपने साथ आपदा लेकर आती है. इस दौरान नदियों और नालों में बाढ़ के हालत बन जाते हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए इस बार नदियों में चैनलाइज का काम किया जा रहा है. ताकि लोगों को बाढ़ से राहत मिल सके.

Kotdwar

कोटद्वार: मानसून सीजन शुरू होने को है, ऐसे में प्रशासन ने बाढ़ से निटपने की तैयारियों शुरू कर दी है. शासन के निर्देश पर उप जिलाधिकारी ने कोट्द्वार में खो और सुखरो नदी में पड़े सिल्ट और मलबे को हटाने का काम शुरू कर दिया है. इसके लिए 5 लॉट में आवंटन किया गया है. ताकि रिवर ट्रेनिंग नीति के अनुसार चैनेलाइज का कार्य आधुनिक मशीनों के द्वारा किया जा सके.

पढ़ें- उत्तराखंड के जंगलों में विकराल होती जा रही आग और विभाग कर रहा बारिश का इंतजार

कोटद्वार में हर साल बारिश अपने साथ आपदा लेकर आती है. इस दौरान नदियों और नालों में बाढ़ के हालत बन जाते हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए इस बार नदियों में चैनलाइज का काम किया जा रहा है. ताकि लोगों को बाढ़ से राहत मिल सके.

प्रशासन ने बाढ़ से निपटने को तैयार की रणनीति

उप जिलाधिकारी कोटद्वार मनीष कुमार ने बताया कि मानसून सीजन में बाढ़ का खतरा बना रहता है. उसको देखते हुए जिन जगहों पर नदियों में सिल्ट और मलबा अधिक जमा हो गया है, उनको चैनेलाइज कर नदी को मध्य भाग में केंद्रित करने का काम किया जा रहा है.

उप जिलाधिकारी के अनुसार रिवर ट्रेनिंग की पॉलिसी के अनुसार तहसील परिसर में खुली बोली के माध्यम से लॉट आवंटन किए गए हैं. इसमें कुल 5 लॉट हैं. इससे प्रशासन को करीब 4 से 5 करोड़ के आसपास का राजस्व प्राप्त हुआ है.

सभी लॉट की लंबाई और चौड़ाई निर्धारित है. इसमें गहराई नदी तल से डेढ मीटर नीचे है. ताकि नदी अपने मुख्य स्थान पर बह सके. इसके अलावा पुल के 200 मीटर के दायरे में चैनलाइज का काम नहीं किया जाएगा. वहीं सार्वजनिक संपत्ति को किसी भी प्रकार से नुकसान पहुंचाने की स्थिति में अनुज्ञापी की संपूर्ण धनराशि को जब्त कर लिया जाएगा. चैनेलाइज का कार्य आधुनिक मशीनों से किया जाएगा क्योंकि बिना मशीनों चैनेलाइज का कार्य असंभव है पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी की गई है.

कोटद्वार: मानसून सीजन शुरू होने को है, ऐसे में प्रशासन ने बाढ़ से निटपने की तैयारियों शुरू कर दी है. शासन के निर्देश पर उप जिलाधिकारी ने कोट्द्वार में खो और सुखरो नदी में पड़े सिल्ट और मलबे को हटाने का काम शुरू कर दिया है. इसके लिए 5 लॉट में आवंटन किया गया है. ताकि रिवर ट्रेनिंग नीति के अनुसार चैनेलाइज का कार्य आधुनिक मशीनों के द्वारा किया जा सके.

पढ़ें- उत्तराखंड के जंगलों में विकराल होती जा रही आग और विभाग कर रहा बारिश का इंतजार

कोटद्वार में हर साल बारिश अपने साथ आपदा लेकर आती है. इस दौरान नदियों और नालों में बाढ़ के हालत बन जाते हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए इस बार नदियों में चैनलाइज का काम किया जा रहा है. ताकि लोगों को बाढ़ से राहत मिल सके.

प्रशासन ने बाढ़ से निपटने को तैयार की रणनीति

उप जिलाधिकारी कोटद्वार मनीष कुमार ने बताया कि मानसून सीजन में बाढ़ का खतरा बना रहता है. उसको देखते हुए जिन जगहों पर नदियों में सिल्ट और मलबा अधिक जमा हो गया है, उनको चैनेलाइज कर नदी को मध्य भाग में केंद्रित करने का काम किया जा रहा है.

