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बरसात से पहले सहमे नदी किनारे बसे लोग, अभी तक नहीं हुआ आपदा से निपटने का इंतजाम

बारिश की वजह से आने वाली आपदाओं से निपटने के लिए नहीं हुई प्रशासन की तैयारी पूरी. बरसात के सीजन शुरू होने में बचा है महज एक महीना.

फाइल फोेटो.
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Published : May 14, 2019, 12:59 PM IST

कोटद्वार: बरसात शुरू होने में करीब एक महीना बचा है, लेकिन जिला प्रशासन ने अब तक बारिश से निपटने के लिए कोई ठोस व्यवस्था नहीं की है. ऐसे में नदी किनारे रहने वाले लोगों को अभी से डर सताने लगा है कि कही साल 2017-18 में आई बाढ़ से हुई तबाही दोबारा से न हो.

दरअसल, साल 2017-18 में कोटद्वार भाबर में बहने वाली मालन, सुखरो, खोह, तेली स्रोत, गवालगड्ड स्रोत, पनियाली स्रोत में बारिश का पानी आने की वजह से बाढ़ जैसी स्थिति बन गई थी. इस वजह से आबादी वाले इलाके से लेकर खेती के कई हेक्टेयर जमीन में लगी फसल प्रभावित हो गई थी. लेकिन, फिर भी जिला प्रशासन ने इन जगहों पर बाढ़ से निपटने के लिए कोई प्लॉन नहीं तैयार किया.

पढ़ें- धधक रहे चंपावत के जंगल, आग लगाता एक व्यक्ति पकड़ा गया

इस मामले को लेकर स्थानीय विधायक और वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने कहा कि जिला प्रशासन को आपदा मद से इन कार्यों को सुनिश्चित करना चाहिए. उन्होंने बताया कि जिलाधिकारी को निर्देश दिए गए हैं कि जो नदियां उफान पर हैं या जिनका जल स्तर पहले के मुकाबले ज्यादा हो गया है, उन जगहों पर जाल लगाने और सुरक्षा दीवार लगाने का काम किया जाए.

बरसात सीजन शुरू होने से पहले डरे कोटद्वार निवासी.

हरक सिंह रावत ने बताया कि खनन विभाग, वन विभाग व सिंचाई विभाग को मिलकर नदियों की सफाई और जरूरी व्यवस्था कर एक महीने के अंदर सारे काम निपटाने हैं. उन्होंने कहा कि चाहे जेसीबी लगानी पड़े, टैक्टर लगाने पड़े, मैन पावर यूज करनी पड़े, जैसे भी हो नदियों की सफाई व्यवस्था को सुनिश्चित किया जाए. उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन को आपदा मद से इन व्यवस्थाओं को सुनिश्चित करना चाहिए.

पढ़ें- सिपाहियों पर हमला करने वाले 3 जुआरी गिरफ्तार, सिडकुल चौकी इंचार्ज लाइन

बता दें कि साल 2017- 18 में कोटद्वार भाबर क्षेत्र में बाढ़ की वजह से जान-माल की हानि हुई थी. तब मुख्यमंत्री ने भी कोटद्वार आकर आपदा पीड़ितों का हाल जाना था और हर संभव मदद की बात कही थी. समय गुजरा और सरकार अपने वादे भूल गयी, लेकिन जैसे-जैसे बरसात के दिन नजदीक आ रहे हैं आपदा पीड़ितों को दोबारा से वो विनाश का मंजर डराने लगा है.

कोटद्वार: बरसात शुरू होने में करीब एक महीना बचा है, लेकिन जिला प्रशासन ने अब तक बारिश से निपटने के लिए कोई ठोस व्यवस्था नहीं की है. ऐसे में नदी किनारे रहने वाले लोगों को अभी से डर सताने लगा है कि कही साल 2017-18 में आई बाढ़ से हुई तबाही दोबारा से न हो.

दरअसल, साल 2017-18 में कोटद्वार भाबर में बहने वाली मालन, सुखरो, खोह, तेली स्रोत, गवालगड्ड स्रोत, पनियाली स्रोत में बारिश का पानी आने की वजह से बाढ़ जैसी स्थिति बन गई थी. इस वजह से आबादी वाले इलाके से लेकर खेती के कई हेक्टेयर जमीन में लगी फसल प्रभावित हो गई थी. लेकिन, फिर भी जिला प्रशासन ने इन जगहों पर बाढ़ से निपटने के लिए कोई प्लॉन नहीं तैयार किया.

