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सैंपलिंग के नाम पर हो रही खानापूर्ति, खाद्य सुरक्षा विभाग के दावों की खुली पोल - food adulteration

खाद्य सुरक्षा विभाग ने बीते साल 2018 मार्च तक खाद्य और पेय पदार्थों के 210 सैंपल भरकर रुद्रपुर स्थित लैब में भेजा था. विभाग के ढुल-मुल रवैये से अब तक मात्र 54 सैंपलों की ही रिपोर्ट आ पाई है. ऐसे में विभाग के दावों की खुल रही है.

uttarakhand food safety department
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Published : Aug 10, 2019, 5:49 PM IST

हल्द्वानीः त्योहारों का सीजन आते ही खाद्य सुरक्षा विभाग सक्रिय हो जाता है. विभाग मिलावटी और खुले में बेचे जा रहे खाद्य सामग्री के खिलाफ कार्रवाई तो करता है, लेकिन विभाग की लेटलतीफी के चलते सैंपल रिपोर्ट आने में महीनों लग जाते हैं. आलम ये है कि बीते साल मार्च में 210 खाद्य और पेय पदार्थों के सैंपल भरे गए थे. जिन्हें रुद्रपुर स्थित राज्य लैब में भेजा गया था. जिसमें से केवल अबतक 54 सैंपलों की ही रिपोर्ट आ पाई है. ऐसे में खाद्य विभाग के दावों की पोल खुलती नजर आ रही है.

जानकारी देते जिला खाद्य सुरक्षा अधिकारी वीरेंद्र बिष्ट.

दरअसल, खाद्य सुरक्षा विभाग लंबे समय से मिलावटी और खुले में बेचे जाने वाले खाद्य सामग्री के खिलाफ कार्रवाई करने का दावा तो करता है, लेकिन कार्रवाई के नाम पर एक साल बाद भी सैंपल के रिपोर्ट हासिल करने में खाद्य सुरक्षा विभाग फिसड्डी साबित हो रहा है. सैंपल जांच की प्रक्रिया इतनी ढुलमुल है कि महीनों तक खाद्य विभाग को रिपोर्ट नहीं मिली है.

ये भी पढ़ेंः अटल आयुष्मान योजना में फर्जीवाड़ा करने वाले 8 अस्पतालों पर गिरी गाज, सूचीबद्धता समाप्त

नैनीताल जिले में बीते साल मार्च तक 210 खाद्य और पेय पदार्थों के सैंपल भरकर खाद्य सुरक्षा अधिकारी ने रुद्रपुर स्थित राज्य लैब में भेजा था. जिसमें अब तक केवल 54 सैंपल की ही रिपोर्ट आई है. रिपोर्ट के मुताबिक, 4 नमूने ही फेल हुए हैं. एक साल बाद जांच रिपोर्ट आने पर अब संक्रमित खाद्य सामग्री बेचने वाले दुकान स्वामियों के खिलाफ कोर्ट में मामला दर्ज कराया गया है.

वहीं, रिपोर्ट में देरी मामले पर अधिकारी लैब की अपग्रेड और मैनपॉवर की कमी का हवाला दे रहे हैं. जिला खाद्य सुरक्षा अधिकारी वीरेंद्र बिष्ट का कहना है कि सैंपलिंग में अब तक दो दूध के सैंपल, एक दही और एक मावा के सैंपल फेल हुए हैं. जिसके खिलाफ खाद्य सुरक्षा विभाग ने संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है.

हल्द्वानीः त्योहारों का सीजन आते ही खाद्य सुरक्षा विभाग सक्रिय हो जाता है. विभाग मिलावटी और खुले में बेचे जा रहे खाद्य सामग्री के खिलाफ कार्रवाई तो करता है, लेकिन विभाग की लेटलतीफी के चलते सैंपल रिपोर्ट आने में महीनों लग जाते हैं. आलम ये है कि बीते साल मार्च में 210 खाद्य और पेय पदार्थों के सैंपल भरे गए थे. जिन्हें रुद्रपुर स्थित राज्य लैब में भेजा गया था. जिसमें से केवल अबतक 54 सैंपलों की ही रिपोर्ट आ पाई है. ऐसे में खाद्य विभाग के दावों की पोल खुलती नजर आ रही है.

जानकारी देते जिला खाद्य सुरक्षा अधिकारी वीरेंद्र बिष्ट.

