कोटद्वार: बरसात शुरू होने में करीब एक महीना बचा है, लेकिन जिला प्रशासन ने अब तक बारिश से निपटने के लिए कोई ठोस व्यवस्था नहीं की है. ऐसे में नदी किनारे रहने वाले लोगों को अभी से डर सताने लगा है कि कही साल 2017-18 में आई बाढ़ से हुई तबाही दोबारा से न हो.
दरअसल, साल 2017-18 में कोटद्वार भाबर में बहने वाली मालन, सुखरो, खोह, तेली स्रोत, गवालगड्ड स्रोत, पनियाली स्रोत में बारिश का पानी आने की वजह से बाढ़ जैसी स्थिति बन गई थी. इस वजह से आबादी वाले इलाके से लेकर खेती के कई हेक्टेयर जमीन में लगी फसल प्रभावित हो गई थी. लेकिन, फिर भी जिला प्रशासन ने इन जगहों पर बाढ़ से निपटने के लिए कोई प्लॉन नहीं तैयार किया.
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इस मामले को लेकर स्थानीय विधायक और वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने कहा कि जिला प्रशासन को आपदा मद से इन कार्यों को सुनिश्चित करना चाहिए. उन्होंने बताया कि जिलाधिकारी को निर्देश दिए गए हैं कि जो नदियां उफान पर हैं या जिनका जल स्तर पहले के मुकाबले ज्यादा हो गया है, उन जगहों पर जाल लगाने और सुरक्षा दीवार लगाने का काम किया जाए.
हरक सिंह रावत ने बताया कि खनन विभाग, वन विभाग व सिंचाई विभाग को मिलकर नदियों की सफाई और जरूरी व्यवस्था कर एक महीने के अंदर सारे काम निपटाने हैं. उन्होंने कहा कि चाहे जेसीबी लगानी पड़े, टैक्टर लगाने पड़े, मैन पावर यूज करनी पड़े, जैसे भी हो नदियों की सफाई व्यवस्था को सुनिश्चित किया जाए. उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन को आपदा मद से इन व्यवस्थाओं को सुनिश्चित करना चाहिए.
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बता दें कि साल 2017- 18 में कोटद्वार भाबर क्षेत्र में बाढ़ की वजह से जान-माल की हानि हुई थी. तब मुख्यमंत्री ने भी कोटद्वार आकर आपदा पीड़ितों का हाल जाना था और हर संभव मदद की बात कही थी. समय गुजरा और सरकार अपने वादे भूल गयी, लेकिन जैसे-जैसे बरसात के दिन नजदीक आ रहे हैं आपदा पीड़ितों को दोबारा से वो विनाश का मंजर डराने लगा है.