कालाढूंगी: 16 दिसंबर 1971 का वो दिन जब उत्तराखंड के वीर सैनिकों के अदम्य साहस का परिचय पूरी दुनिया को हुआ था. जिसके बाद से हर साल 16 दिसंबर को विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है. इसी उपलक्ष्य पर कालाढूंगी के पूर्व सैनिकों ने रामलीला मैदान में विजय दिवस मनाया. जिसमें भारत और पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध के दौरान अपने प्राणों की आहूति देने वाले सैनिकों की शौर्यगाथा को याद कर उनके परिजनों को सम्मानित किया.
बता दें कि 16 दिसंबर 1971, यही वो दिन था जब 13 दिन की जंग के बाद पाकिस्तान के 93,000 हजार सैनिकों ने भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था. जिसके बाद नए देश बांग्लादेश का जन्म हुआ. देश की रक्षा के लिए देवभूमि के रणबांकुरों के अदम्य साहस के आगे दुश्मनों ने हमेशा मुंह की खाई. तभी से 16 दिसंबर को वीरता दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस युद्ध के बाद भारतीय सैनिकों की युद्ध कुशलता को भारत के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में विजय दिवस के रूप में लिखा गया.
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साल 1962, 1965, और 1971 कि लड़ाई अपनी सहभागिता के लिए जाने वाले स्वर्गीय राम सिंह सामंत के पुत्र गंगा सिंह सामंत ने बताया कि वो 20 वर्ष भारतीय सेना में सेवा देकर अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं. उन्होंने बताया कि 16 दिसंबर का दिन भारतीय सेना के लिए ही नहीं पूरे भारतवर्ष के लिए गौरवपूर्ण है. इस युद्ध में पाकिस्तान के 93 हजार सैनिकों ने भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण किया था. वो पल वाकई ऐतिहासिक था. जिसे भारत के लोग हर साल बड़े ही हर्ष के साथ मानते हैं.