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ट्रांसजेंडर ने राष्ट्रपति को लिखा पत्र, उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग

शिकायतकर्ता ट्रांसजेंडर ने कहा कि वो महिलाओं के साथ बढ़ रही आपराधिक घटनाओं के मामले में प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से मिलने गई थी, लेकिन मुख्यमंत्री से उनसे नहीं मिले.

राष्ट्रपति को लिखा पत्र.
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Published : Mar 4, 2019, 8:23 AM IST

नैनीताल: प्रदेश में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन न होने और सूबे में महिलाओं के साथ बढ़ रही आपराधिक घटनाओं को लेकर एक ट्रांसजेंडर ने उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है. इस मामले में ट्रांसजेंडर ने राष्ट्रपति को एक पत्र भी लिखा है. राष्ट्रपति ने केंद्रीय न्याय विभाग को मामले में जवाब पेश करने के आदेश दिए है.

राष्ट्रपति को लिखा पत्र.

इस मामले में शिकायतकर्ता ट्रांसजेंडर ने कहा कि वो महिलाओं के साथ बढ़ रही आपराधिक घटनाओं के मामले में प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से मिलने गई थी, लेकिन मुख्यमंत्री से उनसे नहीं मिले. शिकायतकर्ता ने 6 फरवरी को राष्ट्रपति को भेजे अपने पत्र में कहा था कि उत्तराखंड सरकार सुप्रीम कोर्ट के तीन महत्वपूर्ण फैसले को लागू नहीं कर रही है.

जो भारतीय संविधना के अनुच्छेद 14, 15 और 21 का उल्लंघन है. ये संवैधानिक अधिकारों का हनन है.शिकायतकर्ता के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने देश के सभी नागरिकों को अपना जेंडर चुनने का अधिकार दिया है. साथ ही कोई भी व्यक्ति किसी पर जेंडर बदलने के लिए दबाव नहीं बन सकता है.

नैनीताल: प्रदेश में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन न होने और सूबे में महिलाओं के साथ बढ़ रही आपराधिक घटनाओं को लेकर एक ट्रांसजेंडर ने उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है. इस मामले में ट्रांसजेंडर ने राष्ट्रपति को एक पत्र भी लिखा है. राष्ट्रपति ने केंद्रीय न्याय विभाग को मामले में जवाब पेश करने के आदेश दिए है.

राष्ट्रपति को लिखा पत्र.

इस मामले में शिकायतकर्ता ट्रांसजेंडर ने कहा कि वो महिलाओं के साथ बढ़ रही आपराधिक घटनाओं के मामले में प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से मिलने गई थी, लेकिन मुख्यमंत्री से उनसे नहीं मिले. शिकायतकर्ता ने 6 फरवरी को राष्ट्रपति को भेजे अपने पत्र में कहा था कि उत्तराखंड सरकार सुप्रीम कोर्ट के तीन महत्वपूर्ण फैसले को लागू नहीं कर रही है.

जो भारतीय संविधना के अनुच्छेद 14, 15 और 21 का उल्लंघन है. ये संवैधानिक अधिकारों का हनन है.शिकायतकर्ता के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने देश के सभी नागरिकों को अपना जेंडर चुनने का अधिकार दिया है. साथ ही कोई भी व्यक्ति किसी पर जेंडर बदलने के लिए दबाव नहीं बन सकता है.

Intro:स्लग-ट्रांसजेंडर की माँग

रिपोर्त-गौरव जोशी

स्थान-नैनीताल

एंकर-प्रदेश मे सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन ना होने ओर प्रदेश मे महिलाओ के साथ बड रही आपराधिक घटनाओ को देख कर ट्रांसजेनडर ने उत्तराखंड मे फ़िर से राष्ट्रपति शासन की माँग की है,,,
जिसको लेकर ट्रांसजेनडर द्वारा भारत के राष्ट्रपति को पत्र भी लिखा गया है,,, और राष्ट्रपति द्वारा ट्रांसजेंडर के पत्र के आधार पर केन्द्रीय न्याय विभाग से मामले मे जवाब पेश करने के आदेश दिये है।


Body:वही शिकायाटकर्ता ट्रांसजेनडर शिलपी लॉरेंस ने कहा की वो महिलाओ के साथ बड रही आपराधिक घटनाओ के मामले को लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से मिलने गई लेकिन वो उन से नही मिले,,,
आपको बता दे की ट्रासजेनडर शिलपी ने राष्ट्रपति को 6फरवरी को पत्र भेजकर कहा है की उत्तराखंड सरकार द्वारा प्रदेश मे सुप्रीम कोर्ट के नालसा, ललिता कुमारी ओर अर्नेश कुमार के फेसले को लागू नही करा जा रहा है,,,जो भारतीय सविधना की धारा 14 धारा 15ओर 21का उल्लंघन है,,,
ओर इन आदेशो के लागू नही होने से लोगो के संवेधानिक अधिकारो का हनन है,,,


Conclusion:शिकायाटकर्ता ने जिन आदेशो का पत्र मे जिक्र करा है उनमे
नालशा वर्सेज केंद्र सरकार का वो आदेस है जिस्मे सुप्रीम कोर्ट ने देश के सभी नागरिको को अपना जेनडर चुनने का आदेश दिया था,, और कहा था की जेनडर बदलने के लिये कोई किसी पर दबाव नही बना सकता,,,,

वही दुसरा आदेश अर्नेश कुमार बनाम बिहार सरकार का है जिसके आधार पर किसी भी मामले मे जिसमे 7साल की सजा का प्रावधान है, पुलिस उसमे तत्काल किसी की गिरफ्तारी नही कर सकती,,,केवल उसको नोटीस दे कर मामले की जाँच मे सहयोग करने का आदेश दे सकती है,,
लेकिन उत्तराखंड मे पुलिस द्वारा किसी भी मामले मे लोगो को गिरफ्तार कर परेशान कर रही है।

वही तीसरा आदेश ललिता कुमारी वर्सेज उत्तर प्रदेश सरकार का है।

बाईट-शिलपी,शिकायाटकर्ता।

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