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कश्मीरी पंडित रोशन लाल का दर्द, आतंकियों से चिट्ठी मिलते ही पूरे परिवार के साथ छोड़ा था घर

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Published : Aug 6, 2019, 8:48 PM IST

Updated : Aug 6, 2019, 11:04 PM IST

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद कश्मीरी पंडित रोशन लाल ने अपने मुल्क और अपने घर की याद उनके जेहन पर जिंदा है.

kashmiri pandit

हल्द्वानीः जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद कश्मीरी पंडितों को अपने घर वापसी की उम्मीद जगी है. हालांकि, कश्मीर को लेकर हो रही चर्चा ने उनके पुराने जख्म भी हरे कर दिए हैं. इसी कड़ी में हल्द्वानी के फतेहपुर क्षेत्र में रहने वाला कश्मीरी परिवार केंद्र सरकार के फैसले के साथ खड़ा है. अब उन्हें अपने मुल्क वापसी की आस जगी है. Etv Bharat से बातचीत करते हुए रोशन लाल ने उनके साथ हुए उत्पीड़न को साझा किया. उन्होंने बताया कि साल 1990 में उनका परिवार किसी तरह जान बचाकर कश्मीर से बाहर आया था.

कश्मीरी पंडित रोशन लाल की Etv Bharat से खात बातचीत.

Etv Bharat से खास बातचीत करते हुए रोशन लाल ने बताया कि साल 1990 में कश्मीरी पंडितों को अलगाववादियों और आतंकवादियों के लगातार धमकी दी जा रहा थी. कई कश्मीरी पंडित मारे जा चुके थे और कई मारे जाने की डर से घर छोड़कर अन्य राज्यों की ओर रुख कर रहे थे. उन्होंने भी आतंकियों से चिट्ठी मिलने और इन घटनाओं से आहत होकर अपनी पत्नी शांता रोशन के साथ घर से जान बचाकर जम्मू पहुंचे. इस दौरान आतंकवादियों ने घर में लूटपाट कर उनका घर जला दिया था.

ये भी पढ़ेंः हाई कोर्ट पहुंचा पंचायती राज एक्ट बिल में संशोधन का मामला, दो जजों की खंडपीठ करेगी सुनवाई

उन्होंने कहा कि कश्मीर के हालात के ऊपर की जा रही चर्चा से उनके घाव हरे हो गए हैं. रोशन लाल ने बताया कि दोनों पति-पत्नी कश्मीर में सरकारी स्कूल में टीचर हुआ करते थे. सरकारी नौकरी छोड़कर अपना घर, जमीन और जायदाद को छोड़कर जान बचाकर कई महीनों तक जम्मू में शरणार्थी कैंपों और किराए के कमरे में रहे. जिसके बाद साल 1993 में वो हल्द्वानी पहुंचे और यहां से उन्होंने नए जीवन की शुरुआत की.

आज वो हल्द्वानी के फतेहपुर क्षेत्र में घर बनाकर रह रहे हैं. उनका बेटा डॉक्टर बन गया है, लेकिन आज भी अपने मुल्क और अपने घर की याद उनके जेहन पर जिंदा है. साथ ही कहा कि उनके साथ हुए जुल्म को वो कभी नहीं भूल पाएंगे. वहीं, उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म कर पीएम मोदी ने ऐतिहासिक काम किया है. साथ ही कहा कि अब सरकार कश्मीरी पंडितों को पूरी सुरक्षा दे तो वो खुद अपने वतन वापसी करना चाहेंगे.

हल्द्वानीः जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद कश्मीरी पंडितों को अपने घर वापसी की उम्मीद जगी है. हालांकि, कश्मीर को लेकर हो रही चर्चा ने उनके पुराने जख्म भी हरे कर दिए हैं. इसी कड़ी में हल्द्वानी के फतेहपुर क्षेत्र में रहने वाला कश्मीरी परिवार केंद्र सरकार के फैसले के साथ खड़ा है. अब उन्हें अपने मुल्क वापसी की आस जगी है. Etv Bharat से बातचीत करते हुए रोशन लाल ने उनके साथ हुए उत्पीड़न को साझा किया. उन्होंने बताया कि साल 1990 में उनका परिवार किसी तरह जान बचाकर कश्मीर से बाहर आया था.

कश्मीरी पंडित रोशन लाल की Etv Bharat से खात बातचीत.

Etv Bharat से खास बातचीत करते हुए रोशन लाल ने बताया कि साल 1990 में कश्मीरी पंडितों को अलगाववादियों और आतंकवादियों के लगातार धमकी दी जा रहा थी. कई कश्मीरी पंडित मारे जा चुके थे और कई मारे जाने की डर से घर छोड़कर अन्य राज्यों की ओर रुख कर रहे थे. उन्होंने भी आतंकियों से चिट्ठी मिलने और इन घटनाओं से आहत होकर अपनी पत्नी शांता रोशन के साथ घर से जान बचाकर जम्मू पहुंचे. इस दौरान आतंकवादियों ने घर में लूटपाट कर उनका घर जला दिया था.

