नैनीताल: नाबालिग से दुष्कर्म मामले में शांतिकुंज प्रमुख प्रणव पांड्या की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता एपी सिंह ने इस मामले में पीड़िता को इंसाफ दिलाने के लिए नैनीताल हाई कोर्ट में याचिका दायर की है. याचिका में उन्होंने मामले की जांच सीबीआई या फिर किसी अन्य राज्य की जांच एजेंसी से कराने की मांग की है.
याचिकाकर्ता का कहना है कि प्रणव पांड्या प्रभावशाली व्यक्ति हैं. उनका अपने प्रदेश में प्रभाव चलता है. लिहाजा मामले की जांच किसी दूसरे राज्य की जांच एजेंसी से कराई जाए. इसके साथ उन्होंने प्रणव पांड्या की गिरफ्तारी पर लगी रोक को भी हटाने की मांग की है.
एपी सिंह ने अपनी याचिका में कहा कि छत्तीसगढ़ के एक गरीब माता-पिता ने अपनी 14 साल की बेटी को शांतिकुंज गायत्री परिवार के प्रमुख डॉ. प्रणव पांड्या और उनकी पत्नी के घर काम करने के लिए छोड़ा था, लेकिन प्रणव पांड्या ने 14 साल की नाबालिग लड़की के साथ 2010 से 2014 के बीच कई बार दुराचार किया. जिसकी शिकायत पीड़िता ने पांड्या की पत्नी से भी की थी, लेकिन पांड्या की पत्नी ने नाबालिग को डरा धमकाकर उसका मुंह बंद कर दिया था. इस घटना के बाद पीड़िता ने पांड्या के खिलाफ दिल्ली कोतवाली में जीरो एफआईआर दर्ज कराई थी.
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बता दें कि इस मामले में गिरफ्तारी से बचने के लिए शांतिकुंज प्रमुख प्रणव पांड्या ने नैनीताल हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. जिस पर सुनवाई करते हुए नैनीताल हाई कोर्ट की एकल पीठ ने अपने अग्रिम आदेशों तक प्रणव पांड्या की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी. जिस पर पीड़िता के अधिवक्ता एपी सिंह की तरफ से आपत्ति दर्ज कराई गई है.
साथ ही उन्होंने कोर्ट को बताया कि पांड्या ने इस मामले के मुख्य गवाह की शांतिकुंज में हत्या करवा दी है. कई अन्य लोगों की हत्या की योजना भी बनाई जा रही है. सरकार की तरफ से विटनेस प्रोटक्शन एक्ट के तहत पीड़ित समेत किसी भी गवाह को सुरक्षा नहीं दी गई है. लिहाजा पीड़िता समेत उनके परिजनों व संबंधित लोगों को सुरक्षा दी जाए और प्रणव पांड्या की जमानत को खारिज किया जाए.