नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने नैनीताल जिले के बेतालघाट विकासखंड के 15 बीटीसी मेंबरों को किसी भी समिति में शामिल नहीं करने और न ही उनके क्षेत्रों की विकास योजनाओं को शामिल करने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि जिलाधिकारी की रिपोर्ट पर क्या कार्रवाई हुई, इस पर 17 मई तक शपथ पत्र पेश करें. मामले की अगली सुनवाई 17 मई को होगी.
मामले के अनुसार बेतालघाट विकासखंड के 15 बीटीसी मेंबरों ने साल 2021 में जनहित याचिका दायर की थी. जनहित याचिका ने उन्होंने कहा कि उनको न तो किसी विकास समिति में शामिल किया गया है और न ही ही उनके क्षेत्रों की विकास योजनाओं पर विचार किया जा रहा है, जिसकी वजह से उनके क्षेत्रों का विकास नहीं हो पा रहा है. जबकि वे जन प्रतिनिधि है.
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बीटीसी मेंबरों ने बताया कि उन्होंने इस संबंध में जिलाधिकारी नैनीताल और सीडीओ (मुख्य विकास अधिकारी) नैनीताल से शिकायत भी थी, लेकिन उनकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. 18 अगस्त 2021 को हाईकोर्ट ने उनकी जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए जिलाधिकारी को निर्देश दिए थे कि वे इस मामले की जांच कर उसकी रिपोर्ट कोर्ट में पेश करें.
कोर्ट के आदेश पर नैनीताल जिलाधिकारी ने मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय टीम का गठन किया था. आज तीन अप्रैल को जिलाधिकारी ने कोर्ट में रिपोर्ट पेश कर रहा कि जनहित याचिका में लगाए गए कुछ आरोपों की पुष्टि हुई है और कुछ की नहीं. जिस पर कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए कि जिलाधिकारी की रिपोर्ट पर क्या कार्रवाई की, इसपर 17 मई तक जवाब पेश करने को कहा है.