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उन्होंने कहा कि कश्मीर के हालात के ऊपर की जा रही चर्चा से उनके घाव हरे हो गए हैं. रोशन लाल ने बताया कि दोनों पति-पत्नी कश्मीर में सरकारी स्कूल में टीचर हुआ करते थे. सरकारी नौकरी छोड़कर अपना घर, जमीन और जायदाद को छोड़कर जान बचाकर कई महीनों तक जम्मू में शरणार्थी कैंपों और किराए के कमरे में रहे. जिसके बाद साल 1993 में वो हल्द्वानी पहुंचे और यहां से उन्होंने नए जीवन की शुरुआत की.

आज वो हल्द्वानी के फतेहपुर क्षेत्र में घर बनाकर रह रहे हैं. उनका बेटा डॉक्टर बन गया है, लेकिन आज भी अपने मुल्क और अपने घर की याद उनके जेहन पर जिंदा है. साथ ही कहा कि उनके साथ हुए जुल्म को वो कभी नहीं भूल पाएंगे. वहीं, उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म कर पीएम मोदी ने ऐतिहासिक काम किया है. साथ ही कहा कि अब सरकार कश्मीरी पंडितों को पूरी सुरक्षा दे तो वो खुद अपने वतन वापसी करना चाहेंगे.

Intro:sammry-कश्मीरी पंडित रोशनलाल का दर्द आतंकियों से चिट्ठी मिलते ही पूरे परिवार के साथ छोड़ा था घर।

एंकर- जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद कश्मीरी पंडितों को न सिर्फ अपने घर वापसी की उम्मीद जगी है बल्कि कश्मीर को लेकर हो रही चर्चा ने उनके पुराने जख्म भी हरे कर दिए हैं। हल्द्वानी के फतेहपुर क्षेत्र में रहने वाला कश्मीरी परिवार केंद्र सरकार के अनुच्छेद 370 हटाए जाने के फैसले के साथ खड़ा है और कश्मीर में अपने मुल्क वापसी के सपने भी देख रहा है। ईटीवी भारत से बात करते हुए रोशनदान अपने साथ हुए उत्पीड़न को साझा किया। 1990 में कश्मीरी पंडितों के उत्पीड़न के साथ ही रोशन लाल का परिवार श्रीनगर के जवाहर नगर क्षेत्र से अपनी जान बचाकर किसी तरह कश्मीर से बाहर आया ।


Body:रोशन लाल ने बताया कि अलगाववादियों और आतंकवादियों के लगातार मिल रही धमकी और कश्मीरी पंडितों को मारे जाने की घटनाओं से आहत होकर 1990 में रोशन लाल अपनी पत्नी शांता रोशन के साथ घर से जान बचाकर जम्मू पहुंचे जिसके बाद आतंकवादियों ने घर में लूटपाट कर घर जला कर राख कर दिया । आज कश्मीर के हालात ऊपर की जा रही चर्चा से उनके घाव हरे हो गए ।अपने अपने दर्द बांटते हुए कश्मीरी पंडित परिवार ने बताया आतंकियों की चिट्ठी मिलने के बाद ही उन्होंने अपने घर को छोड़ दिया जिस हालात में घर में उसी हालात में उस समय तुरंत घर से बाहर निकाल कश्मीर पहुंचे। रोशन लाल ने बताया कि दोनों पति पत्नी कश्मीर में सरकारी स्कूल में टीचर हुआ करते थे सरकारी नौकरी छोड़ अपना घर जमीन और जायदाद को छोड़कर जान बचाकर कई महीनों तक जम्मू में शरणार्थी कैंपों, और किराए में रहे। जिसके बाद वह 1993 में हल्द्वानी पहुंचे यहां से उन्होंने जीवन के संघर्ष की नई शुरुआत की आज वह हल्द्वानी के फतेहपुर क्षेत्र में घर बनाकर रह रहे हैं उनका बेटा डॉक्टर है पर अपने मुल्क और अपने घर की याद आज भी उनके जेहन पर जिंदा है ।और उनके साथ हुए जाती और जुल्म को वह मरते दम तक नहीं भूल पाएंगे ।


Conclusion:आज केंद्र सरकार ने जब धारा 370 खत्म कर दी है जम्मू कश्मीर और लद्दाख को अलग अलग राज्य बना दिया है। उनका कहना है कि प्रधानमंत्री ने यह ऐतिहासिक काम किया है। लेकिन अब सरकार कश्मीरी पंडितों को पूरी सुरक्षा दे तो वह खुद अपने वतन वापसी करना चाहेंगे।

बाइट रोशनलाल कश्मीरी पंडित ।
बाइट -शांता रोशन ,रोशन लाल की पत्नी
Last Updated : Aug 6, 2019, 11:04 PM IST
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