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स्टोन क्रेशर को लाइसेंस देने का मामला पहुंचा हाई कोर्ट, सरकार से मांगा गया जवाब

भिकियासैंण निवासी शैलजा साह ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की. शैलजा साह ने पर्यावरण के नियमों के अनुकूल न होने के बावजूद सरकार द्वारा स्टोन क्रेसर को लाइसेंस देने की बात कही है.

नैनीताल हाईकोर्ट.
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Published : Jul 3, 2019, 8:02 AM IST

नैनीताल: अल्मोड़ा जिले के भिकियासैंण नौगांव में रामगंगा स्टोन क्रेशर को लाइसेंस देने का मामला नैनीताल हाईकोर्ट में पहुंच गया है. याचिका में शैलजा शाह ने पर्यावरण के नियमों के अनुकूल न होने के बावजूद सरकार द्वारा स्टोन क्रेसर को लाइसेंस देने की बात कही है. इस मामले की सुनवाई हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में हुई.

वहीं भिकियासैंण नौगांव में रामगंगा स्टोन क्रेशर को लाइसेंस देने के मामले पर नैनीताल हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है. साथ ही स्थिति स्पष्ट करने के निर्देश दिए हैं.

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बता दें कि भिकियासैंण निवासी शैलजा साह ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की. इस याचिका में कहा गया कि सरकार ने भिकियासैंण तहसील के नौ गांव में रामगंगा स्टोन क्रेसर को लाइसेंस दिया है, जो पर्यावरण के नियमों के अनुकूल नहीं है. स्टोन क्रेशर रामगंगा नदी के 100 मीटर की परिधि में है. क्रेसर नदी से लगभग 100 मीटर की दूरी पर बना होने के कारण गांव और नदी के अस्तित्व पर खतरा होने की बात कही गई है.

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याचिका में बताया गया कि पिछले एक साल से नियमों को ताक पर रखकर रामगंगा नदी के क्षेत्र में स्टोन क्रेशर का संचालन हो रहा है. लिहाजा गांव की स्थिति को देखते हुए स्टोन क्रेशर पर रोक लगाई जानी चाहिए. मामले की सुनवाई करते हुए नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने राज्य सरकार से स्थिति स्पष्ट करने के निर्देश दिए हैं. अब मामले की अग्रिम सुनवाई 2 सप्ताह बाद होगी.

नैनीताल: अल्मोड़ा जिले के भिकियासैंण नौगांव में रामगंगा स्टोन क्रेशर को लाइसेंस देने का मामला नैनीताल हाईकोर्ट में पहुंच गया है. याचिका में शैलजा शाह ने पर्यावरण के नियमों के अनुकूल न होने के बावजूद सरकार द्वारा स्टोन क्रेसर को लाइसेंस देने की बात कही है. इस मामले की सुनवाई हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में हुई.

वहीं भिकियासैंण नौगांव में रामगंगा स्टोन क्रेशर को लाइसेंस देने के मामले पर नैनीताल हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है. साथ ही स्थिति स्पष्ट करने के निर्देश दिए हैं.

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बता दें कि भिकियासैंण निवासी शैलजा साह ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की. इस याचिका में कहा गया कि सरकार ने भिकियासैंण तहसील के नौ गांव में रामगंगा स्टोन क्रेसर को लाइसेंस दिया है, जो पर्यावरण के नियमों के अनुकूल नहीं है. स्टोन क्रेशर रामगंगा नदी के 100 मीटर की परिधि में है. क्रेसर नदी से लगभग 100 मीटर की दूरी पर बना होने के कारण गांव और नदी के अस्तित्व पर खतरा होने की बात कही गई है.

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याचिका में बताया गया कि पिछले एक साल से नियमों को ताक पर रखकर रामगंगा नदी के क्षेत्र में स्टोन क्रेशर का संचालन हो रहा है. लिहाजा गांव की स्थिति को देखते हुए स्टोन क्रेशर पर रोक लगाई जानी चाहिए. मामले की सुनवाई करते हुए नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने राज्य सरकार से स्थिति स्पष्ट करने के निर्देश दिए हैं. अब मामले की अग्रिम सुनवाई 2 सप्ताह बाद होगी.

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अल्मोड़ा के विकास में तहसील के ग्राम नौगांव में रामगंगा स्टोन क्रेशर को लाइसेंस देंने का मामला नैनीताल हाईकोर्ट की शरण में पहुंच गया है आज मामले की सुनवाई हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में हुई।

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अल्मोड़ा के भिकियासेन नौगांव में रामगंगा स्टोन क्रेशर को लाइसेंस देने के मामले पर नैनीताल हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से स्थिति स्पष्ट करते हुए अपना जवाब पेश करने को कहा है।


Body:आपको बता दें कि अल्मोड़ा के भिकियासैंण निवासी शैलजा साह ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि सरकार ने भिकियासैंण तहसील के नौ गांव में रामगंगा स्टोन क्रेसर को लाइसेंस दिया है जो पर्यावरण के नियमों के अनुकूल नहीं है स्टोन क्रेशर रामगंगा नदी के 100 मीटर की परिधि में है क्रेसर नदी से लगभग 10 मीटर दूरी पर बना है जिससे गांव को खतरा होगा साथ ही नदी के अस्तित्व पर भी खतरा में रहेगा।


Conclusion:पिछले 1 साल से नियमों को ताक पर रखकर रामगंगा नदी के क्षेत्र में स्टोन क्रेशर का संचालन हो रहा है लिहाजा गांव की स्थिति को देखते हुए स्टोन क्रेशर पर रोक लगाई जाए मामले की सुनवाई करते हुए नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने राज्य सरकार से स्थिति स्पष्ट करने को कहा है मामले की सुनवाई 2 सप्ताह बाद होगी।
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