नैनीतालः उत्तराखंड हाईकोर्ट ने की सड़कों, वन विभाग और राजस्व की भूमि पर हुए अतिक्रमण को लेकर स्वतः संज्ञान लिए जाने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई की. हाईकोर्ट ने आदेश देते हुए जिलाधिकारी की अध्यक्षता में जिला वार कॉर्डिनेशन कमेटी बनाने के लिए कहा है. जिसमें सभी विभागों के प्रतिनिधि हर महीने बैठक कर फैसला लेंगे. ताकि यह चिन्हित हो सके कि किस विभाग की कितनी भूमि में अतिक्रमण किया गया है.
मंगलवार को उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि 1898 के नोटिफिकेशन में बेनाप भूमि को वन भूमि घोषित किया गया है. 2011 में उत्तराखंड सरकार ने वापस लेने के नोटिफिकेशन को उत्तराखंड हाईकोर्ट खारिज भी कर चुका है. तो फिर बेनाप भूमि को क्यों नहीं सरकारी भूमि माना जा रहा है. कोर्ट ने कॉर्डिनेशन कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर अतिक्रमण हटाना सुनिश्चित करने को कहा है. मामले की सुनवाई के लिए कोर्ट ने 6 दिसंबर की तिथि नियत की है.
आपको बता दें कि दिल्ली निवासी एक व्यक्ति ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र भेजकर कहा है कि नैनीताल के पदमपुरी में वन विभाग की भूमि और रोड के किनारे कुछ लोगों ने संबंधित अधिकारियों की मिलीभगत से अतिक्रमण किया है. इसकी वजह से लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. लिहाजा इसे हटाया जाए.
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प्लास्टिक जनित कूड़े पर रोक की मांग याचिका पर सुनवाई: हाईकोर्ट ने मंगलवार को प्लास्टिक जनित कूड़े पर रोक की मांग वाली दायर जनहित याचिका पर भी सुनवाई की. मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी की अगुवाई वाली पीठ ने सरकार को प्रदेश में बिक रही पॉलिथीन की थैलियों पर पूर्ण रोक लगाने के निर्देश दिए.