उप जिलाधिकारी के अनुसार रिवर ट्रेनिंग की पॉलिसी के अनुसार तहसील परिसर में खुली बोली के माध्यम से लॉट आवंटन किए गए हैं. इसमें कुल 5 लॉट हैं. इससे प्रशासन को करीब 4 से 5 करोड़ के आसपास का राजस्व प्राप्त हुआ है.

सभी लॉट की लंबाई और चौड़ाई निर्धारित है. इसमें गहराई नदी तल से डेढ मीटर नीचे है. ताकि नदी अपने मुख्य स्थान पर बह सके. इसके अलावा पुल के 200 मीटर के दायरे में चैनलाइज का काम नहीं किया जाएगा. वहीं सार्वजनिक संपत्ति को किसी भी प्रकार से नुकसान पहुंचाने की स्थिति में अनुज्ञापी की संपूर्ण धनराशि को जब्त कर लिया जाएगा. चैनेलाइज का कार्य आधुनिक मशीनों से किया जाएगा क्योंकि बिना मशीनों चैनेलाइज का कार्य असंभव है पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी की गई है.

Intro:एंकर- दैविक आपदा के मद्देनजर से जानमाल का खतरा जो वर्षा काल में होता है उसको देखते हुए शासन के निर्देशों पर उपजिलाधिकारी कोटद्वार ने खो और सुखरो नदी को 5 लॉट की खुली बोली के माध्यम से आवंटन किया है जिसमें खोह नदी में चार लॉट और सुखरो नदी में एक लॉट आवंटन हुआ है रिवर ट्रेनिंग नीति के अनुसार चैनेलाइज का कार्य आधुनिक मशीनों के द्वारा किया जाएगा यह समिति ने निर्णय लिया है।


Body:वीओ1- बता दें कि खोह और सुखारो नदी में वर्षा काल में अधिक पानी आने से नदी में कई जगह पर सिल्ट और मलवा जमा हो गया है जिससे नदी का बहाव बस्तियों की तरफ रुक कर गया है जिसको देखते हुए शासन ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देशित किया था कि वर्षा काल से पहले ही नदियों को रीवर चैनलाइज के अंतर्गत चैनलाइज कर के बीचोबीच केंद्रित किया जाए जिससे कि आने वाले वर्षा काल में बाढ़ जैसी स्थिति से निपटा जा सके।


Conclusion:वीओ2- उपजिलाधिकारी कोटद्वार मनीष कुमार ने बताया कि दैविक आपदा के मद्देनजर से जान और माल का खतरा जो वर्षा काल में होता है उसको देखते हुए जिन जगहों पर नदियों में सिल्ट और मलवा अधिक जमा हो गया है उनको चैनेलाइज कर नदी को मध्य भाग में केंद्रित करने के लिए रिवर ट्रेनिंग की पॉलिसी के अनुसार तहसील परिसर में खुली बोली के माध्यम से लौट आवंटन किए गए हैं इसमें कुल 5 लौट हैं सभी लौट की लंबाई और चौड़ाई निर्धारित है हमने जो विज्ञप्ति समाचार पत्र में प्रकाशित किए उसमें गहराई जो नदी तल से डेढ़ मीटर तक है ताकि नदी अपने मुख्य स्थान पर बह सके सरकार को प्लॉट आवंटन होने से राजस्व की प्राप्ति हुई है अभी कुल राजस्व को कैलकुलेट नहीं किया गया है लेकिन लगभग 4 से 5 करोड़ के आसपास का राजस्व सरकार को प्राप्त हुआ है रिबर ट्रेनिंग नीति के अनुसार पुल और सार्वजनिक संपत्ति के संबंध में स्पष्ट रूप से अनुज्ञापी को बता दिया गया है कि पुल से 200 मीटर छोड़कर चैनलाइज का कार्य किया जाएगा और सार्वजनिक संपत्ति को किसी भी प्रकार से नुकसान पहुचने की स्थिति में अनुज्ञापी की संपूर्ण धनराशि को जफ़्त कर लिया जाएगा समिति ने निर्णय लिया है कि चैनलाइज का कार्य आधुनिक मशीनों से किया जाएगा क्योंकि बिना मशीनों चैनलाइज का कार्य असंभव है पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी की गई है

बाइट मनीष कुमार उपजिलाधिकारी
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