रामनगर: लालकुआं सीट से हरीश रावत के चुनाव हारते ही कांग्रेस के नेता ही उनपर हावी हो गए हैं. कांग्रेस के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष रणजीत सिंह रावत ने ईटीवी भारत पर पूर्व सीएम हरीश रावत पर गंभीर आरोप लगाए हैं. रणजीत रावत ने एक बार फिर हरीश रावत की मनोदशा पर सवाल खड़े करते हुए राहत इंदौरी का एक शेर बोला है- "लगेगी आग तो आएंगे घर कई जद में, यहां पे सिर्फ हमारा मकान थोड़ी है"
रणजीत सिंह रावत ने कहा कि एक साल पहले उन्होंने एक बयान दिया था कि "हरीश रावत की मनोदशा ठीक नहीं है, उनको आराम की जरूरत है". वो आज भी उस बयान पर कामय हैं. उन्होंने आगे कहा कि वो इस बात को सिद्ध कर देंगे कि उनकी मनोदशा ठीक नहीं है. हरीश रावत ने रामनगर, लालकुआं और सल्ट तीनों सीटों को एक ही निर्णय से हरवा दिया.
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रणजीत रावत ने मशहूर शायर स्व. राहत इंदौरी के एक शेर का जिक्र करते हुए कहा कि 'आग लगी तो उनको खुद का मकान जद में आया और हमारा भी आया. उन्होंने आगे कहा कि हरीश रावत के मैनेजरों ने इस चुनाव में प्रत्याशियों से पैसे लिए हैं, जिसमें कई ऐसे लोग भी शामिल हैं, जिनका नाम उन्होंने पैनल में लिया तक नहीं. हरीश रावत के मैनेजर कई लोगों के पैसे लौटा चुके हैं, जबकि कई लोग अभी तक उनके चक्कर काट रहे हैं. रणजीत रावत ने कहा कि बहुत जल्दी दो-चार कहानियां आपके सामने आएंगी.
टिकट बंटवारे पर तकरार: कांग्रेस प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष रणजीत सिंह रावत रामनगर सीट से चुनाव लड़ने की पांच साल से तैयारी कर रहे थे. लेकिन चुनाव से पहले हरीश रावत ने भी रामनगर से चुनाव लड़ने की इच्छा जताई थी. ऐसे में रामनगर सीट उत्तराखंड कांग्रेस के लिए जंग का मैदान बन गई. फिर आलाकमान ने हरीश रावत को लालकुआं सीट से चुनाव लड़ने के लिए कहा. रणजीत सिंह रावत को सल्ट भेज दिया. जिसका नजीता ये हुआ कि कांग्रेस ने रामनगर, सल्ट और लालकुआं तीनों सीटें गंवा दीं.
आखिरकार टूटी जय-बीरू की ये जोड़ी: हरीश-रणजीत की जोड़ी उत्तराखंड में जय-बीरू की जोड़ी कहलाती थी. इनकी दोस्ती के चर्चे होते थे, लेकिन फिर कुछ ऐसी खटास आई कि आज दोनों के बीच इस तरह सिर फुटव्वल हो रही है. दरअसल, 2014 में जब हरीश रावत मुख्यमंत्री थे, तब हारे हुए विधायक होने के बाद भी रणजीत रावत की तूती बोलती थी. वो सरकार की सबसे ताकतवर हस्ती थे. सरकार की तमाम व्यवस्थाएं देखा करते थे. यहां तक कि वो सरकार में अघोषित डिप्टी सीएम माने जाते थे. रणजीत की बातों की इतनी अहमियत थी कि हरीश रावत के शपथ ग्रहण के दिन ही रणजीत ने एक चर्चित आईपीएस अफसर को हटाने की बात कही थी और चंद घंटे बाद ही वो आईपीएस हटा दिए गए थे.