हल्द्वानी: गौलापार चिड़ियाघर और सफारी को सेंट्रल जू अथॉरिटी (सीजेडए) से स्वीकृति मिल गई है. स्वीकृति मिलने के बाद से वन विभाग ने गौलापार में उत्तराखंड का सबसे बड़ा चिड़ियाघर और सफारी बनाने की कवायद तेज कर दी है. तराई पूर्वी वन प्रभाग के अंतर्गत गौलापार में करीब चार सौ हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल में जू और सफारी बनाने की योजना है.
योजना पर सीएम धामी गंभीर: डीएफओ तराई पूर्वी वन विभाग और निर्देशक जू अथॉरिटी संदीप कुमार ने बताया कि गौलापार में बनने वाले जू और सफारी की मांग साल 2016 से चल रही थी. लेकिन तकनीकी दिक्कत और मामला वन भूमि हस्तांतरण की वजह से अटका, फिर सीजेडए से मास्टर प्लान के एप्रूव्ड होने की शर्त भी पूरी होने की बात आई, सीजेडए ने संबंधित योजना को गैर वानिकी नहीं माना गया है. इसके बाद मास्टर प्लान स्वीकृत कर सशर्त अनुमति प्रदान कर दी गई है. इस प्रोजेक्ट को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी काफी गंभीर दिख रहे थे. इस प्रोजेक्ट की लेटलतीफी पर पिछले दिनों मुख्यमंत्री ने अधिकारियों के समक्ष नाराजगी भी जताई थी.
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वन भूमि हस्तांतरण की जरूरत नहीं: डीएफओ संदीप कुमार ने बताया कि इस मेगा प्रोजेक्ट में बायो डायवर्सिटी पार्क के अलावा बाघों-तेंदुओं को रखने के लिए बाड़ा, वन्यजीवों का अस्पताल, पक्षियों के ब्रीडिंग सेंटर से लेकर मानव-वन्यजीव संघर्ष में घायल वन्य जीवों को रेस्क्यू कर यहां पर रखा जाएगा.उन्होंने कहना है कि अब निर्माण कार्य जल्द शुरू करने की कार्रवाई की जा रही है. योजना को गैर वानिकी नहीं माना गया है. इसके लिए वन भूमि हस्तांतरण की जरूरत भी नहीं होगी. शासन से बजट उपलब्ध होते ही चिड़ियाघर और सफारी का निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा.
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लंबे समय से अधर में लटका था प्रोजेक्ट: गौरतलब है कि साल 2016 में तत्कालीन सरकार ने चिड़ियाघर और सफारी मेगा प्रोजेक्ट का शिलान्यास किया था. उस समय तत्कालीन सरकार ने 17 करोड़ रुपए का बजट भी जारी किया था, जिससे चिड़ियाघर की बाउंड्री वॉल बनकर तैयार है. बाउंड्री वॉल बनने के बाद यह प्रोजेक्ट 8 साल से अधर में लटका हुआ था. ऐसे में अनुमति मिलने के बाद उम्मीद जताई जा रही है कि कुमाऊं का यह मेगा प्रोजेक्ट जल्द धरातल पर उतरेगा.