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'विकास' के इंतजार में पथराई आंखें, पहाड़ सी मुश्किलों से जूझने को मजबूर ग्रामीण

उत्तराखंड में आज भी कई ऐसे गांव हैं, जो राज्य गठन के 20 साल बाद भी सड़क से नहीं जुड़ पाए हैं. जिसके वजह से इन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

नैनीताल
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Published : Aug 19, 2020, 5:00 PM IST

Updated : Aug 19, 2020, 10:12 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड को भारत से नक्शे पर आए 20 साल हो चुके हैं, लेकिन हालात ये है कि प्रदेश के कई गांव आज भी सड़क से नहीं जुड़ पाए हैं. ऐसा ही एक गांव है नैनीताल जिले की अधौड़ा ग्राम सभा का सौंन खमारी. सौंन खमारी गांव के लोग पिछले 74 साल से सड़क का इंतजार कर रहे हैं.

09 नवंबर 2000 में जब उत्तराखंड राज्य का गठन किया गया तो सौंन खमारी गांव के लोगों को उम्मीद जगी की थी अब उन्हें गांव तक भी सड़क पहुंचेगी, लेकिन राज्य गठन के 20 साल भी उनका ये सपना अधूरा है. जिस गांव में सड़क नहीं है. वहां शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की बात करना तो बेमानी होगा.

'विकास' के इंतजार में पथराई आंखें

सौंन खमारी गांव के ग्रामीणों को अपनी रोजमरा की जरूरत का सामना लाने के लिए करीब 12 किमी की पैदल सफर तय करना पड़ता है. सड़क न होने की वजह से गांव के छोटे-छोटे बच्चे भी रोजाना 12 से 15 किलोमीटर का पैदल सफर तय करके स्कूल पहुंचते हैं. जिसका असर बच्चों की पढ़ाई पर भी पड़ रहा है.

पढ़ें- रुद्रप्रयाग: बारिश और भूस्खलन ने बढ़ाई लोगों की परेशानी

ग्रामीणों की मानें तो 1984 में पीडब्ल्यूडी (लोक निर्माण विभाग) गांव में सड़क निर्माण का कार्य शुरू भी किया था, जो आजतक पूरा नहीं हो सका. इस अधूरी सड़क की वजह से ग्रामीणों की परेशानी और बढ़ गई है. उनका कहना है कि अब ये सड़क पैदल चलने लायक भी नहीं रही.

ग्रामीणों ने बताया कि उनका सौंन खमारी गांव दो विधानसभा नैनीताल और कालाढूंगी को जोड़ता है. दोनों विधानसभाओं में साल भर कई प्रकार की फल और फसल का उत्पादन होता है, जिससे इन ग्रामीण अपना भरण पोषण करते हैं. बावजूद इसके राज्य सरकार ने इस गांव को मुख्य मार्ग से नहीं जोड़ा है. सड़क नहीं होने से गरीब किसानों को कभी-कभी भारी नुकसान भी उठाना पड़ता है. क्योंकि रास्ता नहीं होने के कारण वे खराब मौसम में समय से अपनी फसल मंडी तक नहीं पहुंचा पाते हैं.

ब्रिटिश सेना इसी रास्ते से जाती थी

वहीं, 94 साल के नारायण सिंह मेहरा की आंखें भी सड़क इंतजार में पथरा गई है. मेहरा बताते हैं कि इस सड़क के बनने न सिर्फ ग्रामीणों को लाभ मिलेगी, बल्कि भारतीय सेना बड़ा फायदा होगा. सेना इस रास्ते से पिथौरागढ़ और धारचूला चीन सीमा तक करीब 4 घंटे पहले पहुंच सकती है. ब्रिटिश काल में भी अंग्रेजों की फौज इस रास्ते का प्रयोग करती थी. लेकिन, आजादी के बाद यह रास्ता पूरी तरह से गुमनामी में खो गया है.

पढ़ें- मूसलाधार बारिश बनी आफत, धराशायी हुआ कच्चा मकान

ग्रामीण कई बार सड़क के निर्माण के लिए विधायक समेत मंत्रियों से गुहार लगा चुके हैं, लेकिन किसी ने इन ग्रामीणों की समस्या पर ध्यान नहीं दिया. इस बारे में जब परिवहन मंत्री यशपाल आर्य से बात की गई तो उन्होंने कहा कि ये सड़क उनके संज्ञान में है. सड़क निर्माण को लेकर सभी सैद्धांतिक औपचारिकताएं पूरी कर ली गई हैं. जल्द ही सड़क निर्माण को लेकर टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी. ग्रामीणों की समस्या का शीध्र ही समाधान होगा. वहीं, नैनीताल के विधायक संजीव आर्य कहते हैं कि पंगोट देचियोरी मार्ग उनकी प्राथमिकता में है. जल्द ही ग्रामीणों को सड़क से जोड़ दिया जाएगा.