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इस मामले को लेकर स्थानीय विधायक और वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने कहा कि जिला प्रशासन को आपदा मद से इन कार्यों को सुनिश्चित करना चाहिए. उन्होंने बताया कि जिलाधिकारी को निर्देश दिए गए हैं कि जो नदियां उफान पर हैं या जिनका जल स्तर पहले के मुकाबले ज्यादा हो गया है, उन जगहों पर जाल लगाने और सुरक्षा दीवार लगाने का काम किया जाए.

बरसात सीजन शुरू होने से पहले डरे कोटद्वार निवासी.

हरक सिंह रावत ने बताया कि खनन विभाग, वन विभाग व सिंचाई विभाग को मिलकर नदियों की सफाई और जरूरी व्यवस्था कर एक महीने के अंदर सारे काम निपटाने हैं. उन्होंने कहा कि चाहे जेसीबी लगानी पड़े, टैक्टर लगाने पड़े, मैन पावर यूज करनी पड़े, जैसे भी हो नदियों की सफाई व्यवस्था को सुनिश्चित किया जाए. उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन को आपदा मद से इन व्यवस्थाओं को सुनिश्चित करना चाहिए.

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बता दें कि साल 2017- 18 में कोटद्वार भाबर क्षेत्र में बाढ़ की वजह से जान-माल की हानि हुई थी. तब मुख्यमंत्री ने भी कोटद्वार आकर आपदा पीड़ितों का हाल जाना था और हर संभव मदद की बात कही थी. समय गुजरा और सरकार अपने वादे भूल गयी, लेकिन जैसे-जैसे बरसात के दिन नजदीक आ रहे हैं आपदा पीड़ितों को दोबारा से वो विनाश का मंजर डराने लगा है.

Intro:एंकर- बरसात शुरू होने के एक ही महीने शेष बचा है लेकिन जिला प्रशासन ने अभी तक बरसात से होने वाली हानियां से निपटने के लिए धरातल पर कोई व्यवस्था नहीं की है ऐसे में नदियों के किनारे रहने वाले लोगों को अभी से डर सताने लगा है वर्ष 2017-18 में भारी बारिश के कारण नदियों में भयानक बाढ़ आई थी उस दौरान नदियों ने अपना रुख बदल कर आबादी की ओर कर दिया था तब स्थानीय लोगों की कई हेक्टेयर भूमि फसल सैकड़ों पेड़ नदियों की भेंट चढ़ गए थे लेकिन आपदा आए हुए 2 साल गुजर चुके हैं अभी तक भी जिला प्रशासन ने इन जगहो पर बाढ़ से निपटने का कोई कार्य नहीं किया है स्थानीय विधायक व वन मंत्री डॉ हरक सिंह रावत भी अपना पल्ला झाड़ते हुए कह रहे हैं कि जिला प्रशासन को आपदा मद से इन कार्यों को सुनिश्चित करना चाहिए


Body:वीओ1- बता दें कि वर्ष 2017- 18 में कोटद्वार भाबर में बहने वाली मालन, सुखरो, खोह, तेली स्रोत, गवालगड्ड स्रोत, पनियाली स्रोत में अधिक पानी आने से बाढ़ जैसी स्थिति बन गई थी,
उस दौरान कोटद्वार भाबर क्षेत्र में जान माल की हानि भी हुई थी तब सूबे के मुख्यमंत्री ने भी कोटद्वार आकर आपदा पीड़ितों का हाल जाना था, समय गुजरा और सरकार अपने वायदे भूल गयी, लेकिन आपदा पीड़ित जैसे जैसे बरसात के दिन नजदीक आ रहे हैं उनको वह दिन दोबारा से याद आने शुरू हो गए हैं,

वीओ2- वहीं स्थानीय विधायक व वन मंत्री डॉ हरक सिंह रावत ने अपना पल्ला झाड़ते हुए कहा कि मैंने जिलाधिकारी से कहा है कि जहां भी नदियों में उभार आ गया है उनका स्तर ऊंचा हो गया हो लगता है कि बारिश होने के बाद उन जगहों पर खतरा उत्पन्न हो सकता है ऐसी जगह पर जाल लगाये जाए सुरक्षा दीवार लगाई जाए और खनन विभाग वन विभाग व सिंचाई विभाग मिलकर नदियों की सफाई की व्यवस्था करें 1 महीने के अंदर बरसात शुरू होने से पहले चाहे जेसीबी लगानी पड़े टैक्टर लगाने पड़े मेन पावर यूज़ करनी पड़े हर हाल में नदियों का समतलीकरण के लिए मजबूती के साथ कदम उठाएं, मैं सोचता हूं कि जिला प्रशासन को आपदा मद से इन व्यवस्थाओं को सुनिश्चित करना चाहिए।

बाइट डॉ हरक सिंह रावत


फीड फ़ाइल कॉपी है 2018 में आई आपदा की


Conclusion:
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