हल्द्वानी: कुमाऊं में जंगली जानवर अब भीषण गर्मी में प्यासे नहीं रहेंगे. उन्हें पानी की तलाश में भटक कर गांवों की ओर भी नहीं आना पड़ेगा. वन्य जीवों को जंगल के अंदर प्यास बुझाने के लिए वन विभाग डीएफओ संदीप कुमार ने पक्की हौद या तालाब बनानकर उनमें पानी भरने की योजना बनाई है. तराई पूर्वी वन प्रभाग में वाटर होल्स बनाने का काम भी शुरू हो गया है. जिसमें कुछ जगहों पर पानी तो प्राकृतिक जल स्रोतों से डाला जायेगा या फिर विभागीय पानी के टैंकर से पानी भरने का काम किया जायेगा, जिससे जानवर उसमें पानी पीने के साथ अब स्नान भी कर सकेंगे. तराई पूर्वी वन प्रभाग में करीब 200 वाटर होल्स बनाने का काम पूरा किया जा चुका है.
वनों के अत्यधिक दोहन होने और बदलते मौसम चक्र के कारण प्राकृतिक जल स्रोत गर्मी में सूख जाते हैं. इनमें से अधिकांश जल स्रोत धीरे-धीरे समाप्त हो गए हैं. इसके चलते पानी की तलाश में वन्य जीव जंगल से निकलकर गांवों की तरफ आ जाते हैं. पिछले कुछ समय से तराई पूर्वी व आसपास के जंगल से सटे क्षेत्रों में जंगली जानवरों ने लोगों को काफी नुकसान पहुंचाया है. ग्रामीणों की शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए विभागीय अधिकारियों ने इससे निपटने के लिए गहन मंथन किया. जिसमें तय किया कि वनों में जगह-जगह हौद व तालाबों को बनाया जाएगा. इसमें वन कर्मचारी रोजाना टैंकर और टैंकों के माध्यम से पानी भरेंगे. जिससे जानवर अपनी प्यास बुझा सकेंगे. इस योजना को तराई पूर्वी वन प्रभाग में शुरू भी कर दिया गया है. तराई पूर्वी वन प्रभाग में करीब 200 वाटर होल वन्यजीवों के लिए बनाए गए हैं. जिससे वह अपनी प्यास बुझा सकेंगे.
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जिन 200 से अधिक वाटर होल्स को वन्य जीवों की प्यास बुझाने के लिए बनाया गया है वो औसतन 40 से 50 लाख लीटर पानी की कैपेसिटी के हैं. जानवरों को पेयजल उपलब्ध कराने के लिए शत-प्रतिशत बजट उपलब्ध कराया है. वाटर होल्स में रोजाना पानी भरवाने के लिए टैंकर का प्रयोग किया जा रहा है. अधिकारियों के मुताबिक सभी जानवरों को इसका लाभ मिल सकेगा, साथ ही पानी के टैंकर का उपयोग जंगलों की आग बुझाने के लिए भी किया जा सकेगा.