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इस झील से जुड़ी है ये रोचक कहानी, पूर्व पीएम इंदिरा गांधी भी कर चुकी हैं जानने की कोशिश

सरोवर नगरी के नाम से विख्यात नैनीताल के नौकुचियाताल की. जो अपने आप में कई रहस्य समेटे हुए है. जिनके राज आज भी स्थानीय लोगों की जुबानी सुने जा सकते हैं. नौकुचियाताल के पीछे एक कहानी छिपी है. इस ताल में 9 कोने होने के कारण इसे नौकुचियाताल कहा जाता है. यहां साल भर पर्यटकों का तांता लगा रहता है, जो स्थानीय पर्यटन को बढ़ावा देता है.

नौकुचियाताल से जुड़ी है ये रोचक कहानी, जानें
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Published : Apr 20, 2019, 3:29 PM IST

Updated : Apr 20, 2019, 5:54 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड का कुमाऊं क्षेत्र सरोवर नगरी के लिए देश ही नहीं विदेश में भी प्रसिद्ध है. जहां कलकल बहता नदियों का पानी और शांत सरोवर लोगों को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित करते रहते हैं. वहीं हर साल देश-विदेश के सैलानी प्रकृति के इस नेमत का दीदार करने खिंचे चले आते हैं और यहां की खूबसूरत यादों को अपने साथ ले जाते हैं.

नौकुचियाताल से जुड़ी है ये रोचक कहानी, जानें

जी हां, हम बात कर रहे हैं सरोवर नगरी के नाम से विख्यात नैनीताल के नौकुचियाताल की. जो अपने आप में कई रहस्य समेटे हुए है. जिनके राज आज भी स्थानीय लोगों की जुबानी सुने जा सकते हैं. नौकुचियाताल के पीछे एक कहानी छिपी है. इस ताल में 9 कोने होने के कारण इसे नौकुचियाताल कहा जाता है. यहां साल भर पर्यटकों का तांता लगा रहता है, जो स्थानीय पर्यटन को बढ़ावा देता है. वहीं नौकुचियाताल का उल्लेख पुराणों में भी मिलता है. पद्म (पदम) पुराण के अनुसार, इस झील के 9 कोनों पर द्वापर युग में ऋषि मुनि स्नान किया करते थे. इस जगहों पर ऋषि मुनियों ने ऐसी व्यवस्था की, जिससे लोग उन्हे स्नान करते हुए देख न सकें और न ही ये कोने एक साथ दिखाई दें. साथ ही इस क्षेत्र को ऋषि-मुनियों ने अपनी तपोस्थली बनाई.

माना जाता है कि यदि कोई व्यक्ति इस झील के सभी 9 कोनों को एक साथ देख ले तो वह जीवन-मरण के चक्र से छूट जाता है और उसके सारे मनोरथ पूरे हो जाते हैं. वहीं एक किवदंती ये भी है कि किसी व्यक्ति ने ताल के 9 कोने को एक साथ देख लिया तो उसकी मौत हो जाती है. बताया जाता है कि 1971 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी इस घटना के बारे में सुनकर नौकुचियाताल के नौ कोनों को देखने के लिए पहुंची थी. पूर्व पीएम इंदिरा गांधी ने लगभग 1 घंटे तक हवाई जहाज से झील के नौ कोनों को एक साथ देखने की कोशिश की, लेकिन उनका यह सपना पूरा नहीं हो सका. साथ ही न उनको नौकुचियाताल के 9 कोने एक साथ दिखाई दिए. भले ही लोगों के लिए झील का रहस्य आस्था से जोड़ा हो, लेकिन इस बात की पुष्टि हम नहीं कर रहे.

वहीं झील के महत्व को देखते हुए लोगों ने अब पर्यटन और मनोरंजन के लिए झील में नौकायन शुरू कर दिया है. जो कई लोगों के रोजगार का साधन भी है.

नैनीताल: उत्तराखंड का कुमाऊं क्षेत्र सरोवर नगरी के लिए देश ही नहीं विदेश में भी प्रसिद्ध है. जहां कलकल बहता नदियों का पानी और शांत सरोवर लोगों को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित करते रहते हैं. वहीं हर साल देश-विदेश के सैलानी प्रकृति के इस नेमत का दीदार करने खिंचे चले आते हैं और यहां की खूबसूरत यादों को अपने साथ ले जाते हैं.

नौकुचियाताल से जुड़ी है ये रोचक कहानी, जानें

जी हां, हम बात कर रहे हैं सरोवर नगरी के नाम से विख्यात नैनीताल के नौकुचियाताल की. जो अपने आप में कई रहस्य समेटे हुए है. जिनके राज आज भी स्थानीय लोगों की जुबानी सुने जा सकते हैं. नौकुचियाताल के पीछे एक कहानी छिपी है. इस ताल में 9 कोने होने के कारण इसे नौकुचियाताल कहा जाता है. यहां साल भर पर्यटकों का तांता लगा रहता है, जो स्थानीय पर्यटन को बढ़ावा देता है. वहीं नौकुचियाताल का उल्लेख पुराणों में भी मिलता है. पद्म (पदम) पुराण के अनुसार, इस झील के 9 कोनों पर द्वापर युग में ऋषि मुनि स्नान किया करते थे. इस जगहों पर ऋषि मुनियों ने ऐसी व्यवस्था की, जिससे लोग उन्हे स्नान करते हुए देख न सकें और न ही ये कोने एक साथ दिखाई दें. साथ ही इस क्षेत्र को ऋषि-मुनियों ने अपनी तपोस्थली बनाई.