नैनीताल: उत्तराखंड को भारत से नक्शे पर आए 20 साल हो चुके हैं, लेकिन हालात ये है कि प्रदेश के कई गांव आज भी सड़क से नहीं जुड़ पाए हैं. ऐसा ही एक गांव है नैनीताल जिले की अधौड़ा ग्राम सभा का सौंन खमारी. सौंन खमारी गांव के लोग पिछले 74 साल से सड़क का इंतजार कर रहे हैं.

09 नवंबर 2000 में जब उत्तराखंड राज्य का गठन किया गया तो सौंन खमारी गांव के लोगों को उम्मीद जगी की थी अब उन्हें गांव तक भी सड़क पहुंचेगी, लेकिन राज्य गठन के 20 साल भी उनका ये सपना अधूरा है. जिस गांव में सड़क नहीं है. वहां शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की बात करना तो बेमानी होगा.

'विकास' के इंतजार में पथराई आंखें

सौंन खमारी गांव के ग्रामीणों को अपनी रोजमरा की जरूरत का सामना लाने के लिए करीब 12 किमी की पैदल सफर तय करना पड़ता है. सड़क न होने की वजह से गांव के छोटे-छोटे बच्चे भी रोजाना 12 से 15 किलोमीटर का पैदल सफर तय करके स्कूल पहुंचते हैं. जिसका असर बच्चों की पढ़ाई पर भी पड़ रहा है.

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ग्रामीणों की मानें तो 1984 में पीडब्ल्यूडी (लोक निर्माण विभाग) गांव में सड़क निर्माण का कार्य शुरू भी किया था, जो आजतक पूरा नहीं हो सका. इस अधूरी सड़क की वजह से ग्रामीणों की परेशानी और बढ़ गई है. उनका कहना है कि अब ये सड़क पैदल चलने लायक भी नहीं रही.

ग्रामीणों ने बताया कि उनका सौंन खमारी गांव दो विधानसभा नैनीताल और कालाढूंगी को जोड़ता है. दोनों विधानसभाओं में साल भर कई प्रकार की फल और फसल का उत्पादन होता है, जिससे इन ग्रामीण अपना भरण पोषण करते हैं. बावजूद इसके राज्य सरकार ने इस गांव को मुख्य मार्ग से नहीं जोड़ा है. सड़क नहीं होने से गरीब किसानों को कभी-कभी भारी नुकसान भी उठाना पड़ता है. क्योंकि रास्ता नहीं होने के कारण वे खराब मौसम में समय से अपनी फसल मंडी तक नहीं पहुंचा पाते हैं.

ब्रिटिश सेना इसी रास्ते से जाती थी

वहीं, 94 साल के नारायण सिंह मेहरा की आंखें भी सड़क इंतजार में पथरा गई है. मेहरा बताते हैं कि इस सड़क के बनने न सिर्फ ग्रामीणों को लाभ मिलेगी, बल्कि भारतीय सेना बड़ा फायदा होगा. सेना इस रास्ते से पिथौरागढ़ और धारचूला चीन सीमा तक करीब 4 घंटे पहले पहुंच सकती है. ब्रिटिश काल में भी अंग्रेजों की फौज इस रास्ते का प्रयोग करती थी. लेकिन, आजादी के बाद यह रास्ता पूरी तरह से गुमनामी में खो गया है.

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ग्रामीण कई बार सड़क के निर्माण के लिए विधायक समेत मंत्रियों से गुहार लगा चुके हैं, लेकिन किसी ने इन ग्रामीणों की समस्या पर ध्यान नहीं दिया. इस बारे में जब परिवहन मंत्री यशपाल आर्य से बात की गई तो उन्होंने कहा कि ये सड़क उनके संज्ञान में है. सड़क निर्माण को लेकर सभी सैद्धांतिक औपचारिकताएं पूरी कर ली गई हैं. जल्द ही सड़क निर्माण को लेकर टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी. ग्रामीणों की समस्या का शीध्र ही समाधान होगा. वहीं, नैनीताल के विधायक संजीव आर्य कहते हैं कि पंगोट देचियोरी मार्ग उनकी प्राथमिकता में है. जल्द ही ग्रामीणों को सड़क से जोड़ दिया जाएगा.

Last Updated : Aug 19, 2020, 10:12 PM IST
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