दरअसल, खाद्य सुरक्षा विभाग लंबे समय से मिलावटी और खुले में बेचे जाने वाले खाद्य सामग्री के खिलाफ कार्रवाई करने का दावा तो करता है, लेकिन कार्रवाई के नाम पर एक साल बाद भी सैंपल के रिपोर्ट हासिल करने में खाद्य सुरक्षा विभाग फिसड्डी साबित हो रहा है. सैंपल जांच की प्रक्रिया इतनी ढुलमुल है कि महीनों तक खाद्य विभाग को रिपोर्ट नहीं मिली है.

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नैनीताल जिले में बीते साल मार्च तक 210 खाद्य और पेय पदार्थों के सैंपल भरकर खाद्य सुरक्षा अधिकारी ने रुद्रपुर स्थित राज्य लैब में भेजा था. जिसमें अब तक केवल 54 सैंपल की ही रिपोर्ट आई है. रिपोर्ट के मुताबिक, 4 नमूने ही फेल हुए हैं. एक साल बाद जांच रिपोर्ट आने पर अब संक्रमित खाद्य सामग्री बेचने वाले दुकान स्वामियों के खिलाफ कोर्ट में मामला दर्ज कराया गया है.

वहीं, रिपोर्ट में देरी मामले पर अधिकारी लैब की अपग्रेड और मैनपॉवर की कमी का हवाला दे रहे हैं. जिला खाद्य सुरक्षा अधिकारी वीरेंद्र बिष्ट का कहना है कि सैंपलिंग में अब तक दो दूध के सैंपल, एक दही और एक मावा के सैंपल फेल हुए हैं. जिसके खिलाफ खाद्य सुरक्षा विभाग ने संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है.

Intro:

sammry- कार्यवाही के नाम पर केवल खानापूर्ति करता है खाद्य सुरक्षा विभाग।

एंकर- जिले में खाद्य सुरक्षा विभाग लंबे समय से मिलावटी और खुले में बेचे जाने वाले खाद्य सामग्री के खिलाफ कार्रवाई करने के दावे तो करता है ।लेकिन कार्रवाई के नाम पर एक साल बाद भी निष्कर्ष निकालने में खाद्य सुरक्षा विभाग फेल साबित हुआ है। हर


Body:हर बार त्योहारों के सीजन हो या संक्रामक रोगों का समय खाद्य सुरक्षा विभाग द्वारा बाजारों में बिक रहे खाद्य सामग्रियों के सैंपल लेकर जांच के लिए तो भेजे जाते हैं लेकिन जांच की प्रक्रिया इतनी ढीली है कि महीनों तक जांच रिपोर्ट नहीं आती यही वजह है कि यदि संक्रमित खाद्य सामग्री बाजार में बिक रही हो तो उस पर तत्काल रोक लगाना असंभव सा हो जाता है। नैनीताल जिले की बात करें बीते वर्ष मार्च तक 210 खाद्य और पेय पदार्थों के सैंपल भरकर खाद्य सुरक्षा अधिकारी द्वारा रुद्रपुर स्थित राज्य लैब को भेजा गया था जिसमें अब तक केवल 54 सैंपल की ही रिपोर्ट आई है ।जिसमें 4 नमूने फेल हुए हैं एक साल बाद जांच रिपोर्ट आने पर अब संक्रमित खाद्य सामग्री बेचने वाले दुकान स्वामियों के खिलाफ कोर्ट में मामला दर्ज कराया गया है।


Conclusion: जिला खाद्य सुरक्षा अधिकारी वीरेंद्र बिष्ट का कहना है कि खाद्य सुरक्षा विभाग द्वारा कराई गई सेंपलिंग में अब तक 2 दूध के सैंपल दूध के सैंपल एक दही का सैंपल और एक मावा का सैंपल फेल हुआ है ।जिसके खिलाफ खाद्य सुरक्षा विभाग द्वारा कराई जाने वाली सुसंगत धाराओं में मुकदमा दर्ज कर कोर्ट में को भेजा जा रहा है।
बाइट- विरेंद्र बिष्ट जिला खाद्य सुरक्षा अधिकारी

खाद्य सुरक्षा विभाग की छापेमारी कार्रवाई पर हमेशा सवाल उठाते उठते हैं क्योंकि यदि आज बाजार में संक्रमित खाद्य सामग्री मिल रही है तो इनके रोकने के प्रभावी कदम खाद्य सुरक्षा विभाग के पास नहीं है और एक साल बाद खाद्य सुरक्षा विभाग को जांच में पता चलता है कि अब जाकर वह सैंपल फेल हुए हैं तो लिहाजा आम नागरिकों को खाद्य सुरक्षा विभाग की कार्रवाई का तत्काल फायदा नहीं मिलता है।
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