माना जाता है कि यदि कोई व्यक्ति इस झील के सभी 9 कोनों को एक साथ देख ले तो वह जीवन-मरण के चक्र से छूट जाता है और उसके सारे मनोरथ पूरे हो जाते हैं. वहीं एक किवदंती ये भी है कि किसी व्यक्ति ने ताल के 9 कोने को एक साथ देख लिया तो उसकी मौत हो जाती है. बताया जाता है कि 1971 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी इस घटना के बारे में सुनकर नौकुचियाताल के नौ कोनों को देखने के लिए पहुंची थी. पूर्व पीएम इंदिरा गांधी ने लगभग 1 घंटे तक हवाई जहाज से झील के नौ कोनों को एक साथ देखने की कोशिश की, लेकिन उनका यह सपना पूरा नहीं हो सका. साथ ही न उनको नौकुचियाताल के 9 कोने एक साथ दिखाई दिए. भले ही लोगों के लिए झील का रहस्य आस्था से जोड़ा हो, लेकिन इस बात की पुष्टि हम नहीं कर रहे.

वहीं झील के महत्व को देखते हुए लोगों ने अब पर्यटन और मनोरंजन के लिए झील में नौकायन शुरू कर दिया है. जो कई लोगों के रोजगार का साधन भी है.

Intro:स्लग- कहानी तालों की

रिपोर्ट गौरव जोशी

स्थान नैनीताल

ओपनिंग पी टी सी-----

एंकर- यू तो उत्तराखंड को पर्यटन ओर देव भूमि के नाम से जाना जाता है ल,लेकिन यहा कई ऐसी जगह आज भी मौजुद है जिन के बारे मे लोग कम ही जानते है जिस वझह से ऐतिहासिक जगह और उसके इतिहास पर पर्दा पड़ा है, उत्तराखंड में एक नहीं बल्कि कई ऐसी की बनती है जिन पर आज भी रहस्य का पर्दा पड़ा हुआ है जिनमें से एक है नौकुचियाताल कि कहानी,
नैनीताल के नौकुचियाताल कोई यूं ही नौकुचियाताल नहीं कहा जाता है इसके पीछे एक कहानी है, बताया जाता है इस ताल के 9 कौने हैं जिस वजह से इस ताल को नौकुचियाताल कहा जाता है,और यहां साल भर पर्यटक आते हैं और उनके शांत सरोवर के साथ-साथ शांत वादियों का जमकर लुफ्त उठाते हैं,,,


Body:पद्म( पदम )पुराण के अनुसार माना जाता है की इस झील के 9 कोनों पर द्वापर युग में ऋषि मुनि नग्न अवस्था में स्नान किया करते थे जिसके लिए ऋषियों ने अलग-अलग कोने चुने ताकि उनको कोई देख ना सके, और यह कौन है इस क्षेत्र के किसी भी स्थान से एक साथ नहीं दिखते थे जिसके लिए भी ऋषि-मुनियों ने इस स्थान को अपनी तपस्या के लिए चुना जिसके बाद से ही माना जाता है कि इस झील के बारे में कहा जाता है कि अगर कोई व्यक्ति इस झील के सभी 9 कोनों को एक साथ देख ले तो वह अजर अमर हो जाता है और उसकी सभी मनोकामना पूर्ण होती हैं वहीं दूसरी और यह भी किवदंती है कि की एक साथ 9 कोने देखने वाले व्यक्ति की तत्काल मौत भी हो सकती है।


Conclusion:1971 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी इस घटना के बारे में सुनकर नौकुचियाताल के 9 कोनों को देखने के लिए यहां पहुंची और उन्होंने करीब 1 घंटे तक हवाई जहाज से झील के 9 कोनों को एक साथ देखने की कोशिश की, लेकिन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का यह सपना पूरा नहीं हो सका और उन्होंने भी नौकुचियाताल के 9 कोने हवाई जहाज से एक साथ नहीं दिखाई दिये,,,
वहीं इस कहानी को सुनकर हर साल लाखों की संख्या में पर्यटक इस अद्भुत और चमत्कारी झील के 9 कोनों को देखने के लिए यहां पहुंचते हैं लेकिन आज तक कोई भी पर्यटक या स्थानीय को इस झील के 9 कौन एक साथ दिखायी नही दिये,
वही झील की सुंदरता को देखकर पर्यटक नौकुचियाताल झील को देखने यहा आते है, जिसे देख कर स्थानीय लोगों ने पर्यटन को अपना जरिया बना लिया और आज यहां साल भर देसी विदेशी पर्यटकों का तांता लगा रहता है स्थानीय लोगों ने पर्यटक ओके आनंद के लिए झील में नौकायन डाली हैं वहीं पर्यटकों मनोरंजन के लिए जल क्रीड़ा जिप लाइन कयाकिंग समेत अन्य व्यवस्था की है ताकि पर्यटक यहां आए और कुछ आता की इस कहानी के साथ साथ यहां के मौसम का भी लुप्त उठा सकें।

closing ptc
Last Updated : Apr 20, 2019, 5:54 PM IST
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