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सरकार की उप समन विधि को HC में दी चुनौती, कोर्ट ने सरकार को किया तलब

देहरादून निवासी सेवानिवृत्त टाउन प्लानर एचसी घिल्डियाल ने शहरी विकास नियोजन एक्ट में संशोधन किए बिना आवासीय क्षेत्र का भू-उपयोग व्यावसायिक करने की सरकार की उप समन विधि को उत्तराखंड हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. जिस पर शुक्रवार को कोर्ट में सुनवाई हुई. इस मामले में कोर्ट ने सरकार को तलब किया है.

Uttarakhand High Court
उत्तराखंड हाईकोर्ट
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Published : May 6, 2022, 2:45 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने शहरी विकास नियोजन एक्ट में संशोधन किए बिना आवासीय क्षेत्र का भू-उपयोग व्यावसायिक करने की सरकार की उप समन विधि को चुनौती देती जनहित याचिका पर सुनवाई की. वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार और न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने इस मामले में तीन सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने को कहा है.

इस मामले को लेकर देहरादून निवासी सेवानिवृत्त टाउन प्लानर एचसी घिल्डियाल ने उत्तराखंड हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. उन्होंने उप समन विधि को चुनौती देते हुए कहा कि इस विधि के अनुसार एक शासनादेश के माध्यम किसी क्षेत्र विशेष का वन टाइम मेजर के नाम पर भू-उपयोग बदलने की अनुमति दी जा रही है.
पढ़ें- जोत सिंह बिष्ट को मनाएंगे हरीश रावत, बाप-बेटे ने आज ही छोड़ी है कांग्रेस

एचसी घिल्डियाल के मुताबिक, इससे आवासीय क्षेत्र को व्यवसायिक उपयोग की अनुमति दी जा रही है, जबकि अर्बन डेवलपमेंट प्लानिंग एक्ट के सेक्शन 30 के अनुसार बिना एक्ट में संशोधन किए किसी भी शहर के मास्टर प्लान में बदलाव नहीं किया जा सकता है. ऐसे में कोर्ट ने इस मामले में सरकार से स्थिति स्पष्ट करने को कहा है.

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने शहरी विकास नियोजन एक्ट में संशोधन किए बिना आवासीय क्षेत्र का भू-उपयोग व्यावसायिक करने की सरकार की उप समन विधि को चुनौती देती जनहित याचिका पर सुनवाई की. वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार और न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने इस मामले में तीन सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने को कहा है.

इस मामले को लेकर देहरादून निवासी सेवानिवृत्त टाउन प्लानर एचसी घिल्डियाल ने उत्तराखंड हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. उन्होंने उप समन विधि को चुनौती देते हुए कहा कि इस विधि के अनुसार एक शासनादेश के माध्यम किसी क्षेत्र विशेष का वन टाइम मेजर के नाम पर भू-उपयोग बदलने की अनुमति दी जा रही है.
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एचसी घिल्डियाल के मुताबिक, इससे आवासीय क्षेत्र को व्यवसायिक उपयोग की अनुमति दी जा रही है, जबकि अर्बन डेवलपमेंट प्लानिंग एक्ट के सेक्शन 30 के अनुसार बिना एक्ट में संशोधन किए किसी भी शहर के मास्टर प्लान में बदलाव नहीं किया जा सकता है. ऐसे में कोर्ट ने इस मामले में सरकार से स्थिति स्पष्ट करने को कहा है.

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