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अवमानना मामले में केंद्रीय मंत्री निशंक को HC से राहत, दिवाली के बाद सुनवाई

अवमानना मामले में केंद्रीय मंत्री निशंक को नैनीताल हाईकोर्ट से राहत मिली है. अब पूरे मामले में दिवाली के बाद सुनवाई होगी. वहीं, महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के मामले में भी दिवाली के बाद सुनवाई होगी.

Uttarakhand high court News
केंद्रीय मंत्री निशंक को HC से राहत.
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Published : Nov 3, 2020, 5:30 PM IST

Updated : Nov 3, 2020, 6:51 PM IST

नैनीताल: सरकारी आवास समेत अन्य सुविधाओं के बकाए मामले में उत्तराखंड के पूर्व सीएम और केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को हाईकोर्ट से राहत मिली है. केंद्रीय मंत्री के वकील ने हाईकोर्ट में 26 अक्टूबर के सुप्रीम कोर्ट के आदेश को दिखाया, जिसके बाद कोर्ट से केंद्रीय मंत्री निशंक को अवमानना मामले में राहत मिली. मामले में जस्टिस शरद कुमार शर्मा की एकल पीठ ने मामले की सुनवाई के लिए दीपावली के बाद की तिथि नियत की है.

केंद्रीय मंत्री निशंक को HC से राहत.

वहीं, पूर्व सीएम और महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को अपना जवाब हाईकोर्ट में दाखिल करना है. जिस पर कोर्ट अब दीपावली के बाद सुनवाई करेगा. हाईकोर्ट ने 3 मई 2019 को आदेश दिया था कि सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों से बंगलों का बाजार भाव से किराया वसूला जाए. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि अन्य सुविधाओं का भी आकलन कर पैसा जमा 6 महीने के भीतर करना होगा, अगर ऐसा नहीं करते हैं तो इन पर कानूनी कार्रवाई की जाए.

दरअसल, देहरादून की रूरल लिटिगेशन संस्था ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर करते हुए कहा था कि 'प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों के द्वारा सरकारी आवास एवं संसाधनों का प्रयोग किया जा रहा है. लिहाजा इन सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों से सरकारी आवास समेत प्रयोग में लिए जा रहे सुविधाओं का किराया बाजार भाव से जमा कराए जाएं.

जिसके बाद नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने मामले में सुनवाई करते हुए सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को आदेश दिए थे कि वह 6 माह के भीतर सरकारी आवास का किराया समेत अन्य भत्तों को जमा करें. हाईकोर्ट के आदेश के बाद राज्य सरकार के द्वारा एक अध्यादेश पारित कर सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों का बकाया माफ करने का फैसला किया गया था.

ये भी पढ़ें: निशंक के खिलाफ कोर्ट अवमानना की कार्यवाही पर लगी रोक, याचिकाकर्ता ने कसा तंज

अध्यादेश को रूरल लिटिगेशन संस्था द्वारा हाईकोर्ट में चुनौती दी और कहा कि राज्य सरकार के द्वारा कुछ लोगों को फायदा दिलाने के लिए हाईकोर्ट के आदेश के बाद इस एक्ट को बनाया है, लिहाजा एक्ट को खारिज किया जाए. जिसके बाद मामले में सुनवाई करते हुए नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने राज्य सरकार द्वारा बनाए गए एक्ट को असंवैधानिक घोषित करते हुए सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को 6 माह के भीतर सरकारी आवास का किराया एवं अन्य भत्ते जमा करने के आदेश दिए थे.

वहीं, केंद्रीय मंत्री निशंक ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर उत्तराखंड हाईकोर्ट के 3 मई 2019 के आदेश को चुनौती दी है. उस आदेश में हाईकोर्ट ने उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री निशंक एवं अन्य पूर्व मुख्यमंत्रियों से सरकारी बंगले का बकाया किराया बाजार भाव से वसूले जाने और अन्य सुविधाओं का पैसा वसूले जाने का आदेश दिया था.

नैनीताल: सरकारी आवास समेत अन्य सुविधाओं के बकाए मामले में उत्तराखंड के पूर्व सीएम और केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को हाईकोर्ट से राहत मिली है. केंद्रीय मंत्री के वकील ने हाईकोर्ट में 26 अक्टूबर के सुप्रीम कोर्ट के आदेश को दिखाया, जिसके बाद कोर्ट से केंद्रीय मंत्री निशंक को अवमानना मामले में राहत मिली. मामले में जस्टिस शरद कुमार शर्मा की एकल पीठ ने मामले की सुनवाई के लिए दीपावली के बाद की तिथि नियत की है.

केंद्रीय मंत्री निशंक को HC से राहत.

वहीं, पूर्व सीएम और महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को अपना जवाब हाईकोर्ट में दाखिल करना है. जिस पर कोर्ट अब दीपावली के बाद सुनवाई करेगा. हाईकोर्ट ने 3 मई 2019 को आदेश दिया था कि सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों से बंगलों का बाजार भाव से किराया वसूला जाए. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि अन्य सुविधाओं का भी आकलन कर पैसा जमा 6 महीने के भीतर करना होगा, अगर ऐसा नहीं करते हैं तो इन पर कानूनी कार्रवाई की जाए.

दरअसल, देहरादून की रूरल लिटिगेशन संस्था ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर करते हुए कहा था कि 'प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों के द्वारा सरकारी आवास एवं संसाधनों का प्रयोग किया जा रहा है. लिहाजा इन सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों से सरकारी आवास समेत प्रयोग में लिए जा रहे सुविधाओं का किराया बाजार भाव से जमा कराए जाएं.

जिसके बाद नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने मामले में सुनवाई करते हुए सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को आदेश दिए थे कि वह 6 माह के भीतर सरकारी आवास का किराया समेत अन्य भत्तों को जमा करें. हाईकोर्ट के आदेश के बाद राज्य सरकार के द्वारा एक अध्यादेश पारित कर सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों का बकाया माफ करने का फैसला किया गया था.

ये भी पढ़ें: निशंक के खिलाफ कोर्ट अवमानना की कार्यवाही पर लगी रोक, याचिकाकर्ता ने कसा तंज

अध्यादेश को रूरल लिटिगेशन संस्था द्वारा हाईकोर्ट में चुनौती दी और कहा कि राज्य सरकार के द्वारा कुछ लोगों को फायदा दिलाने के लिए हाईकोर्ट के आदेश के बाद इस एक्ट को बनाया है, लिहाजा एक्ट को खारिज किया जाए. जिसके बाद मामले में सुनवाई करते हुए नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने राज्य सरकार द्वारा बनाए गए एक्ट को असंवैधानिक घोषित करते हुए सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को 6 माह के भीतर सरकारी आवास का किराया एवं अन्य भत्ते जमा करने के आदेश दिए थे.

वहीं, केंद्रीय मंत्री निशंक ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर उत्तराखंड हाईकोर्ट के 3 मई 2019 के आदेश को चुनौती दी है. उस आदेश में हाईकोर्ट ने उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री निशंक एवं अन्य पूर्व मुख्यमंत्रियों से सरकारी बंगले का बकाया किराया बाजार भाव से वसूले जाने और अन्य सुविधाओं का पैसा वसूले जाने का आदेश दिया था.

Last Updated : Nov 3, 2020, 6:51 PM IST

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