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मकर संक्रांति पर सामूहिक यज्ञोपवीत कार्यक्रम, 300 बटुकों का किया गया संस्कार

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Published : Jan 14, 2021, 1:51 PM IST

Updated : Jan 14, 2021, 7:41 PM IST

हल्द्वानी के हल्दुचौड़ स्थित गायत्री शक्तिपीठ में करीब 300 बटुकों का सामूहिक यज्ञोपवीत, जनेऊ और मुंडन संस्कार किया गया.

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सामूहिक यज्ञोपवीत संस्कार

हल्द्वानी: उत्तरायणी और मकर संक्रांति के मौके पर हल्द्वानी के हल्दुचौड़ स्थित गायत्री शक्तिपीठ में करीब 300 बटुकों का सामूहिक यज्ञोपवीत, जनेऊ और मुंडन संस्कार किया गया. हिंदू मान्यता अनुसार 13 संस्कारों में यज्ञोपवीत संस्कार सबसे महत्वपूर्ण संस्कार माना जाता है. इसी को देखते हुए गायत्री शक्तिपीठ में आयोजित सामूहिक यज्ञोपवीत संस्कार कार्यक्रम में पहुंचे लोगों ने अपने बच्चों की अच्छे संस्कार की कामना की.

सामूहिक यज्ञोपवीत संस्कार में उत्तराखंड के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती जिलों से भी भारी संख्या में लोग पहुंचे, जहां अपने बच्चों का यज्ञोपवीत संस्कार कराया. गौरतलब है कि हर साल उत्तरायणी और बसंत पंचमी के मौके पर यज्ञोपवीत संस्कार करना शुभ माना जाता है. धर्म शास्त्रों के अनुसार हिंदू धर्म में यज्ञोपवीत संस्कार के बाद मनुष्य का मस्तिष्क, शारीरिक और धार्मिक विकास होता है.

सामूहिक यज्ञोपवीत संस्कार

ये भी पढ़ें: मकर संक्रांति: तीर्थनगरी के गंगा घाटों पर उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़, खूब कर रहे दान-पुण्य

हल्दुचौड़ गायत्री शक्तिपीठ द्वारा आयोजित सामूहिक यज्ञोपवीत संस्कार में अलग-अलग सामूहिक विरासत को एक साथ देखने को मिला. वहीं, आज ग्रामीण इलाकों में भी लोग अपने घरों में भी अपने बच्चों का यज्ञोपवीत संस्कार कर रहे हैं, जिससे उनके बच्चों में अच्छे संस्कार उत्पन्न हो. कोविड-19 के मद्देनजर इस बार गायत्री शक्तिपीठ द्वारा कई चरणों में यज्ञोपवीत किया गया, जिससे कि लोग ज्यादा से ज्यादा अपने बच्चों को अच्छे संस्कार के लिए प्रेरित कर सकें.

हल्द्वानी: उत्तरायणी और मकर संक्रांति के मौके पर हल्द्वानी के हल्दुचौड़ स्थित गायत्री शक्तिपीठ में करीब 300 बटुकों का सामूहिक यज्ञोपवीत, जनेऊ और मुंडन संस्कार किया गया. हिंदू मान्यता अनुसार 13 संस्कारों में यज्ञोपवीत संस्कार सबसे महत्वपूर्ण संस्कार माना जाता है. इसी को देखते हुए गायत्री शक्तिपीठ में आयोजित सामूहिक यज्ञोपवीत संस्कार कार्यक्रम में पहुंचे लोगों ने अपने बच्चों की अच्छे संस्कार की कामना की.

सामूहिक यज्ञोपवीत संस्कार में उत्तराखंड के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती जिलों से भी भारी संख्या में लोग पहुंचे, जहां अपने बच्चों का यज्ञोपवीत संस्कार कराया. गौरतलब है कि हर साल उत्तरायणी और बसंत पंचमी के मौके पर यज्ञोपवीत संस्कार करना शुभ माना जाता है. धर्म शास्त्रों के अनुसार हिंदू धर्म में यज्ञोपवीत संस्कार के बाद मनुष्य का मस्तिष्क, शारीरिक और धार्मिक विकास होता है.

सामूहिक यज्ञोपवीत संस्कार

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हल्दुचौड़ गायत्री शक्तिपीठ द्वारा आयोजित सामूहिक यज्ञोपवीत संस्कार में अलग-अलग सामूहिक विरासत को एक साथ देखने को मिला. वहीं, आज ग्रामीण इलाकों में भी लोग अपने घरों में भी अपने बच्चों का यज्ञोपवीत संस्कार कर रहे हैं, जिससे उनके बच्चों में अच्छे संस्कार उत्पन्न हो. कोविड-19 के मद्देनजर इस बार गायत्री शक्तिपीठ द्वारा कई चरणों में यज्ञोपवीत किया गया, जिससे कि लोग ज्यादा से ज्यादा अपने बच्चों को अच्छे संस्कार के लिए प्रेरित कर सकें.

Last Updated : Jan 14, 2021, 7:41 PM IST
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